scriptऐसा मंदिर जिसमें दो बहने विराजी एक साथ | pali news : two sister's live in this temple last 800 years | Patrika News

ऐसा मंदिर जिसमें दो बहने विराजी एक साथ

locationपालीPublished: Oct 12, 2018 08:18:22 pm

Submitted by:

Rajeev

-प्रतिवर्ष वार्षिक मेले में विभिन्न प्रदेशों से आते हैं हजारों श्रद्धालु

pali news, temple

ऐसा मंदिर जिसमें दो बहने विराजी एक साथ

जाखामाता के नाम पर जाखोड़ा गांव का हुआ नामकरण


सुमेरपुर (निसं). सुमेरपुर से सटे जाखोडा गांव में स्थित जाखामाता का अतिप्राचीन मंदिर पाली, सिरोही व जालोर जिले के लोगों का आस्था का केन्द्र हैं। जाखोड़ा गांव का नामकरण जाखामाता के नाम पर पड़ा। प्रतिवर्ष नवरात्रा में मंदिर परिसर में मेले जैसा माहौल रहता है।
ग्रामीणों की मान्यता है कि मंदिर में धोक लगाने से हर मनोकामना पूरी होती है। पहाड़ी के अंदर प्राकृतिक रूप से मंदिर बना हुआ है। मंदिर में गुफानुमा पहाड़ी से होकर प्रवेश करना पड़ता है। जहां अंदर जाखामाता व बाणमाता की प्रतिमाएं विराजित हैं। प्रतिवर्ष भाद्रपद शुक्ला चौदस को विशाल मेला आयोजित होता है। जिसमें पाली, जालोर, सिरोही समेत गुजरात, महाराष्ट्र प्रदेशों से भी बड़ी संख्या में श्रद्धालु पहुंचते हैं। शाक द्वितीय आशीवाल गौत्र व प्रजापति समाज के हाटवा गौत्र की कुलदेवी जाखामाता हैं। मंदिर व्यवस्था संभालने के लिए ट्रस्ट गठित की गई है। यहां बाहर से आने वाले भक्तों के लिए ठहरने व खाने-पीने की अच्छी सुविधा उपलब्ध करवाई जाती है।
सात-आठ सौ साल पुराना है मंदिर का इतिहास
मंदिर के पुजारी हीराराम देवासी ने बताया कि जाखामाता का यह मंदिर लगभग 7-8 सौ साल पुराना है। किवदंती के अनुसार जाखामाता व ब्रह्माणी दोनों बहनें हैं। जो साथ-साथ विराजित हैं। देवलोक से आई इन दोनों बहनों ने क्षेत्र में रहने वाले एक राक्षस को मारकर आमजन को राहत दिलाई। माता की मूर्तियोंं का स्वप्राकट्य हुआ है। ये मूर्तियां स्थापित नहीं की हैं। मूर्तियां प्रकट होने के बाद धीरे-धीरे मंदिर का निर्माण कार्य शुरू किया गया।
सिरोही के पूर्व नरेश भी रहे हैं उपासक
मंदिर पुजारी व गांव के बुजुर्गों ने बताया कि सिरोही के पूर्व नरेश मां के भक्त थे। प्रतिदिन वे बग्गी में बैठकर पूजा-अर्चना व दर्शन करने आते थे। माता ने उन्हें कई प्रकार के चमत्कार भी दिखाए। पूर्व में यह गांव दूसरी जगह था। दो बार उजड़ चुका था। तभी देवी ने एक रात सपने में आकर मंदिर के पीछे वाले स्थान पर गांव बसाने का आदेश दिया। तब लोग वहां आकर बसे। तभी से इस गांव का नाम जाखोड़ा पड़ा।
अंग्रेजों को भी मिले थे चमत्कार
शिवगंज की एरनपुरा छावणी से एक बार अंग्रेज अधिकारी व सैनिक माता के चमत्कार की परीक्षा लेने आए। हाथ में थैले में पत्थर लाकर भोपा को कहा कि इसमें क्या हैं? तब भोपा ने कहा कि थैले में मिठाई है सब को बांट दो। अंग्रेज अधिकारी ने थैले में देखा तो पत्थरों की जगह मिठाइयां थी। इसी प्रकार एक बार घोडों के बारे में भी उन्हें चमत्कार मिला। उसके बाद अंग्रेज अधिकारी प्रतिदिन माता के दर्शन के लिए आने लगे। इसी प्रकार सुमेरपुर से जाखानगर जने वाले पुराने राजमार्ग पर पुलिया बनाते समय बार-बार टूट जाता था। तब हेमराज महाराज ने जाखामाता मंदिर से माता के नाम से एक पत्थर लाकर रखा। उसके बाद पुलिया बन सका। साथ ही अंग्रेजों ने पुलिए के पास सुमेरपुर में मंदिर निर्माण की स्वीकृति प्रदान की।
loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो