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बदनाम बस्ती के आधे से ज्यादा युवा कुंवारे

locationपालीPublished: Sep 14, 2017 01:32:05 pm

Submitted by:

Om Prakash Tailor

शादी से ज्यादा बेटियों से गंदा काम करवाने में रुचि ले रहे परिजन

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पाली
बेटी की पढ़ाई-लिखाई पूरी होने के बाद उसके हाथ पीले करना परिजनों की प्रमुख जिम्मेदारियों में शामिल होता है। लेकिन, मूलियावास के निकट आबाद साटिया जाति के डेरे के अधिकतर लोग बेटियों की शादी की अपेक्षा उनसे गंदा काम करवाना ज्यादा पसंद करते है। ऐसे में बहुएं नहीं मिलने से इस बस्ती के अधिकतर युवा अविवाहित ही घूमते रहे हैं।
प्रथा के नाम पर ही साटिया जाति के लोग अपनी बहन-बेटियों को पढ़ाई-लिखाई की उम्र में ही इस गंदे काम में लगा देते है। इस धंधे में होने वाली कमाई के चलते बस्ती के अधिकतर लोग अपनी बेटियों की शादी तक नहीं करते। ऐसे में इस बस्ती के ३०-४० युवा वर्तमान में कुंवारे है। कम पढ़े लिखे होने के कारण इस बस्ती के कई युवा बेरोजगार है। तो कई जने मजदूरी एवं मवेशियों को खरीदने बेचने काम करते है, लेकिन इसमें इतना नहीं कमाते कि घर खर्च चला सके। एेसे में बहन-बेटियों के भरोसे ही इस बस्ती के अधिकतर घरों का गुजारा होता है।
बेटे वालों को देना पड़ता है नजराना
नाम नहीं प्रकाशित करने की शर्त पर मोहल्ले की एक महिला ने बताया कि यहां के अधिकांश युवा अविवाहित है। कारण कि जिनके बेटियां हैं, वे कमाई के चक्कर में उनकी शादी करवाने की अपेक्षा यह गंदा काम करवाना पसंद करते है। इसके चलते अंदर ही अंदर एक प्रथा और शुरू हो गई कि लड़के की शादी करना है तो लड़की की परिजनों को तीन से पांच लाख रुपए तक का नजराना तक देना पड़ता है। तब जाकर शादी हो
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पाती है।
इधर, बस्ती में छाया सन्नाटा
राजस्थान पत्रिका के ११ सितम्बर के अंक में ‘पीढिय़ों से चल रहा देह व्यापार अब बन गया कुप्रथाÓ व १२ सितम्बर के अंक में ‘कुप्रथा निभाने हसरतों को भूल ‘कठपुतली बनीं बेटिया शीर्षक से समाचार प्रकाशित होने के बाद पुलिस हरकत में आई। ग्रामीण वृत्ताधिकारी नरेन्द्र शर्मा के नेतृत्व में टीम ने इस बस्ती पर मंगलवार शाम को दबिश देकर तीन युवतियों व दो युवकों को पकडऩे की कार्रवाई की। इसके चलते बुधवार को बस्ती में सन्नाटा पसरा नजर आया। सड़कों के किनारे खड़ी होकर आने-जाने वालों को रोकने वाली लड़कियां बुधवार को नजर नहीं आई।
जानिए आखिर क्यों इन बस्ती की बेटियां को पांचवी से आगे नहीं पढ़ाया जाता


कार्रवाई नहीं सम्बल की जरुरत
पुलिस ने मंगलवार को कार्रवाई कर बस्ती की तीन युवतियों को पकड़ा लेकिन होना यह चाहिए था कि किसी स्वयंसेवी संस्थाओं के माध्यम से काउंसलिंग करवाकर इनको इस धंधे से छुटकारा दिलाया जाए। सरकारी योजनाओं का लाभ देकर इनको समाज की मुख्यधारा में लाने का प्रयास किया जाए। जिससे की यह गंदा काम छोड़कर समाज की मुख्य धारा में शामिल हो सके और एक इज्जत भरी जिदंगी जी सके।

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