लेकिन हकीकत यह है कि नर्मदा नहर के सबसे निकट सांचौर का इलाका है। सांचौर के कई गांव पानी को तरस रहे हैं। यही हाल भीनमाल व रानीवाड़ा का है। एक दशक बाद भी हालात जस के तस है। न सरकार को चिंता है न यहां के प्रशासनिक अधिकारियों और जनप्रतिनिधियों को। ऐसे में जालोर का भाग्य भी सरकारी ढर्रे की भेंट चढ़ा हुआ है। नर्मदा से जुड़ी परियोजनाएं की विस्तृत रिपोर्ट।
एफआर प्रोजेक्ट
नर्मदा परियोजना के का एफआर प्रोजेक्ट जालोर जिला मुख्यालय से जुड़ा प्रोजेक्ट है। वर्तमान में 299 गांवों में पानी पहुंच रहा है। जिसमें आहोर भी शामिल है। वर्ष 2008 में इसका काम शुरू होना था। 2011 तक इसका काम पूरा करना था। लेकिन करीब 8 साल देरी से क्रियान्वयन हुआ। अभी भी कई इलाके वंचित है।
नर्मदा परियोजना के का एफआर प्रोजेक्ट जालोर जिला मुख्यालय से जुड़ा प्रोजेक्ट है। वर्तमान में 299 गांवों में पानी पहुंच रहा है। जिसमें आहोर भी शामिल है। वर्ष 2008 में इसका काम शुरू होना था। 2011 तक इसका काम पूरा करना था। लेकिन करीब 8 साल देरी से क्रियान्वयन हुआ। अभी भी कई इलाके वंचित है।
डीआर प्रोजेक्ट
नर्मदा परियेाजना का डीआर प्रोजेक्ट सांचौर शहर समेत 160 गांव कस्बों से जुड़ा है। इस प्रोजेक्ट से वर्तमान में 148 गांव कस्बे लाभांवित हो रहे हैं। डीआर प्रोजेक्ट से नेहड़ के वे गांव अभी वंचित है, जहां पानी की भयंकर समस्या रहती है। इन गांवों में अब भी लोग गर्मी के दिनों में कच्ची बेरियों पर पानी के लिए निर्भर रहते हैं।
नर्मदा परियेाजना का डीआर प्रोजेक्ट सांचौर शहर समेत 160 गांव कस्बों से जुड़ा है। इस प्रोजेक्ट से वर्तमान में 148 गांव कस्बे लाभांवित हो रहे हैं। डीआर प्रोजेक्ट से नेहड़ के वे गांव अभी वंचित है, जहां पानी की भयंकर समस्या रहती है। इन गांवों में अब भी लोग गर्मी के दिनों में कच्ची बेरियों पर पानी के लिए निर्भर रहते हैं।
ईआर प्रोजेक्ट
इसमें अब तक 70 प्रतिशत काम हो पाया है। भीनमाल शहर समेत सांचौर विधानसभा क्षेत्र के गांव भी इससे लाभांवित होने हैं। यह प्रोजेक्ट धीमी गति से चल रहा है। इस प्रोजेक्ट से भीनमाल शहर समेत 306 कस्बे और 945 ढाणियंा लाभांवित होनी है। 4 अक्टूबर 2013 में कार्य शुरू हुआ। 2016 में पूरा करना था। 8 साल के बाद भी यह प्रोजेक्ट रेंग रहा है।
इसमें अब तक 70 प्रतिशत काम हो पाया है। भीनमाल शहर समेत सांचौर विधानसभा क्षेत्र के गांव भी इससे लाभांवित होने हैं। यह प्रोजेक्ट धीमी गति से चल रहा है। इस प्रोजेक्ट से भीनमाल शहर समेत 306 कस्बे और 945 ढाणियंा लाभांवित होनी है। 4 अक्टूबर 2013 में कार्य शुरू हुआ। 2016 में पूरा करना था। 8 साल के बाद भी यह प्रोजेक्ट रेंग रहा है।
फैक्ट फाइल
24 अप्रेल 2008 को संचौर के निकट सिलू हैड पर हुआ था उद्घाटन
74 किलोमीटर नहर बहती है राजस्थान में
246000 हेक्टेयर में नर्मदा नहर से खेती प्रस्तावित
1346 जालोर व बाड़मेर जिले के गांवों में होगी पेयजल आपूर्ति
सरदार सरोवर बांध से गुजरात होते हुए राजस्थान में नर्मदा नहर करती है प्रवेश
24 अप्रेल 2008 को संचौर के निकट सिलू हैड पर हुआ था उद्घाटन
74 किलोमीटर नहर बहती है राजस्थान में
246000 हेक्टेयर में नर्मदा नहर से खेती प्रस्तावित
1346 जालोर व बाड़मेर जिले के गांवों में होगी पेयजल आपूर्ति
सरदार सरोवर बांध से गुजरात होते हुए राजस्थान में नर्मदा नहर करती है प्रवेश
इसलिए आंदोलन को मजबूर
ईआर प्रोजेक्ट के तहत नर्मदा नहर से भीनमाल कस्बे में पेयजल उपलब्ध करना प्रस्तावित था। पांच साल पूर्व यह प्रोजेक्ट पूरा करना था, लेकिन अब तक भी अता-पता नहीं कि पानी कब मिलेगा। इस ढर्रे के कारण भीनमाल कस्बे के लोग आंदोलन पर उतारू है। सरकार और जिला प्रशासन भी ठीक से मॉनिटरिंग नहीं कर रहे। नतीजा, ग्रामीणों और कस्बेवासियों को पानी के लिए तरसना पड़ रहा है।
अगले महीनों में शुरू होगा कामनर्मदा नहर से जालोर जिले में पेयजल आपूर्ति के लिए तीन महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट है। दो प्रोजेक्ट में जलापूर्ति की जा रही है। एक में ज्यादा काम बकाया है। इसके लिए काम चल रहा है। अगले महीनों में स्वीकृतियां जारी होंगी। तत्पश्चात काम शुरू होगा।
केएल कांत, एसई, जलदाय विभाग, जालोर