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सेवा का जज्बा : अज्ञात शवों का अंतिम संस्कार करने के साथ ही गंगा में विसर्जित करते हैं अस्थियां

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पालीJan 21, 2020 / 06:02 pm

Suresh Hemnani

सेवा का जज्बा : अज्ञात शवों का अंतिम संस्कार करने के साथ ही गंगा में विसर्जित करते हैं अस्थियां

पाली/रायपुर मारवाड़। सेवा का जज्बा देखना हो तो कभी रायपुर जाएं। इस कस्बे में हिन्दू सेवा मंडल से जुड़े सदस्य अज्ञात शवों का न केवल विधिविधान से अंतिम संस्कार करते हैं बल्कि साल में एक बार उन अपरिचितों की अस्थियों को हरिद्वार ले जाकर गंगा में उनका सामूहिक विसर्जन भी करते हैं। जी हां, मंडल के सदस्य ऐसा पिछले कई वर्षों से कर रहे हैं। इससे जिले में इस मंडल की अलग पहचान बन चुकी है।
कस्बे से होकर ब्यावर पिंडवाड़ा फोरलेन गुजरता है। वहीं रेलवे मार्ग की बात करें तो कस्बे से तीन किलोमीटर दूर हरिपुर स्टेशन से जयपुर-अहदाबाद के बीच चलने वाली ट्रेने भी गुजरती हैं। ऐसे में आए दिन होने वाले हादसों में दर्जनों ऐसे लोग भी काल के ग्रास बन जाते हैं जिनकी पुलिस के अथक प्रयास के बाद भी शिनाख्त नहीं हो पाती है। पुलिस ऐसे शवों को हिन्दू सेवा मंडल को सुपुर्द कर देता है।
इस तरह करते हैं अंतिम संस्कार
हिन्दू सेवा मंडल के सदस्य मोर्चरी से शव को सम्मान पूर्वक श्मशान तक ले जाते हैं। जहां विधिविधान के साथ अंतिम संस्कार की क्रिया कर अग्रि देकर दाह संस्कार किया जाता है। अंतिम संस्कार के बाद मंडल के सदस्य दिवंगत आत्मा की शांति के लिए दान पुण्य भी करते हैं।
साल में एक बार सामूहिक विसर्जन
कस्बे में सार्वजनिक श्मशान के अलावा विविध जाति वर्ग के कुछ छह श्मशान हैं। मंडल के सदस्य वर्ष में एक बार इन सभी छह श्मशान से अस्थियों को एकत्रित करते हैं। मंडल से जुड़े दो दर्जन सदस्य उन अस्थियों को लेकर ट्रेन के जरिए हरिद्वार ले जाते हैं। जहां विधिविधान से उन अस्थियों का सामूहिक रूप से विसर्जन करते हैं। हिन्दू संस्कृति के अनुसार हरिद्वार में अस्थी विसर्जन के बाद ये मंडल सदस्य पुष्कर पहुंच वहां भी विधिविधान से पूजन कर दिवंगत आत्मा की शांति के लिए पूजा अर्चना करते हैं।
अधिकांश व्यापारी शामिल
कस्बे के हिन्दू सेवा मंडल से जुड़े दो दर्जन से अधिक सदस्यों में से भी अधिकांश व्यापारी हैं। जो इस सेवा के दिन अपने प्रतिष्ठान बंद रख पूर्ण निष्ठा से सेवा कर्म कर रहे हैं। इस मंडल में कालूराम छीपा, मदन लाल कुमावत, सोहनलाल लखारा, देवराज गौड़, मुकेश सिंह सांखला सहित दो दर्जन से अधिक सदस्य शामिल हैं।
श्वान व गायों की सेवा में भी अग्रणी
ये मंडल प्रत्येक माह की अमावस व पूर्णिमा के दिन बाजार में व्यापारियों से सहयोग राशि एकत्रित करते हैं। इस राशि से अमावस के दिन श्वानों के लिए रोटी सहित अन्य व्यंजन बनाते हैं। जिसे मुख्य बाजार सहित गली-गली जाकर श्वानों को परोसते हैं। पूर्णिमा के दिन गायों को चारा व जंगल में जाकर बंदरों को भोजन भी कराते हैं।
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