अस्पताल में बैड की मारामारी है। अस्पताल प्रशासन चाह रहा है कि कम गंभीर मरीजों को उपचार देकर छुट्टी दे दी जाए, तकि उनकी जगह गंभीर मरीजों को भर्ती किया जा सके। लेकिन मरीज भी अस्पताल से ऐसे हालात में छुट्टी लेना नहीं चाह रहे हैं। गुरुवार को तीन चार मरीज, जो ऑक्सीजन पर थे और चिकित्सक उन्हें छुट्टी देना चाह रहे थे, लेकिन मरीजों व उनके परिजनों ने गंभीर स्थिति का हवाला देते हुए छुट्टी लेने से मना कर दिया। इनमें से ऐसे मरीज थे, जिनकी सेचुरेशन 93-94 थी, हालांकि वे ऑक्सीजन पर थे, लेकिन चिकित्सकों ने उन्हें घर पर ही ऑक्सीजन लगाने की सलाह दी। इस बात को लेकर मरीज, परिजनों व चिकित्सकों में बहस भी हुई।
कोरोना के लिए काम में आने वाले रेमडेसिवर इंजेक्शन की मारामारी अभी जारी है। जोधपुर से गिनती के इंजेक्शन मिल रहे हैं, इधर, ऑक्सीजन पर भर्ती हर मरीज ये इंजेक्शन की मांग कर रहा है। गुरुवार रात को कुछ इंजेक्शन मिले, इनमें से डे केयर के लिए इएसआई अस्पताल भी भेजे गए, बाकी रहे इंजेक्शन अति गंभीर मरीजों को लगाया जाएगा।
रेमडेसिवर इंजेक्शन की कालाबाजरी न हो, इसके लिए जिला कलक्टर व सीएमएचओ की देखरेख में टीम का गठन किया गया है। चिकित्सक की निगरानी में ये इंजेक्शन लगवाए जा रहे हैं। हालांकि इस इंजेक्शन की सप्लाई जरूरत की लिहाज से कम है।
मरीजों को जबरन अस्पताल से छुट्टी नहीं दे रहे हैं, जिनकी स्थिति ठीक है, उन्हें छुट्टी दी जा रही है, ताकि बैड खाली हो और गंभीर मरीजों को उपचार मिल सके, मरीज पेनिक न हो, वे पेनिक होकर अस्पताल से जाना नहीं चाह रहे हैं। रेमडेसिवर इंजेक्शन की मॉनिटरिंग की जा रही है। चिकित्सक के कहने पर ही मरीजों को लगाया जा रहा है। – डॉ. आर.के. विश्नोई, कार्यवाहक, पीएमओ, बांगड़ अस्पताल, पाली