scriptकोरोना ने जॉब छीना तो पाली आकर तराशा बच्चों का हुनर | Pranjal taught children pencil sketch painting in Pali | Patrika News

कोरोना ने जॉब छीना तो पाली आकर तराशा बच्चों का हुनर

locationपालीPublished: Dec 26, 2020 08:05:01 am

Submitted by:

Suresh Hemnani

-महावीर नगर निवासी प्रांजल ने बच्चों को सिखाई पेंसिल स्कैच पेंटिंग

कोरोना ने जॉब छीना तो पाली आकर तराशा बच्चों का हुनर

कोरोना ने जॉब छीना तो पाली आकर तराशा बच्चों का हुनर

पाली। कोरोना काल ने कई लोगों का रोजगार छीन लिया तो कइयों का बजनेस मंदा हो गया। ऐसे समय में भी कुछ लोगों ने हिम्मत नहीं हारी और अपने हुनर से हर मुश्किल को हरा दिया। ऐसी ही एक शख्सियत है पाली के महावीर नगर की रहने वाली रमेश चौपड़ा व संतोष चौपड़ा की बेटी प्रांजल चौपड़ा।
लॉक डाउन लगने से पहले प्रांजल जयपुर में ज्वैलरी डिजाइन का कार्य करती थी। कोरोना में लॉकडाउन लगने पर घर लौटना पड़ा। ज्वैलरी डिजाइन का कार्य बंद हो गया। इस पर स्क्रैचिंग करने की अपनी कला से नया अध्याय शुरू किया। शहर में रहने वाले बच्चों को भी यह कला सिखानी शुरू की। पिछले आठ-नौ माह में अब तक वे शहर के करीब 25 बच्चों को यह कला सीखा चुकी है।
बच्चों को मिली नहीं राह
बकौल प्रांजल कहती है कि उन्हें बचपन से स्कैच बनाने का शौक था। इसी के चलते वे ज्वैलरी डिजाइनर बनी। जब लॉक डाउन लगी तो उन्होंने यह कला बच्चों को सिखाना शुरू किया। जिससे बच्चों को जीवन में नई राह मिले और बड़े होने पर रोजगार के अवसर भी प्राप्त हो सके। वे बताती है कि बच्चा सामान्य रूप से दो माह में स्कैचिंग सीख सकता है।
जीवंतता होना जरूरी
उनका कहना है कि स्कैंचिंग करने पर सबसे बड़ी बात यह है कि उसमें जीवंतता होनी चाहिए। उन्होंने तो खुद ही इस कला को सीखा। वे स्कैच बनाते समय हर छोटी से छोटी चीज का ध्यान रखती है। जिससे स्कैच तैयार होने पर वह पूरी तरह से संजीव लगे। लोग उस पर से नजर नहीं हटा सके। ऐसा ही करना उन्होंने अपने यहां आने वाले बच्चों को भी सिखाया है।

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