कृषि वैज्ञानिकों ने गेहूं की नई किस्म करण वंदना डीबीडब्लू 187 विकसित की है। इस किस्म में रोग प्रतिरोधी क्षमता ज्यादा है। साथ ही अधिक उपज देने की क्षमता है। कृषि वैज्ञानिकों की माने तो गेहूं की यह किस्म किसानों के लिए उपयुक्त है।
कृषि वैज्ञानिक डॉ. महेन्द्र चौधरी के मुताबिक इस किस्म में अधिक पैदावार देने की क्षमता है। ब्लास्ट नामक बीमारी से लडऩे के लिए भी ये सक्षम है। इसमें प्रोटीन के अलावा जैविक रूप से जस्ता, लोहा और कई अन्य महत्वपूर्ण खनिज मौजूद है। सामान्य गेहूं में प्रोटीन कंटेंट 10 से 12 प्रतिशत होता है और आयरन कंटेंट 20 से 40 प्रतिशत होता है। लेकिन, इस किस्म में 12 प्रतिशत से अधिक प्रोटीन और 42 प्रतिशत से ज्यादा आयरन कंटेंट है। गेहूं की बुवाई के बाद फसल की बालियां 77 दिनों में निकल आती है। पूरी फसल 120 दिन में तैयार हो जाती है। इतना ही नहीं, परम्परागत उपयोग में ली जाने वाली गेहूं की किस्मों का औसत उत्पादन 40 से 50 क्विंटल होता है। जबकि करण वंदना का प्रति हैक्टेयर 60 से 90 क्विंटल उत्पादन होता है।
गेहूं की नई किस्म करण वंदना की काजरी में प्रदर्शनी लगाई गई है। यहां पर यह गेहूं की फसल बोई गई। इसका उत्पादन दूसरी किस्मों के मुकाबले में अधिक है। जिले सहित आस-पास जिलों के किसानों को करण वंदना गेहूं किस्म का करीब 25 से 30 क्विंटल बीज दिया गया। किसान अब इस किस्म की बुवाई कर रहे है। इससे फायदा हो रहा है। –डॉ. धीरजसिंह, कृषि वैज्ञानिक, काजरी पाली