उपखण्ड मुख्यालय की बात करें तो यहां सरपंच की महिला सीट है। आठ महिला प्रत्याशी मैदान में है। इनमें से एक महिला प्रत्याशी है जो 12वीं पास है। जबकि शेष सात प्रत्याशियों में एक आठवीं पास है जबकि छह प्रत्याशी साक्षर ही है।
राज्य सरकार ने ये स्पष्ट आदेश जारी कर रखा है कि जहां महिला प्रत्याशी चुनाव जीतने के बाद सरपंच की कुर्सी पर काबिज होती है वहां उस सरपंच के परिवार के किसी भी सदस्य का पंचायत कार्य में दखल नहीं होगा। यदि महिला सरपंच के परिवार का कोई भी सदस्य सरपंच का प्रतिनिधित्व करता है तो उस सरपंच के खिलाफ कार्रवाई अमल में लार्ई जाएगी।
राज्य की वसुंधरा सरकार के समय ये नियम था कि आठवीं पास व्यक्ति ही सरपंच का चुनाव लड़ सकता है। राज्य की गहलोत सरकार ने इस नियम को समाप्त कर दिया। जिससे अब अनपढ़ व साक्षर पुरुष-महिलाएं भी सरपंच के चुनाव की दौड़ में शामिल हो गए हैं। हालांकि आठवीं पास की अनिर्वायता का भी कइयों ने तोड़ निकालते हुए फर्जी अंकतालिका के दम पर चुनाव लड़ पांच वर्ष का कार्यकाल पूरा कर लिया था। ऐसे कई मामले राज्य में सामने आए भी थे, जिसमें कई जनप्रतिनिधियों को हवालात के पीछे भी जाना पड़ा था।