तकनीकी कर्मचारी की गलती इस प्लांट पर सुपरवाइर व तकनीकी कर्मचारी संचालन के लिए लगाए हुए है, लेकिन एक भी इंजीनियर कार्यरत नहीं है। प्लांट को रात में तकनीकी कर्मचारी ने गलत ढंग से ऑपरेट किया तो उसमें मौजूद कैमिकल पूरी तरह से पाउडर में तब्दील हो गया। इससे प्लांट फेल हो गया। प्लांट में राख की तरह का पाउडर फैल गया।
पहले भी तीन बार हो चुका फेल
इस संचालित करने वाली कम्पनी कार्य को लेकर सजग नहीं है। यह प्लांट लगाए अभी तक एक साल भी पूरा हुआ है और चौथी बार फेल हो गया। स्थिति यह रही कि डीआइजी स्टाम्प सावन कुमार, तहसीलदार पंकज कुमार, पीएमओ आरके बिश्नोई आदि जब सुबह प्लांट पहुंचे और उसे ठीक करने को लेकर चर्चा कर रहे थे तब भी कम्पनी का इंजीनियर सजग नजर नहीं आया। यहां लगाया सुपरवाइजर भी बाद में आया।
आरक्षित थे 80 से अधिक सिलेण्डर बांगड़ चिकित्सालय में कोविड से हालात बिगडऩे के बाद से 80 से अधिक सिलेण्डर आरक्षित रखे जा रहे है। जिससे किसी भी आपात स्थिति से तुरन्त निपटा जा सके। यहीं सिलेण्डर व 156 बेडों पर लगाई पाइप लाइन कारगर साबित हुई। इस लाइन में सिलेण्डर से भी गैस देने के कारण पाइप लाइन में दबाव कम नहीं हुआ और मरीज की जान पर नहीं बनी।
गलत तरीके से कर दिया ऑपरेट प्लांट को तकनीकी कर्मचारी ने गलत तरीके से ऑपरेट कर दिया था। इस कारण प्लांट फेल हो गया। उसका कैमिकल पाउडर में तब्दील हो गया। वैसे इसकी जिम्मेदारी हमारी नहीं मेडिकल कॉलेज प्रिंसिपल की है।
नीलेश कुमार यादव, असिस्टेंट मैनेजर, प्लांट संचालन कम्पनी