फसल नुकसान का सही आकलन होगा
प्रदेश स्तरीय बीमा योजना में हर साल तहसील स्तर पर कार्यालय को खोल दिए जाते थे। लेकिन आपदा के समय बीमा कम्पनी के प्रतिनिधि नहीं मिलने से किसानों को होने वाले नुकसान का सही मुआवजा भी नहीं मिल पाता था। इससे उन्हें फसल का सही मुआवजा भी नहीं मिल पाता था। ऐसे में किसानों की परेशानी काफी बढ़ जाती थी। वह उचित मुआवजे के लिए विभागों के चक्कर ही काटते रह जाते थे। इसे देखते हुए इस बार कृषि विभाग के कार्यालय में बीमा कम्पनी के प्रतिनिधि के मौजूद रहने की अनिवार्यता कर दी गई है।
प्रदेश स्तरीय बीमा योजना में हर साल तहसील स्तर पर कार्यालय को खोल दिए जाते थे। लेकिन आपदा के समय बीमा कम्पनी के प्रतिनिधि नहीं मिलने से किसानों को होने वाले नुकसान का सही मुआवजा भी नहीं मिल पाता था। इससे उन्हें फसल का सही मुआवजा भी नहीं मिल पाता था। ऐसे में किसानों की परेशानी काफी बढ़ जाती थी। वह उचित मुआवजे के लिए विभागों के चक्कर ही काटते रह जाते थे। इसे देखते हुए इस बार कृषि विभाग के कार्यालय में बीमा कम्पनी के प्रतिनिधि के मौजूद रहने की अनिवार्यता कर दी गई है।
तीन हजार अऋणी किसानों ने भी कराया बीमा
जिलेभर में अभी तक करीब एक लाख पांच हजार किसानों ने प्रधानमंत्री फसल बीमा करवाया है। इसमें तीन हजार अऋणी किसानों ने भी फसल बीमा करवाया है। किसान 15 जुलाई तक फसल बीमा करवा सकता है। पिछले साल के मुकाबले में इस बार किसानों ने अधिक फसल बीमा करवाया है। पिछले साल 90 हजार किसानों ने ही फसल बीमा करवाया था।
जिलेभर में अभी तक करीब एक लाख पांच हजार किसानों ने प्रधानमंत्री फसल बीमा करवाया है। इसमें तीन हजार अऋणी किसानों ने भी फसल बीमा करवाया है। किसान 15 जुलाई तक फसल बीमा करवा सकता है। पिछले साल के मुकाबले में इस बार किसानों ने अधिक फसल बीमा करवाया है। पिछले साल 90 हजार किसानों ने ही फसल बीमा करवाया था।
किसानों को फायदा होगा
तहसील स्तर पर बीमा कम्पनी का प्रतिनिधि बैठेगा। जिससे किसानों को फायदा होगा। किसानों की फसल नुकसान का सहीं आकलन हो सकेगा। जिले भर में अभी तक एक लाख 5 हजार किसानों ने फसल बीमा करवा दिया है।
–शंकराराम बेड़ा, उपनिदेशक, कृषि विभाग विस्तार पाली
तहसील स्तर पर बीमा कम्पनी का प्रतिनिधि बैठेगा। जिससे किसानों को फायदा होगा। किसानों की फसल नुकसान का सहीं आकलन हो सकेगा। जिले भर में अभी तक एक लाख 5 हजार किसानों ने फसल बीमा करवा दिया है।
–शंकराराम बेड़ा, उपनिदेशक, कृषि विभाग विस्तार पाली