देव झूलया और मेह भूलया....प्राचीन कहावत के अनुसार देवझूलनी ग्यारस के अवसर पर शहर के लाखोटिया तालाब स्थित सिरेघाट पर दिन भर रेवडियों की भीड़ उमड़ पड़ी। शहरवसी अपने-अपने मौहल्लों के मंदिरों के ठाकुरजी को झूलने के लिए ढज्ञेल नगाड़ो के साथ तालाब पर लाए । सेकड़ो की संख्या में देव पूजन में भाग लिया। सुरक्षा को देखते घाट पर भारी संख्या में तैराक और पुलिसकर्मी भी गलाए गए।
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देव झूलया और मेह भूलया....प्राचीन कहावत के अनुसार देवझूलनी ग्यारस के अवसर पर शहर के लाखोटिया तालाब स्थित सिरेघाट पर दिन भर रेवडियों की भीड़ उमड़ पड़ी। शहरवसी अपने-अपने मौहल्लों के मंदिरों के ठाकुरजी को झूलने के लिए ढज्ञेल नगाड़ो के साथ तालाब पर लाए । सेकड़ो की संख्या में देव पूजन में भाग लिया। सुरक्षा को देखते घाट पर भारी संख्या में तैराक और पुलिसकर्मी भी गलाए गए।
देव झूलया और मेह भूलया....प्राचीन कहावत के अनुसार देवझूलनी ग्यारस के अवसर पर शहर के लाखोटिया तालाब स्थित सिरेघाट पर दिन भर रेवडियों की भीड़ उमड़ पड़ी। शहरवसी अपने-अपने मौहल्लों के मंदिरों के ठाकुरजी को झूलने के लिए ढज्ञेल नगाड़ो के साथ तालाब पर लाए । सेकड़ो की संख्या में देव पूजन में भाग लिया। सुरक्षा को देखते घाट पर भारी संख्या में तैराक और पुलिसकर्मी भी गलाए गए।
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