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ऐसे तो कैसे रुके तस्करी, पुलिस खुद ही तस्करों से मिली

locationपालीPublished: Nov 22, 2021 03:33:19 pm

Submitted by:

Suresh Hemnani

– पाली, जालोर व सिरोही तस्करी का सबसे बड़ा रूट- तीनों जिलों में पिछले 12 माह में मिलीभगत के चलते दस पुलिसकर्मी निलम्बित- पुलिस की मिलीभगत से तस्करों की मौज

ऐसे तो कैसे रुके तस्करी, पुलिस खुद ही तस्करों से मिली

ऐसे तो कैसे रुके तस्करी, पुलिस खुद ही तस्करों से मिली

पत्रिका टीम
पाली/जालोर/ सिरोही। पश्चिमी राजस्थान अफीम व डोडा पोस्त की खपत का बड़ा गढ़ है, यहां मध्यप्रदेश से खेप मारवाड़-गोडवाड़ के रास्तों से पहुंचाई जाती है। पाली, जालोर व सिरोही सबसे बड़े तस्करी के रूट माने जाते है। इन्हीं के रास्तों से नशे की यह खेप जालोर, बाड़मेर, जैसलतेर, नागौर व जोधपुर पहुंचाई जाती है।
पुलिस की तस्करों से मिलीभगत के कारण तस्करों का काम काफी आसान हो गया है। पुलिस खुद ही गाडिय़ों व पुलिस के लोकेशन की मुखबिरी कर देती है, कहीं मिलीभगत कर तस्करों को छोड़ दिया जाता है। ऐसे ही मामले सामने आने के बाद तीनों जिलों में पिछले 12 माह में दस से अधिक पुलिसकर्मी निलम्बित हो चुके हैं, इनमें एक एसएचओ भी शामिल है। हाल ही में सिरोही के बरलूट थानाधिकारी सीमा जाखड़ द्वारा दस लाख रुपए लेकर डोडा तस्करों को भगाने का मामला उजागर होने के बाद पुलिस की कार्यप्रणाली पर सवाल उठने लगे हैं। ऐसे हालातों में तस्करी रोकना पुलिस के लिए चुनौती है।
पाली : नशे की खेप तो निकलती है, पकड़ में आधी ही नहीं आती
अफीम व डोडा पोस्त तस्कर अपनी खेप पाली होकर जालोर, जैसलमेर, सिरोही, बाड़मेर, जोधपुर, नागौर पहुंचाते हैं। तस्करी का रूट वाया पाली जिला होकर निकलता है। जानकारों की माने तो पाली होकर डोडा की खेप आए दिन रात में निकलती है, लेकिन आधे तस्कर भी पकड़ में नहीं आते। पाली में भी गत दिनों सांडेराव थाना पुलिस व तस्करों की मुठभेड़ में पुलिसकर्मियों की तस्करों से मिलीभगत सामने आई थी। दो मामलों में चार जनों को निलम्बित भी किया गया था। फिलहाल डोडा तस्करों का पसंदीदा रूट सेंदड़ा, रायपुर मारवाड़, देसूरी, नाणा, नाडोल, सिरियारी, बगड़ी नगर, मारवाड़ जंक्शन, शिवपुरा, जाडन व सोजत रोड मार्ग है। इन्हीं रास्तों से तस्कर आगे निकलते है। तस्करी के लिहाज से ये रूट पुलिस के लिए हमेशा सिरदर्द बने रहते है।
सिरोही : तीनों जिलों में सबसे कम एनडीपीएस की कार्रवाई, मिलीभगत भी बड़ी
सिरोही जिले में जनवरी 2021 से लेकर अब तक एनडीपीएस एक्ट में कुल 41 मुकदमे हुए है। जो पाली व जालोर के मुकाबलें सबसे कम है। गत रविवार को भी एक मामला आया जिसमें डोडा पोस्त पर कार्रवाई करते हुए वाहन सहित 141 किलो डोडा पोस्त का चुरा बरामद हुआ। जिसमें बरलूट थानाधिकारी ने बताया कि गाडुी छोड कर तस्कर फरार हो गए। मामले की पुलिस अधीक्षक सिरोही धमेन्द्र सिंह ने जांच करवाई तो पाया गया कि बरलूट थानाधिकारी सीमा जाखड ने तस्कर के साथ 10 लाख रूपए में डील की और तस्कर को हाथों हाथ भगा दियाए मामले की गंभीरता को देखते हुए एसपी सिरोही ने बरलूट थानाधिकारी सहित तीन कोन्टेबल को निलम्बित कर दिया, जिसकी जांच सीओ सिरोही मदनसिंह को दी, जिसमें फिलहाल जांच चल रही है।
जालोर : यहां सबसे अधिक तस्करी के मामले, शराब व डोडा की खपत भी ज्यादा
जालोर जिले का सांचौर, चितलवाना, रानीवाड़ा और नेहड़ के सरवाना समेत कई गांव शराब तस्करी के प्रमुख गढ़ है। शराब तस्करी को यहां की भौगोलिक स्थिति रास हाती है। एक तरफ सांचौर, चितलवाना और नेहड़ के कई गांव बाड़मेर सीमा के मुहाने पर है तो दूसरी तरफ इन गांवों की सीमाएं गुजरात राज्य की सीमाओं से भी जुड़ती है। ऐसे में अक्सर यहां से बड़े पैमाने पर राजस्थान निर्मित शराब गुजरात राज्य तक पहुंचाई जाती है। अफीम-डोडा के बंधाणी जालोर,बाड़मेर जिले में अधिक है। इस स्थिति में मध्यप्रदेश, उदयपुर, चितौडगढ़़ क्षेत्र के अफीम और डोडा तस्करी का नेटवर्क जालोर-बाड़मेर से जुड़ा है। यहां सिरोही जिले के कच्चे रास्तों से होकर जालोर और बाड़मेर जिले के अलग अलग हिस्सों तक अफीम और डोडा पहुंचाया जाता है। पूर्व की कार्रवाई में ये तथ्य भी सामने आ चुके हैं। पुलिस की ओर से इस साल 17 नवंबर तक एनडीपीएस एक्ट में कुल 75 कार्रवाई की गई है। जिसमें मुख्य रूप से डोडा और अफीम के मामले हैं।
इस साल तीनों जिलों में एनडीपीएस की कार्रवाई
जिले कार्रवाई
पाली- 59
जालोर-75
सिरोही- 41

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