बांगड़ अस्पताल में कार्यरत राजेश त्रिवेदी बताते है कि मैं पिछली बार पॉजिटिव आया था। इस बार भी कोविड वार्ड में ड्यूटी दे रहा हूं। इस समय मरीजों को मेरी अधिक जरूरत है। राजेन्द्रसिंह राजपुरोहित का कहना है कि पिछली बार छह माह से अधिक समय तक मरीजों की सेवा में जुटा रहा, मेरा पहला कर्तव्य मरीज को स्वस्थ करने में सहयोग बनना है। मुल्तानसिंह बताते है कि जब मरीज ठीक होकर जाता है मन को सुकून मिलता है। इससे बड़ा कुछ नहीं। पुनीत दवे का कहना है कि कोविड में हमारी जरूरत परिवार में नहीं अस्पताल में है। यहां संक्रमण का खतरा भले ही रहता है, लेकिन सेवा करने का सुख उससे कही अधिक ऊंचा है।
नर्सिंगकर्मी को शपथ दिलाई जाती है कि मैं चिकित्सक का उसके कार्यों में सहयोग करूंगा। जिनकी देखभाल करनी है उनके कल्याण के लिए पूर्ण निष्ठा से कार्य करूंगा। इसी शपथ को इस समय नर्सिंगकर्मी साकार कर रहे हैं। वे परिवार के सदस्यों की तरह मरीजों का ख्याल रख रहे हैं। –केसी सैनी, प्रधानाचार्य, जीएएम प्रशिक्षण केन्द्र, पाली
कोरोना की भयावहता के कारण अस्पताल में मरीजों की संख्या अधिक है। उनको हर पल सहायता की जरूरत पड़ रही है। इस कारण नर्सिंगकर्मी इस समय खुद ही अवकाश का मना कर लगातार ड्यूटी कर रहे हैं। उनकी सेवा का ही परिणाम है कि बड़ी संख्या में मरीज ठीक होकर घर लौटे हैं। –ओमप्रकाश गर्ग, कार्यवाहक नर्सिंग अधीक्षक, बांगड़ चिकित्सालय, पाली