वहीं जवाई के सहायक सेई बांध का गेज 6.05 मीटर (799.91 एमसीएफटी) दर्ज किया गया। उसमे पानी की आवक लगातार जारी है। जवाई बांध में रात आठ बजे 16.25 फीट (1019 एमसीएफटी) पानी था। जवाई बांध खण्ड के अधिशासी अभियंता गंगाराम सुथार ने बताया कि जवाई नदी में पानी की आवक के कारण सेई की टनल खोली गई। जिससे पानी की छीजत कम हो और अधिक से अधिक पानी जवाई तक पहुंच सके। इस मौके सहायंक अभियंता आंकाश रावत, कनिष्ठ अभियंता सुनील खिलेरी, अभिषेक चारण, जेइएन अशोक पुनिया आदि मौजूद रहे।
जिले में सुबह आठ बजे तक बरसात
जिले में सुबह आठ बजे तक सबसे अधिक बरसात देसूरी उपखंड क्षेत्र में 79 एमएम व सबसे कम रोहट में एक एमएम दर्ज की गई। वहीं बाली में 70 एमएम, रानी में 57 एमएम, जैतारण में 48 एमएम, सुमेरपुर में 40 एमएम, मारवाड़ जंक्शन में 18 एमएम, रायपुर में 9 एमएम, सोजत में 8 एमएम, पाली उपखंड क्षेत्र में 2 एमएम बारिश दर्ज की गई।
तहसीलों में सुबह 8 से शाम 5 बजे तक बरसात
जिले में सुबह आठ से शाम पांच बजे तक सबसे अधिक बरसात रायपुर में 60 एमएम दर्ज की गई। वहीं पाली तहसील में 24 एमएम, रोहट में 16, रानी में 25, देसूरी में 30, बाली में 35, सोजत में 55, सुमेरपुर में 27, जैतारण में 29 एमएम बरसात दर्ज की गई। बरसात के कारण घाणेराव में एक दीवार गिरने से पांच बकरियां मर गई। वहीं कई क्षेत्रों में ब्लेक आउट रहा, जिससे लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ा। मानसून रहेगा सक्रिय
मौसम विभाग के अनुसार अजमेर, बीकानेर व
जोधपुर संभाग के कई जिलों में मानसून सक्रिय रहने तथा कहीं-कहीं भारी व कहीं अति भारी बारिश होने की प्रबल संभावना है। झारखंड के ऊपर कम दबाव का क्षेत्र बना है। जिसके 48 घंटों में और तीव्र होने तथा मध्यप्रदेश से होकर राजस्थान की ओर आगे बढ़ने की संभावना है।
इस कम दबाव के क्षेत्र के से दक्षिण-पूर्वी राजस्थान के कुछ भागों में 3 अगस्त से भारी बारिश की गतिविधियों में बढ़ोतरी होने की प्रबल संभावना है। तंत्र का सर्वाधिक प्रभाव 4-5 अगस्त को राज्य के दक्षिणी-पूर्वी व पश्चिमी भागों में होगा।
कोटा, उदयपुर संभाग में 4 अगस्त को कहीं-कहीं भारी से अतिभारी बारिश हो सकती है। वहीं जयपुर, अजमेर, जोधपुर व बीकानेर संभाग के कुछ भागों में 4 से 6 अगस्त के दौरान कहीं-कहीं भारी व कहीं-कहीं अति भारी बारिश होने की प्रबल संभावना है।
झरने से बहा पानी
टॉडगढ़ रावली वन्यजीव अभयारण्य वन क्षेत्र जोजावर रेंज अंतर्गत भगोड़ा वनखण्ड कालीघाटी में स्थित प्रदेश का सबसे ऊंचा भील बेरी झरना अरावली पहाड़ियों में ऊपरी हिस्से में हुई बारिश से बह चला। शुक्रवार को भी रुक-रुक कर दिनभर चले बारिश के चलते रात को मंथर गति से शुरू हुआ झरना देखते ही देखते खिलखिलाने लगा। शुक्रवार तड़के तेज बारिश होने से ही झरने में यकायक जल प्रवाह हुआ। 182 फीट की ऊंचाई से गिरते हुए पानी के इस मनोरम नजारे को निहारने के लिए पाली, राजसमन्द, उदयपुर और अजमेर सहित संभाग और प्रदेश के कई जिलों से यहां पर्यटक आते हैं। क्षेत्रीय वन अधिकारी विजेंद्र सिंह डाबी और वनपाल तुलसीराम मीना ने बताया कि पिछली बार बिपरजॉय तूफान के चलते जून में ही झरना शुरू हो गया था। इस बार 46 दिनों के इंतजार से झरने में पानी का बहाव हुआ। प्रकृति के इस दुर्लभ नजारे को देखने के लिए इस दुर्गम पहाड़ियों में करीब 4 किलोमीटर पैदल चलने के बाद गहन वन क्षेत्र में स्थित इस स्थल पर पहुंच कर इस नजारे को देखा जा सकता है।