इस पूरे मामले का खुलासा तब हुआ जब पर्यावरणीय स्वीकृति के लिए दस्तावेज केन्द्र सरकार को भिजवाने थे। इस प्लांट का संचालन करने वाली कंपनी के प्रतिनिधि ने अतिरिक्त 3 हैक्टेयर जमीन की मांग की और जमीन दस्तावेजों की जांच हुई तो इस बात का खुलासा हुआ कि जमीन अब तक नगर परिषद के नाम हुई ही नहीं है। एेसे में अधिकारी इस बात को जैसे-तैसे रफा-दफा करने में जुट गए। अब प्रयास किए जा रहे हैं कि जिला प्रशासन से पहले कंपनी को दी गई २ हैक्टेयर जमीन और अब अतिरिक्त मांगी गई ३ हैक्टयेर जमीन मिल जाए।
इस प्रकार है कचरा निस्तारण प्लांट – 2 हैक्टेयर जमीन खेतावास के समीप दी गई।
– 9 साल हो गए प्लांट को बने हुए। – अब 3 हैक्टेयर अतिरिक्त जमीन मांगी गई।
– इन जमीनों के दस्तावेज अब तक नगर परिषद को प्राप्त ही नहीं हुए।
क्या है इस प्लांट की अड़चनें करीब 9 साल पहले यह प्लांट आवास-विकास लिमिटेड की ओर से बनाया गया। लेकिन दो बार इसके ठेके बदलने के बाद भी यह शुरू नहीं हो सका। कुछ ही समय पहले वर्तमान सभापति ने निजी कंपनी को इसके संचालन का ठेका दिया। इस कंपनी को काम शुरू करने से पहले केन्द्र सरकार से पर्यावरणीय स्वीकृति लेनी है। अब पर्यावरणीय स्वीकृति बिना किसी दस्तावेज के मिल नहीं सकती। एेसे में यह प्लांट ही खटाई में पड़ता नजर आ रहा है।
जल्द ही लेंगे दस्तावेज प्लांट तो पहले बन चुका है। अब कंपनी ने अतिरिक्त ३ हैक्टेयर जमीन मांगी है। हमने जांच की तो पता चला कि जिला कलक्टर कार्यालय से हमारे पास दस्तावेज नहीं आए हैं। जल्द ही दस्तावेज लेकर पर्यावरणीय स्वीकृति के प्रयास करेंगे।
– महेन्द्र बोहरा, सभापति, नगर परिषद पाली।