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बिना दवा और सर्जरी से उपचार की विधि है फिजियोथेरेपी, जानिए कैसे

-फिजियोथेरेपी दिवस विशेष

पालीSep 08, 2018 / 01:01 pm

Suresh Hemnani

बिना दवा और सर्जरी से उपचार की विधि है फिजियोथेरेपी, जानिए कैसे

पाली। फिजियोथैरेपी आजकल उपचार की एक प्रमुख विधि के रूप में लोकप्रिय हो रही है। खासकर सर्द या बदलते मौसम में फिजियोथैरेपी कराने वाले लोगों को कुछ बातों का ध्यान जरूर रखना चाहिए। फिजियोथैरेपी ऐसी चिकित्सा पद्घति है, जिसमें दवाओं, इंजेक्शन और ऑपरेशन की आवश्यकता तो नहीं पड़ती, पर नियमितता और संयम काफी मायने रखते हैं। फिर चाहे मौसम सर्द हो या मौसम में बदलाव आ रहा हो। इसका एक पहलु यह भी है कि प्रचार-प्रसार के अभाव में ग्रामीण क्षेत्रों में आज भी लोग इस पद्धति का ज्यादा उपयोग नहीं करते। जबकि चिकित्सा पद्धति के करीब 30 प्रतिशत बीमारियों के इलाज में फिजियोथैरेपी की जरुरत पड़ती है। चाहे फिर कन्जरवेटिव इलाज हो या सर्जिकल या ऑपरेशन के बाद हो। इस पद्धति से बिना दवा, सर्जरी के मरीजों की बीमारी का इलाज किया जाता है।
फिजियोथैरेपी तीन तरह की होती है। पहली मशीनों की सहायता से यानी इलेक्ट्रो थैरेपी जिसमें प्रमुख तौर पर टेंस, ट्रैक्शन, आइएफटी, लेजर, अल्ट्रासोनिक आदि मशीनों का इस्तेमाल होता है। दूसरी एक्सरसाइज थैरेपी जिसमें व्यायाम एवं कसरत करवा कर बीमारी का इलाज किया जाता है। तीसरी थैरेपी है मेन्यूअल थैरेपी इसमें फिजियोथैरेपिस्ट अपने हाथों की टैक्निक से रोग का उपचार करता है।
किस मौसम में कारगर
मौसम परिवर्तन के समय मांसपेशियों और जोड़ों में जकडऩ बढ़ जाती है। ऐसे में उन लोगों की मुश्किल अधिक बढ़ जाती है, जिन्हें इनसे संबंधित कोई परेशानी हो। इसलिए फिजियोथैरेपी द्वारा इलाज का महत्व बढ़ जाता है। अमूमन स्पॉन्डिलाइटिस, पार्किंसन और आर्थराइटिस वालों को इस मौसम में अधिक परेशानी होती है। इस उपचार प्रक्रिया से सकारात्मक असर होता है।
इलाज में नियमितता
इस बात में दो राय नहीं कि इसमें दवा की जरूरत नहीं होती, पर इस प्रक्रिया से इलाज करवाते समय संयम रखना और नियमित रूप से उपचार करवाना अनिवार्य होता है। फ्रोजन शोल्डर जैसे रोगों से ग्रस्त लोगों के लिए यह नियमितता और भी जरूरी है। इस उपचार में फिजियोथेरेपी सेंटर जाकर उपचार करवाना पड़ता है। ये विधि काफी फायदेमंद है।
इन बीमारियों में फिजियोथैरेपी कारगर
– हड्डी एवं जोड़ रोग (घुटना दर्द, कमर दर्द ओर ऑपरेशन के बाद इलाज)
– तंत्रिका तंत्र की बीमारियां लकवा, एवं सरेब्रल पाल्सी
– कार्डियोथोरिसिक बीमारियां ऑपरेशन के बाद थेरेपी
– स्पोट्र्स ट्रोमा के बाद थैरेपी
– प्लास्टिक सर्जरी एवं बर्न के बाद थेरेपी
गेस्ट राइटर-डॉ. मनीष परिहार, सीनियर फिजियोथेरेपिस्ट, मेडिकल कॉलेज, पाली

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