script1857 के स्वर्णिम इतिहास को सहेज रहा आऊवा का पेनोरमा, 161 साल बाद मिला था आऊवा को गौरव | Panorama of the revolution of 1857 created in Auwa in Pali Rajasthan | Patrika News

1857 के स्वर्णिम इतिहास को सहेज रहा आऊवा का पेनोरमा, 161 साल बाद मिला था आऊवा को गौरव

locationपालीPublished: Aug 15, 2019 05:19:45 pm

-पाली जिले के आऊवा में बनाए गए पेनोरमा में ठाकुर कुशालसिंह चांपावत की वीरता का सचित्र वर्णन दर्शाया गया है
Revolution of 1857 :

Panorama of the revolution of 1857 created in Auwa in Pali Rajasthan

1857 के स्वर्णिम इतिहास को सहेज रहा आऊवा का पेनोरमा, 161 साल बाद मिला था आऊवा को गौरव

पाली/आऊवा। पाली जिले के आऊवा गांव में बना पैनोरमा 1857 के स्वाधीनता संग्राम के वीर जाबांजों का स्वर्णिम इतिहास सहेज रहा है। क्रांतिवीरों की कहानियों जानने के लिए पर्यटकों के कदम आऊवा गांव की तरफ खींचे चले आते हैं। पूर्ववर्ती सरकार के कार्यकाल में निर्मित पेनोरमा आकर्कण का केन्द्र बना हुआ है।
पेनारेमा में न केवल आऊवा ठाकुर कुशाल सिंह चांपावत की वीरता का सचित्र वर्णन दर्शाया गया है, बल्कि राजस्थान में हुई 1857 की क्रांति का भी आकर्षक ढंग से चित्रण किया हुआ है। विक्रम सिंह राजपुरोहित ने बताया कि पेनोरमा को निहारने के लिए दूर दूर से लोग आऊवा पहुंचते हैं। इतिहास जानकर उन्हें गौरव का अनुभव होता है। पेनोरमा के निर्माण में करोड़ों का बजट खर्च किया गया। जोधपुरी पत्थर से पूरा निर्माण कराया गया।
161 साल बाद मिला था आऊवा को गौरव
अंग्रेजों द्वारा आऊवा का इतिहास मिटाने की भरपुर कोशिश की गई थी। क्रांतिवीर कुशालसिंह चांपावत का किला भी पूरी तरह से ध्वस्त कर दिया था। आऊवा की आस्था की प्रतीक मां सुगाली की प्रतिमा भी खंडित कर दी थी। ऐतिहासिक विरासत को भी नष्ट किया गया। 161 बाद पेनोरमा के निर्माण से आऊवा का अब गौरव पुन: लौटा है। यहां मां सुगाली की प्रतिमा भी लगाई गई है, जहां आसपास के लोग दर्शन करने आते हैं। आऊवा की क्रांति में सहयोग करने वाले अन्य ठिकानेदारों का इतिहास भी वर्णित है।
कोर्ट मार्शल का दृश्य से फूटता है आक्रोश
अंग्रेजों ने 24 क्रांतिकारियों को कोर्ट मार्शल और मौत के घाट उतार दिया था। यह दृश्य सचित्र वर्णित है। यह दृश्य देखने भर से ही भुजाएं फडक़ उठती है और तत्कालीन अंग्रेज सरकार के विरुद्ध आक्रोश फूट पड़ता है। स्वाधीनता के प्राण न्यौछावर करने वालों के नाम भी यहां अंकित है।
चहुंओर फैले कीर्ति
आऊवा का इतिहास अब तक किताबों तक ही सीमित रहा था। आऊवा को जितनी कीर्ति मिलनी चाहिए थी वह नहीं मिल पाई। पूर्वजों ने बलिदान देकर देश की आजादी में भूमिका निभाई थी। पाली जिले का अगर कोई गौरव है तो वह आऊवा है। जिसने स्वाभिमान के खातिर अपने आप को देश के लिए समर्पित कर दिया। -पुष्पेन्द्रसिंह चांपावत, वंशज (कुशालसिंह चांपावत )।
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