कोविड का संक्रमण बच्चों में तेजी से फैल रहा है। जिले के सिंदरली गांव में तीन साल की मासूम और खारड़ी गांव में सात-सात साल के दो बच्चे पॉजिटिव आए। वहीं मुसालिया गांव में 14 वर्ष, गोगड़ा व कलाली में 15 वर्ष, पाली शहर के मणि नगर में 10 वर्ष व धानमण्डी में 16 वर्ष का एक बच्चा संक्रमित आए है।
कोरोना की भयावहता का इस बात से अंदाज लगाया जा सकता है कि बांगड़ चिकित्सालय में भर्ती 70 मरीजों से 82 प्रतिशत ऑक्सीजन पर है। अभी अस्पताल में करीब 58 मरीज ऑक्सीजन पर है। सिर्फ 12-13 मरीज का ऑक्सीजन लेवल ही 92-94 के बीच में है।
जिले में मिले संक्रमितों में तीन लोग बाहर से आए हुए थे। हालंाकि वे प्रवासी नहीं है। इनमें गुंदोज गांव में लिए गए सैम्पल में दो जने जोधपुर जिले के ओसिया के, सादड़ी में की जांच में एक जना उदयपुर जिले का तथा पाली के बांगड़ चिकित्सालय में लिए सैम्पल में एक जना शिवगंज का पॉजिटिव आया है।
कोरोना वार्ड में व्यवस्थाओं को लेकर अतिरिक्त जिला कलक्टर चन्द्रभानसिंह भाटी ने बांगड़ अस्पताल का जायजा लिया। वहां कोविड वार्ड के बाहर बिना मास्क बैठे पुलिसकर्मियों को मास्क लगाने की हिदायत दी। वार्ड में मरीजों के अटेंडेंट आदि को भी पीपीइ किट पहनने के साथ गाइड लाइन का पालन करने को कहा। उन्होंने सर्जिकल वार्ड का भी जायजा लिया। वार्डों के अन्दर शौचालय आदि गंदे मिलने पर तुरन्त सफाई ठेकेदार को बुलाकर फटकार लगाई। कार्यवाहक पीएमओ डॉ. एचएम चौधरी को व्यवस्थाओं में सुधार के निर्देश दिए।
2 लाख 9 हजार 382 सैम्पल की जांच जिले में
114 जनों की मौत हुई जिले में
519 पर पहुंचे एक्टिव केस
70 मरीज भर्ती है बांगड़ चिकित्सालय में एक्सपर्ट व्यू… डॉ. रफीक कुरैशी, शिशु रोग विशेषज्ञ
कोरोना से बच्चे भी संक्रमित हो रहे है, लेकिन उनके ठीक होने की रफ्तार बड़ों की तुलना में अधिक है। बच्चों में कोरोना होने पर भी किसी तरह का तनाव नहीं रहता है। उनके शरीर में ऑक्सीजन की कमी आने पर हृदय अपनी गति बढ़ा देता है। वायु की नलियां भी मुलायम होने से हृदय के अधिक कार्य करने पर शरीर में जाने वाली ऑक्सीजन के अनुसार अपना आकार ले लेती है। बच्चों की इम्यूनिटी भी अच्छी होती है। हालांकि इस समय बच्चों का ध्यान रखना जरूरी है। उनको अधिक बाहर नहीं जाने देना चाहिए। बच्चे के संक्रमित होने पर उसे अधिक पोषक तत्व आदि देने चाहिए। जिससे वह अधिक तेजी से रिकवर हो सके। उसे खुली हवा में रखना चाहिए। जो बच्चे थेलेसिमिया या अन्य रोगों से ग्रसित है। उनका अधिक ख्याल रखने की जरूरत है।