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बेघरो के सिर आशियाना सजाने को शुरू हुई प्रधानमंत्री आवास योजना ग्रामीण में सरकारी कारिन्दे एेसे दिखा रहे है बाजीगरी…यहां पढे़ खबर

locationपालीPublished: May 18, 2018 12:58:27 pm

Submitted by:

rajendra denok

– बेघरों के सिर पर आशियाना सजाने के आंकड़ों में ही विरोधाभास
– न्याय आपके द्वार अभियान तथा आवास सॉफ्ट बता रहे अलग-अलग कहानी

प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत ग्रामीण क्षेत्रों में जरूरतमंदों को अपना पक्का घर बनाने के लिए १.२० लाख रुपए की राशि स्वीकृत की जाती है

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पाली. बेघरों के सिर पर आशियाना सजाने के लिए शुरू की गई प्रधानमंत्री आवास योजना (ग्रामीण) के आंकड़ों में सरकारी कारिन्दे बाजीगरी दिखा रहे हैं। ये बाजीगरी प्रदेश में चल रहे न्याय आपके द्वार अभियान के तहत आयोजित शिविरों में दिखाई जा रही है। अब ग्रामीण विकास एवं पंचायतीराज विभाग ने सभी जिला परिषदों के सीईओ को पत्र लिखकर इसके लिए चेताया है। इस योजना से ‘आवास सॉफ्टÓ सीधे तौर पर लिंक है। योजना के तहत प्रदेश में जितने आवास मंजूर हुए हैं या जितने आवासों के लिए किस्त जारी की जा चुकी हैं, उसकी प्रगति आवास सॉफ्ट पर प्रदर्शित करने का नियम है। जबकि, अभियान के दौरान आयोजित शिविरों में योजना को लेकर हासिल की जा रही प्रगति के आंकड़े आवास सॉफ्ट से मेल नहीं खा रहे हैं।
सही आंकड़े कौनसे?

योजना की राज्य स्तर पर हाल ही में हुई समीक्षा में आंकड़ों की सरकारी कलाबाजी उजागर हो गई। एक से दस मई के बीच शिविरों की प्रगति में वर्ष 2018-19 में 14921 आवास स्वीकृति, दूसरी किस्त के लिए निरीक्षण 16164, तीसरी किस्त के लिए निरीक्षण 14000 तथा पूरे हो चुके आवास के लेवल 7 के निरीक्षण की संख्या 16686 अपलोड की गई है। जबकि, आवास सॉफ्ट पर पूरे राज्य की प्रगति के अनुसार अभियान के दौरान वर्ष 2018-19 में 16395 आवास स्वीकृति, दूसरी किस्त के लिए निरीक्षण 3438, तीसरी किस्त के लिए निरीक्षण 11373 एवं पूर्ण आवासों के लेवल 7 के निरीक्षण की संख्या 10255 प्रदर्शित हो रही है। इनमें से सही आंकड़े कौनसे हैं, इसे लेकर ग्रामीण विकास एवं पंचायतीराज विभाग पशोपेश में है।
ऑनलाइन अपडेशन में लापरवाही

अभियान के दौरान आयोजित शिविरों में विभाग के कार्मिकों को आवास योजना के तहत गतिविधियों व शिविर स्थल से ही शिविर के दौरान अर्जित उपलब्धियों को नामित कार्मिक/अधिकारी की ओर से ऑनलाइन अपलोड करने के निर्देश दिए गए थे। विभाग ने माना है कि इसकी पालना नहीं हो रही है। अब विभाग ने सभी सीईओ को चेताया है कि वे पर्यवेक्षण कर आंकड़ों के इस विरोधाभास को दूर करें। साथ ही, विकास अधिकारी या अन्य नामित अधिकारियों को पाबंद करें कि 30 अप्रेल के बाद हासिल प्रगति को शिविर स्थल से ही ऑनलाइन अपलोड करवाएं।
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