दरअसल, राजस्थान पत्रिका के 13 अगस्त के अंक में ‘रात गहराने के साथ ही सडक़ों पर बढ़ता खतरा, इंसानी जिंदगी के साथ बेजुबानों पर भी संकट’ शीर्षक से समाचार प्रकाशित कर इस गंभीर मुद्दे को उजागर किया गया था। इसमें बताया गया था रात होते ही किस प्रकार ये मवेशी वाहन चालकों के लिए हादसे का सबब बन चुके हैं। इससे इंसानी जिंदगियों को तो खतरा पैदा हो ही रहा है, खुद मवेशियों की जान भी संकट में हैं। हालांकि, इसमें प्रशासनिक स्तर पर तो जाग नहीं हुई, लेकिन शहर के कुछ जागरूक लोगों ने जरूर इस दिशा में कदम बढ़ाया। इसका ही असर रहा कि पहले पार्षद किशोर सोमनानी के नेतृत्व में व्यापारियों ने मवेशियों के सिंगों पर रिफ्लेक्टर लगाने का काम शुरू किया। अब अन्य लोग भी इससे जुडऩे लगे हैं।
मवेशियों के कारण ही पिकअप पलटी रामासिया के निकट पिकअप पलटने का गुरुवार को जो हादसा हुआ, उसमें भी मवेशी ही प्रमुख कारण है। इस हादसे में भी 16 जातरू घायल हो गए। पहले भी मवेशियों के कारण कई हादसे हो चुके हैं।
सडक़ों पर हादसे टालने आगे आए लोग राजस्थान पत्रिका की पहल पर गुरुवार रात 12 बजे युवा कांग्रेस के लोकसभा महासचिव मनीष राठौड़ के नेतृत्व में शहर के कुछ जागरूक लोगों ने बेसहारा मवेशियों के सिंगों पर रेडियम रिफ्लेक्टर लगाने का बीड़ा उठाया। शहर के नया बस स्टैण्ड क्षेत्र में सडक़ों पर बैठे करीब 55 गोवंश के सिंगों पर रेडियम की पट्टियां लगाई गई। सडक़ों पर हादसे टालने की इस मुहिम में पिंटू मामा, आबिद, दिलदार, ललित भाटी, दानिश, इदरिश, मोहम्मद अजहरूद्दीन, फरहान, मो. शाहिद, आसिफ अंसारी, महेश परिहार, विजय देवड़ा, सुखदेवसिंह, जावेद, राजू, रमजान, फिरोज, शाहदत पठान सहित कई लोगों ने भागीदारी निभाई।