– बजट 2013-2014 की घोषणा के तहत पाली शहर में केन्द्रीय प्रायोजित योजना के तहत पाली में मेडिकल कॉलेज बनाने की घोषणा की गई।
– 15 दिसम्बर 2014 को मेडिकल कॉलेज के लिए 30 एकड़ भूमि जिला कलक्टर कार्यालय से आवंटित की गई।
– कार्यकारी एजेंसी एचएससीसी नोएडा के साथ राज्य सरकार द्वारा 14 दिसम्बर 2015 को एम.ओ.यू. किया गया। 15 जून 2018 को आयुर्विज्ञान महाविद्यालय को भवन सौंपा गया।
– मेडिकल काउन्सिल ऑफ इण्डिया की टीम ने 24 अप्रेल 2018 को निरीक्षण किया गया। 25 मई 2018 को वर्ष 2018-19 के लिए 100 एमबीबीएस छात्रों के प्रवेश व 27 अप्रेल 2019 को द्वितीय बैच को लेकर एमसीआई द्वारा निरीक्षण किया गया। 16 मई 2019 को द्वितीय बैच की स्वीकृति दे दी गई।
– मेडिकल काउन्सिल ऑफ इण्डिया द्वारा सीटों में बढ़ोतरी करते हुए एम.बी.बी.एस. सीटों को 150 किया गया।
– वर्तमान में इस आयुर्विज्ञान महाविद्यालय में 100 एमबीबीएस विद्यार्थी अध्ययनरत हैं तथा द्वितीय बैच के 150 विद्यार्थियों की प्रवेश प्रक्रिया जारी है।
– वर्तमान में मेडिकल कॉलेज व सलंग्न चिकित्सालय में संचालित संकायों में 72 चिकित्सा शिक्षक व 146 नर्सिंग कर्मचारी व 110 पैरामेडिकल स्टॉफ कार्यरत हैं।
1. बांगड़ चिकित्सालय की में ब्लड बैंक कॉपोनेन्ट यूनिट शुरू कर दी गई हैं। जिससे प्लेट्लेटस (डेगू) एवं प्लाज्मा भी मरीजों को देने की सुविधा चालू कर दी गई है।
2. कैंसर रोगियों के उपचार के लिए बेहतर व्यवस्था की गई।
3. जिला चिकित्सालय में माइक्रोबायोलॉजी विभाग के चिकित्सकों द्वारा मौसमी बीमारियों स्वाइन फ्लू आदि की जांच शुरू की।
4. कान, नाक, गला विशेषज्ञों द्वारा मरीजों के सभी तरह के ऑपरेशन शुरू हुए।
5. पैथलॉजी विभाग द्वारा चिकित्सालय में आने वाले मरीजों का चिकित्सकीय परामर्श के बाद बाईयोप्सी जांच करना शुरू।
6. मेडिकल कॉलेज के अधीन जिला चिकित्सालय सम्मलित होने के बाद 70 जांचे नियमानुसार की जा रही हैं।
7. मेडिकल कॉलेज के अधीन संचालित जिला चिकित्सालय सम्मिलित होने पर मेजर ऑपरेशन एवं दूरबीन पद्धति द्वारा सर्जरी की जा रही है।
8. अकादमिक गतिविधिया (सीएमई, क्लिनिकल मिटिंग, रिर्सच) भी नियमित रूप से की जा रही है। सात जुलाई को फोरेंसिक विभाग द्वारा सफल सी.एम.ई. का आयोजन किया गया है।
9. नया ओपीडी मिला। जहां ईएनटी, हड्डी रोग, नेत्र रोग, सर्जिकल से संबंधित चिकित्सक बैठते है।
– आईसीयू सेटअप यूनिट, दक्ष चिकित्सक व दक्ष नर्सिंग स्टॉफ मिले। जिससे गंभीर मरीजों का इलाज हो सके।
– कैथ लैब की सुविधा मिले तो हृदय के रोगियों की कई जांच एवं स्टैंड लगाने का कार्य बांगड़ अस्पताल में ही हो सकेगा।
– ट्रोमा वार्ड में न्यूरो फिजिशियन व सर्जन मिले तो दुर्घटना में घायल गंभीर मरीजों का इलाज यही हो सकेगा।
हृदय रोगियों के लिए कॉडियोलोजिक विभाग विकसित करने एवं न्यूरो सर्जन व फिजिशियन की नियुक्ति को लेकर राज्य सरकार को लिखेंगे। जिससे बांगड़ मेडिकल कॉलेज आने वाले हृदय रोगियों व सडक़ दुर्घटना में घायल गंभीर मरीजों को रेफर करने में कमी आए। – डॉ. के.सी. अग्रवाल, प्रिंसिपल बांगड़ मेडिकल कॉलेज, पाली