बुरे फंसे नेताजी
जैतारण विधानसभा क्षेत्र में कांग्रेस के एक युवा नेताजी बुरे फंस गया। फंसे भी ऐसे हैं कि दूर-दूर तक बचने का रास्ता नहीं दिख रहा। अक्सर सफेदझख लिबाज में दिखने वाले युवा नेताजी के दामन पर गहरे दाग लगे हैं। जिन्हें मिटा पाना आसान काम नहीं रहा। आरोप है कि किसानों और सरकार को करोड़ों का चूना लगा दिया। अब नेताजी भागते फिर रहे। चर्चा तो यह भी है कि पिछले विधानसभा चुनावों में दावेदारी करना युवा नेताजी को महंगा पड़ गया। इसी क्षेत्र के पुरानी कांग्रेसी नेता तभी से खा-पीकर पीछे पड़े हैं। दाल काली है या दाल में काला, ये तो पड़ताल पूरी होने के बाद खुलासा हो ही जाएगा।
जैतारण विधानसभा क्षेत्र में कांग्रेस के एक युवा नेताजी बुरे फंस गया। फंसे भी ऐसे हैं कि दूर-दूर तक बचने का रास्ता नहीं दिख रहा। अक्सर सफेदझख लिबाज में दिखने वाले युवा नेताजी के दामन पर गहरे दाग लगे हैं। जिन्हें मिटा पाना आसान काम नहीं रहा। आरोप है कि किसानों और सरकार को करोड़ों का चूना लगा दिया। अब नेताजी भागते फिर रहे। चर्चा तो यह भी है कि पिछले विधानसभा चुनावों में दावेदारी करना युवा नेताजी को महंगा पड़ गया। इसी क्षेत्र के पुरानी कांग्रेसी नेता तभी से खा-पीकर पीछे पड़े हैं। दाल काली है या दाल में काला, ये तो पड़ताल पूरी होने के बाद खुलासा हो ही जाएगा।
पोस्टर पॉलिटिक्स
भाजपा में पोस्टर पॉलिटिक्स शुरू हुई है। मजे की बात यह है कि राष्ट्रीय स्तर के नेता के गृह जिले में पूर्व मुख्यमंत्री की तरफदारी के पोस्टर अभियान का आगाज हुआ। आसपास के जिलों में भी इसका असर पड़ा है। इसको लेकरपूर्व मुख्यमंत्री समर्थक खासे उत्साहित है। वे पोस्टर अभियान को पूरे जिले में छेडऩे के मूड में हैं। ‘ना काहू से दोस्ती, ना काहू से बैर’ वाली विचारधारा के पदाधिकारी-कार्यकर्ताओं ने चुप्पी साध रखी है। यहां पूर्व मुख्यमंत्री के समर्थकों की तादाद भी लम्बी है तो विरोधियों की भी कमी नहीं। ऐसे में पोस्टर पॉलिटिक्स कहां तक असर छोड़ेगी, यह समय बताएगा।
भाजपा में पोस्टर पॉलिटिक्स शुरू हुई है। मजे की बात यह है कि राष्ट्रीय स्तर के नेता के गृह जिले में पूर्व मुख्यमंत्री की तरफदारी के पोस्टर अभियान का आगाज हुआ। आसपास के जिलों में भी इसका असर पड़ा है। इसको लेकरपूर्व मुख्यमंत्री समर्थक खासे उत्साहित है। वे पोस्टर अभियान को पूरे जिले में छेडऩे के मूड में हैं। ‘ना काहू से दोस्ती, ना काहू से बैर’ वाली विचारधारा के पदाधिकारी-कार्यकर्ताओं ने चुप्पी साध रखी है। यहां पूर्व मुख्यमंत्री के समर्थकों की तादाद भी लम्बी है तो विरोधियों की भी कमी नहीं। ऐसे में पोस्टर पॉलिटिक्स कहां तक असर छोड़ेगी, यह समय बताएगा।