मिश्रा ने बताया कि जातिगत राजनेताओं के दबाव में आकर केंद्र सरकार द्वारा सर्वोच्च न्यायालय द्वारा दिए गए न्याय पुणे संविधान समद निर्णय का प्रभाव 0 करने के लिए एससीएटी अत्याचार अधिनियम में संशोधन बिल लाया जा रहा है, जो इस बिल की करोड़ों राष्ट्रवादी विरोध कर रहे हैं। साथ ही जातिगत राजनेताओं की ब्लैकमेलिंग के सामने आत्मसमर्पण करने वाली केंद्र सरकार की छवि राष्ट्रीय अंतरराष्ट्रीय स्तर पर खराब हो रही है। उन्होंने कहा कि देश में जातिगत राजनीति से आगे बढकऱ जातिगत आतंकवाद बढ़ रहा है। उन्होंने विधायक पारख को ज्ञापन सौंपतेे हुए कहा कि संविधान के प्रति कर्तव्य को निभाते हुए मॉब लिंचिंग को रोका जाए।