जिले में इस बार किसानों ने रबी की बुवाई की गई थी। इसमें गेहूं, चना, सरसो, जीरा बोया था। बीते मानसून में व्यापक वर्षा होने और जलस्रोतों में पानी उपलब्धता को देखते हुए किसानों ने बड़ी उम्मीद से गेहूं बोया। दिनरात मेहनत के बाद अब खेतों में फसल तैयार हो गई है। लेकिन कोरोना के साथ बारिश के कारण किसानों के चेहरों पर चिंता छा गई है।
अचानक बारिश से खड़ी फसलें भीगी
गुरुवार को क्षेत्र में अचानक बारिश हो गई। सुबह 10 बजे बाद से हल्के बादल छाए और दोपहर ढाई बजे बूंदाबांदी तेज बारिश में तब्दील हो गई। पन्द्रह-बीस मिनट की तेज बारिश ने खेतों में खड़ी गेहूं आदि की कटी हुई फसल भीग गई। फसल आड़ी भी हो गई। ग्रामीण इलाकों में फसल को बचाने के लिए किसानों ने कई जतन किए।
गुरुवार को क्षेत्र में अचानक बारिश हो गई। सुबह 10 बजे बाद से हल्के बादल छाए और दोपहर ढाई बजे बूंदाबांदी तेज बारिश में तब्दील हो गई। पन्द्रह-बीस मिनट की तेज बारिश ने खेतों में खड़ी गेहूं आदि की कटी हुई फसल भीग गई। फसल आड़ी भी हो गई। ग्रामीण इलाकों में फसल को बचाने के लिए किसानों ने कई जतन किए।
कहीं कटी फसलों को तिरपाल से ढका गया तो कहीं खड़ी फसलें बारिश के कारण भीगकर झूक गई। शुक्रवार सुबह तक भी रिमझिम बारिश चलती रही। किसान जोगाराम, बाबूलाल, हीरालाल आदि का कहना हैं कि अचानक हुई बारिश से खेतों में कटी व खड़ी फसल को नुकसान पहुंचने की आशंका है।
अब व्यथित हो रहे किसान
बाबरा। बीती रात में हुई बेमौसमी बरसात से किसानों के अरमानों पर पानी फिर गया। बाबरा व प्रतापगढ़ पंचायत क्षेत्र के खेतों में गेहूं की कटी-कटाई फसलें खेतों में भीग गई। वहीं कई खेतों में खुले में पड़ा खाखला चारा भिगने से पशुओं का निवाला भी छीन गया। किसानों ने व्यथित होकर बताया कि खेतों में गेंहू की कटी-कटाई फ़सल भिगने से सुखी डांगी में पड़ा दाना खराब हो जाएगा। साथ में लॉक डाउन के चलते लोग घरों में ही है। इससे श्रमिक भी नहीं मिल रहे हैं।
बाबरा। बीती रात में हुई बेमौसमी बरसात से किसानों के अरमानों पर पानी फिर गया। बाबरा व प्रतापगढ़ पंचायत क्षेत्र के खेतों में गेहूं की कटी-कटाई फसलें खेतों में भीग गई। वहीं कई खेतों में खुले में पड़ा खाखला चारा भिगने से पशुओं का निवाला भी छीन गया। किसानों ने व्यथित होकर बताया कि खेतों में गेंहू की कटी-कटाई फ़सल भिगने से सुखी डांगी में पड़ा दाना खराब हो जाएगा। साथ में लॉक डाउन के चलते लोग घरों में ही है। इससे श्रमिक भी नहीं मिल रहे हैं।