ज्ञात रहे कि एसएनसीयू वार्ड की व्यवस्थाओं में कमी को लेकर राजस्थान पत्रिका लगातार समाचार प्रकाशित कर रहा है। गुरुवार के अंक में राजस्थान पत्रिका ने ‘सांझ ढलते ही बन आती है मासूमों की जान पर!’ शीर्षक से समाचार प्रकाशित किया था। जिसमें बताया कि रात्रि की शिफ्ट में महज एक नर्सिंगकर्मी के भरोसे एनएससीयू वार्ड में भर्ती सभी बच्चों के देखभाल की जिम्मेदारी रहती है।
किसी बच्चे की तबीयत बिगड़ती है तो कॉल पर चिकित्सक आते है। इस अवधि में बच्चे की जान भी जा सकती है। राजस्थान पत्रिका में समाचार प्रकाशित होने पर अस्पताल प्रबंधन हरकत में आया ओर एक चिकित्सक को रात्रि शिफ्ट में वार्ड में तैनात किया।