रेतीले धोरों से पहुंचाया गोला-बारूद
बकौल पांचूसिंह, ‘1971 के युद्ध में दुश्मन से घिरी चौकी पर तैनात 23 पंजाब की अल्फा कंपनी ने करीब एक घण्टे तक स्मॉक फायर से दुश्मन सेना को रोके रखा। उसे 168 फील्ड रेजिमेंट की बैटरी और 185 लाइट रेजिमेंट की भारी मोर्टार फायरिंग कवर नहीं देती तो तस्वीर बदल सकती थी। हमले के महज चौबीस घंटे बाद तोपों में गोला बारूद खत्म हो गया था। इधर, लोंगेवाला चौराहे पर वाहनों का जाम लगा हुआ था। इस बीच हमने युद्ध स्थल तक गोला बारूद पहुंचाने की ठान ली और ट्रक को खेतों के रास्ते रेतीले धोरों से होते हुए तोपों की पॉजिशन तक गोला बारूद पहुंचा दिया। गोला बारूद वहां पहुंचने के बाद जैसलमेर के लोंगेवाला में तैनात हमारे भारतीय सैनिकों ने पाकिस्तान की टैंक रेजिमेंट को नेस्तोनाबूद कर दिया। रेतीले धोरों में पांच दिसम्बर का ही दिन था, जब पाकिस्तान को उल्टे पांव लौटना पड़ा था।
बकौल पांचूसिंह, ‘1971 के युद्ध में दुश्मन से घिरी चौकी पर तैनात 23 पंजाब की अल्फा कंपनी ने करीब एक घण्टे तक स्मॉक फायर से दुश्मन सेना को रोके रखा। उसे 168 फील्ड रेजिमेंट की बैटरी और 185 लाइट रेजिमेंट की भारी मोर्टार फायरिंग कवर नहीं देती तो तस्वीर बदल सकती थी। हमले के महज चौबीस घंटे बाद तोपों में गोला बारूद खत्म हो गया था। इधर, लोंगेवाला चौराहे पर वाहनों का जाम लगा हुआ था। इस बीच हमने युद्ध स्थल तक गोला बारूद पहुंचाने की ठान ली और ट्रक को खेतों के रास्ते रेतीले धोरों से होते हुए तोपों की पॉजिशन तक गोला बारूद पहुंचा दिया। गोला बारूद वहां पहुंचने के बाद जैसलमेर के लोंगेवाला में तैनात हमारे भारतीय सैनिकों ने पाकिस्तान की टैंक रेजिमेंट को नेस्तोनाबूद कर दिया। रेतीले धोरों में पांच दिसम्बर का ही दिन था, जब पाकिस्तान को उल्टे पांव लौटना पड़ा था।
स्मॉक फायर से भी घबरा गए थे दुश्मन
भूतपूर्व सैनिक पांचू सिंह के अनुसार युद्ध के दौरान गोला बारुद खत्म हो गया था और सप्लाई पहुंचा रहे वाहन रोड पर भारी जाम के कारण आगे नहीं बढ़ पा रहे हैं। ऐसे में सेना को दुश्मन पर स्मॉक राउंड फायर करने को कहा। आमतौर पर स्मॉक फायर हमलावर टुकडिय़ों को कवर देने के लिए किया जाता है। स्मॉक फायर देखकर पाकिस्तानी फौज घबरा गई और उन्हें लगा कि भारतीय फौज हमला करते हुए आगे बढ़ रही है। रेतीले धोरों से होते हुए जब गोला बारूद पहुंचा दिया, फिर तो दुश्मन सेना पर आर्टिलरी फायरिंग को धार दे दी गई। हमारे भारी आर्टी फायर से धोरों के पीछे दुबका दुश्मन चमक गया। इसके साथ वायुसेना के हवाई हमलों के बाद तो दुश्मन फौज में जैसे भगदड़ मच गई।
भूतपूर्व सैनिक पांचू सिंह के अनुसार युद्ध के दौरान गोला बारुद खत्म हो गया था और सप्लाई पहुंचा रहे वाहन रोड पर भारी जाम के कारण आगे नहीं बढ़ पा रहे हैं। ऐसे में सेना को दुश्मन पर स्मॉक राउंड फायर करने को कहा। आमतौर पर स्मॉक फायर हमलावर टुकडिय़ों को कवर देने के लिए किया जाता है। स्मॉक फायर देखकर पाकिस्तानी फौज घबरा गई और उन्हें लगा कि भारतीय फौज हमला करते हुए आगे बढ़ रही है। रेतीले धोरों से होते हुए जब गोला बारूद पहुंचा दिया, फिर तो दुश्मन सेना पर आर्टिलरी फायरिंग को धार दे दी गई। हमारे भारी आर्टी फायर से धोरों के पीछे दुबका दुश्मन चमक गया। इसके साथ वायुसेना के हवाई हमलों के बाद तो दुश्मन फौज में जैसे भगदड़ मच गई।
पूरे दिन में महज चार लीटर पानी
पांचूसिंह के अनुसार 1971 के युद्ध के दौरान जवानों को महज चार लीटर पानी मिलता था। इसी में नहाना, धोना और खाना पकाना शामिल था। विपरीत व कठिन परिस्थितियों में भी जवान डटे रहे। इसी से देश को विजय मिली।
पांचूसिंह के अनुसार 1971 के युद्ध के दौरान जवानों को महज चार लीटर पानी मिलता था। इसी में नहाना, धोना और खाना पकाना शामिल था। विपरीत व कठिन परिस्थितियों में भी जवान डटे रहे। इसी से देश को विजय मिली।
टीस ये... युद्ध का आज भी नहीं मिला सम्मान
1971 की लड़ाई में सेंदड़ा के भूतपूर्व सैनिक पांचू सिंह ने अदम्य साहस का परिचय दिया था। युद्ध में अहम भूमिका निभाने के बाद भी सरकारों से 1971 युद्ध के लिए सम्मान की मांग कर रहे हैं। सैनिक कल्याण बोर्ड को कई बार पत्र लिख कर अपने हक का युद्ध सम्मान देने की गुहार लगाई। लेकिन आज तक युद्ध सम्मान नही दिया गया।
1971 की लड़ाई में सेंदड़ा के भूतपूर्व सैनिक पांचू सिंह ने अदम्य साहस का परिचय दिया था। युद्ध में अहम भूमिका निभाने के बाद भी सरकारों से 1971 युद्ध के लिए सम्मान की मांग कर रहे हैं। सैनिक कल्याण बोर्ड को कई बार पत्र लिख कर अपने हक का युद्ध सम्मान देने की गुहार लगाई। लेकिन आज तक युद्ध सम्मान नही दिया गया।