अब तो जागो जिम्मेदारों... जिन गड्ढों को किया अनदेखा, उन्हीं में जमींदोज हुई परिवारों की खुशियां
जिम्मेदारों ने कभी अपनी जिम्मेदारी निभाई नहीं। लोगों ने भी परिवार का सोचे बिना लापरवाही कर दी। दोनों की लापरवाहीं का दर्द आज भी कोई न कोई परिवार भुगत रहा है।

पाली . जिम्मेदारों ने कभी अपनी जिम्मेदारी निभाई नहीं। लोगों ने भी परिवार का सोचे बिना लापरवाही कर दी। दोनों की लापरवाहीं का दर्द आज भी कोई न कोई परिवार भुगत रहा है। हम बात कर रहे हैं उन तालाबों व नाडियों की, जिनमें बरसात होते ही पानी भर जाता है। लेकिन, कई स्थान जानलेवा होने के बाद भी जिम्मेदार विभागीय अधिकारियों तथा निकाय प्रतिनिधियों ने वहां संकेतक लगाना भी मुनासिब नहीं समझा। नतीजतन कई जिंदगियां पानी में ही जमींदोज हो गई। इसके साथ ही काफूर हो गई परिवारों की खुशियां, किसी ने घर का चिराग खोया तो किसी का तो मुखिया ही चला गया।
परिवार भुला नहीं पा रहा है सामरिया का हादसा
गत वर्ष जून माह में फालना नगर पालिका वार्ड 1 के पार्षद सुनील सामरिया अपने रिश्तेदार के कार्यक्रम में शामिल होने के लिए पाली आए थे। पाली से वापस जाते समय अपने दो रिश्तेदारों के साथ शहर के बाहर पणिहारी चौराहे के समीप हेमावास ओटे में जमा पानी में स्नान करने के लिए उतर गए। डूबने से पार्षद सामरिया के साथ ही उनके दो साथियों की मौत हो गई थी। आज भी सामरिया का परिवार इस हादसे को भूला नहीं पा रहा है। उनके पिता, पत्नी व पुत्री के आंखें उन्हे याद कर भर आती है।
पुत्र के जाने के बाद पिता पर जिम्मेदारी
पार्षद सामरिया की मौत के बाद पूरे परिवार की जिम्मेदारी उनके पिता दिनेश सामरिया पर आ गई। सामरिया के तीन बच्चे है। एक पुत्री साधना 10 वर्षीय है, जो नोबल स्कूल में सहयोग से अध्ययन कर रही है। वहीं एक सात वर्षीय पुत्री अंजली जो दिव्यांग है और एक ढाई वर्षीय पुत्र नक्श है। परिजन बताते हैं कि समारिया के जीवित रहते कई जनप्रतिनिधि उनसे मिलने व कार्यों के लिए आते थे। लेकिन, सामरिया की मौत के बाद जैसे परिवार से किस्मत ने ही मुंह मोड़ दिया।
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