रायपुर मारवाड़। जैतारण सर्कल के विविध गांवों में स्थापित पुलिस चौकी के हाल देख हर किसी का दंग हो जाना आम हो गया है। गांवों में बढते अपराध पर अंकुश लगाने के लिए स्थापित कर रखी पुलिस चौकी के पास खुद भवन नहीं है। कहीं पर पंचायत के भवन में तो कहीं फैक्ट्री के कमरे में पुलिस चौकी संचालित की जा रही है। यहां संसाधन का टोटा होने के साथ ही गिनेचुने पुलिसकर्मी चौकी की औपचारिकता का निवर्हन कर रहे हैं।
सर्कल पर एक नजर
जैतारण सर्कल में पांच पुलिस थाने हैं। जिनमें जैतारण, रायपुर, आनंदपुर कालू, रास, सेंदड़ा पुलिस थाना शामिल है। इन पुलिस थानों के अधीन दस पुलिस चौकी हैं। इनमें अधिकांश पुलिस चौकी के पास खुद का भवन नहीं है। इससे वे सहयोग के भवन में संचालित की जा रही हैं। एक भी पुलिस चौकी ऐसी नहीं है जहां पर्याप्त स्टाफ लगा रखा है। वाहन के नाम पर इनके पास बाइक है। जबकि हथियार के नाम पर डंडे दे रखे हैं। वायरलेस सुविधा कहीं पर है तो कहीं नेटवर्क की परेशानी रहती है। इन चौकियों में पदस्थापित पुलिसकर्मियों को कई परेशानी से रोजाना रूबरू होना पड़ता
है।
जैतारण सर्कल में पांच पुलिस थाने हैं। जिनमें जैतारण, रायपुर, आनंदपुर कालू, रास, सेंदड़ा पुलिस थाना शामिल है। इन पुलिस थानों के अधीन दस पुलिस चौकी हैं। इनमें अधिकांश पुलिस चौकी के पास खुद का भवन नहीं है। इससे वे सहयोग के भवन में संचालित की जा रही हैं। एक भी पुलिस चौकी ऐसी नहीं है जहां पर्याप्त स्टाफ लगा रखा है। वाहन के नाम पर इनके पास बाइक है। जबकि हथियार के नाम पर डंडे दे रखे हैं। वायरलेस सुविधा कहीं पर है तो कहीं नेटवर्क की परेशानी रहती है। इन चौकियों में पदस्थापित पुलिसकर्मियों को कई परेशानी से रोजाना रूबरू होना पड़ता
है।
यहां नहीं है खुद का भवन
जैतारण थाने के अधीन तीन पुलिस चौकी हैं। जिनमें निमाज व कुशालपुरा के पास खुद का भवन है। जबकि निम्बोल गांव में पुलिस चौकी सीमेंट फैक्ट्री के एक कैबिननुमा कमरे में संचालित की जा रही है। आनंदपुर कालू थाने के अधीन दो पुलिस चौकी हैं। जिनमें बलाड़ा व लांबिया ग्राम पंचायत के भवन में चल रही है। रास थाने के अधीन भी तीन पुलिस चौकी हैं। इनमें कुडक़ी चौकी ग्राम पंचायत के अधीन दो कमरों में चल रही है। सेंदड़ा थाने के अधीन एक पुलिस चौकी है जो पहाड़ी क्षेत्र के बगड़ी गांव में है। ये चौकी ग्राम पंचायत भवन के एक कमरे में चल रही है।
जैतारण थाने के अधीन तीन पुलिस चौकी हैं। जिनमें निमाज व कुशालपुरा के पास खुद का भवन है। जबकि निम्बोल गांव में पुलिस चौकी सीमेंट फैक्ट्री के एक कैबिननुमा कमरे में संचालित की जा रही है। आनंदपुर कालू थाने के अधीन दो पुलिस चौकी हैं। जिनमें बलाड़ा व लांबिया ग्राम पंचायत के भवन में चल रही है। रास थाने के अधीन भी तीन पुलिस चौकी हैं। इनमें कुडक़ी चौकी ग्राम पंचायत के अधीन दो कमरों में चल रही है। सेंदड़ा थाने के अधीन एक पुलिस चौकी है जो पहाड़ी क्षेत्र के बगड़ी गांव में है। ये चौकी ग्राम पंचायत भवन के एक कमरे में चल रही है।
जमीन है पर निर्माण का बजट नहीं
सर्कल के दस थानों में से कई गांवों की चौकी के भवन निर्माण के लिए राजस्व विभाग ने जमीन तो आवंटित कर रखी है लेकिन बजट के अभाव में भवन निर्माण आज तक शुरू नहीं हो सका। जबकि कई गांवों में पुलिस चौकी अस्थायी है।
सर्कल के दस थानों में से कई गांवों की चौकी के भवन निर्माण के लिए राजस्व विभाग ने जमीन तो आवंटित कर रखी है लेकिन बजट के अभाव में भवन निर्माण आज तक शुरू नहीं हो सका। जबकि कई गांवों में पुलिस चौकी अस्थायी है।
बजट नहीं मिला तो कई अस्थायी है
सर्कल में चल रही पुलिस चौकियों में से कई अस्थायी हैं। जो स्थायी चौकी हैं वहां भवन निर्माण के लिए जमीन तो आंवटित हो रखी है लेकिन बजट के अभाव में निर्माण नहीं हो सका। जिन चौकियों में संसाधनों की कमी है वहां पता कर उचित व्यवस्था कराएंगे। -वीरेन्दसिंह राठौड़, डीएसपी, जैतारण
सर्कल में चल रही पुलिस चौकियों में से कई अस्थायी हैं। जो स्थायी चौकी हैं वहां भवन निर्माण के लिए जमीन तो आंवटित हो रखी है लेकिन बजट के अभाव में निर्माण नहीं हो सका। जिन चौकियों में संसाधनों की कमी है वहां पता कर उचित व्यवस्था कराएंगे। -वीरेन्दसिंह राठौड़, डीएसपी, जैतारण
रणकपुर चौकी में सुरक्षा देने वाले जवान खुद असुरक्षित
सादड़ी। सैलानियों सहित वीआईपी अतिथियों की सुरक्षा को लेकर तैनात किए पुलिस जवान अपने आप को असुरक्षित महसूस करते हैं। रहवास की पर्याप्त सुविधाएं नहीं होने पर पुलिस थाने में अपनी सेवाएं दे रहे हैं। राणकपुर पुलिस चौकी राणकपुर पेढ़ी की ओर से उपलब्ध करवाए गए एक कक्ष में संचालित हो रही है। इसमें थानेदार या एक पुलिस जवान ही ढंग से निवास कर सकता है। यहां थानेदार सहित 6 पुलिस जवानों की नफरी वाला पुलिस जाप्ता स्वीकृत है। यह चौकी आज एक पुलिस जवान के भरोसे चल रही है। अन्य तीन जवान थाने में डयूटी दे रहे हैं। थानेदार सहित जवानों के दो पद रिक्त हैं। कैसी भी बड़ी अनहोनी के दौरान कार्रवाई पुलिस थाने पहुंचने पर सम्भव होती है।
सादड़ी। सैलानियों सहित वीआईपी अतिथियों की सुरक्षा को लेकर तैनात किए पुलिस जवान अपने आप को असुरक्षित महसूस करते हैं। रहवास की पर्याप्त सुविधाएं नहीं होने पर पुलिस थाने में अपनी सेवाएं दे रहे हैं। राणकपुर पुलिस चौकी राणकपुर पेढ़ी की ओर से उपलब्ध करवाए गए एक कक्ष में संचालित हो रही है। इसमें थानेदार या एक पुलिस जवान ही ढंग से निवास कर सकता है। यहां थानेदार सहित 6 पुलिस जवानों की नफरी वाला पुलिस जाप्ता स्वीकृत है। यह चौकी आज एक पुलिस जवान के भरोसे चल रही है। अन्य तीन जवान थाने में डयूटी दे रहे हैं। थानेदार सहित जवानों के दो पद रिक्त हैं। कैसी भी बड़ी अनहोनी के दौरान कार्रवाई पुलिस थाने पहुंचने पर सम्भव होती है।
ये है जिम्मेदारी
अरावली पर्वतमालाओं से निकलने वाली सडक़ों से तस्करी वारदात पर अकुंश, विश्वविख्यात राणकपुर जैन मन्दिर की सुरक्षा, यहां पहुंचने वाले सैलानियों व वीआईपी की सुरक्षा, प्रोटोकॉल आदि के लिए राणकपुर चौकी की स्थापना वर्ष 2007 में पूर्व गृहमन्त्री गुलाबचन्द कटारिया ने की थी। सेठ आणन्दजी कल्याणजी पेढ़ी ने धर्मशाला का एक कक्ष जिसमें किचन व लेट्रीन बाथरूम बनाकर दिए। इसमें 11 साल से यह चौकी संचालित हो रही है।
अरावली पर्वतमालाओं से निकलने वाली सडक़ों से तस्करी वारदात पर अकुंश, विश्वविख्यात राणकपुर जैन मन्दिर की सुरक्षा, यहां पहुंचने वाले सैलानियों व वीआईपी की सुरक्षा, प्रोटोकॉल आदि के लिए राणकपुर चौकी की स्थापना वर्ष 2007 में पूर्व गृहमन्त्री गुलाबचन्द कटारिया ने की थी। सेठ आणन्दजी कल्याणजी पेढ़ी ने धर्मशाला का एक कक्ष जिसमें किचन व लेट्रीन बाथरूम बनाकर दिए। इसमें 11 साल से यह चौकी संचालित हो रही है।
खौड़ की बालिका स्कूल में पुलिसकर्मियों ने लिया संरक्षण, नया
गुंदोज। निकट खौड़ गांव में 10 वर्षों से अधिक समय से बालिका स्कूल के भवन में पुलिस चौकी चल रही है। राज्य सरकार द्वारा 2011 में 11 लाख की लागत में एक कंपनी द्वारा पुलिस भवन का निर्माण किया गया। नया भवन खंडहर में तब्दील हो गया है। उसके बावजूद भी नए भवन में पुलिस चौकी स्थानान्तरित नहीं हो पाई है। सरपंच राजेश्वरी मेडतिया ने बताया कि कई बार ग्राम पंचायत के प्रस्ताव की कॉपी पुलिस अधीक्षक को भेजी गई उसके बावजूद भी बालिका स्कूल का भवन पुलिस चौकी ने खाली नहीं किया है। बालिकाएं राजकीय प्राथमिक विद्यालय के भवन में पढ़ रही हैं। भवन की समस्या आ रही है।
गुंदोज। निकट खौड़ गांव में 10 वर्षों से अधिक समय से बालिका स्कूल के भवन में पुलिस चौकी चल रही है। राज्य सरकार द्वारा 2011 में 11 लाख की लागत में एक कंपनी द्वारा पुलिस भवन का निर्माण किया गया। नया भवन खंडहर में तब्दील हो गया है। उसके बावजूद भी नए भवन में पुलिस चौकी स्थानान्तरित नहीं हो पाई है। सरपंच राजेश्वरी मेडतिया ने बताया कि कई बार ग्राम पंचायत के प्रस्ताव की कॉपी पुलिस अधीक्षक को भेजी गई उसके बावजूद भी बालिका स्कूल का भवन पुलिस चौकी ने खाली नहीं किया है। बालिकाएं राजकीय प्राथमिक विद्यालय के भवन में पढ़ रही हैं। भवन की समस्या आ रही है।