कड़ी परीक्षा से गुजर रहे समर्पित कार्यकर्ता
प्रत्याशी के चयन से पहले पार्टी समर्पित और तटस्थ कार्यकर्ताओं को कड़ी परीक्षा से गुजरना पड़ रहा है। पार्टी में कई दावेदार हैं। ऐसे में उन्हें सभी से मेलजोल रखना मुश्किल हो रहा है। प्रत्याशियों के नामों की घोषणा से पहले संगठन का काम भी दोनों पार्टियों का धीमा ही चल रहा है। व्यक्ति समर्पित कार्यकर्ता अपने-अपने नेताओं का चुनाव प्रचार जरूर कर रहे हैं। वहीं, तटस्थ कार्यकर्ताओं ने चुप्पी साध रखी है। आमतौर पर ऐसे कार्यकर्ता प्रत्याशी का नाम होने के बाद ही खुलकर सामने आएंगे। कई कार्यकर्ताओं को दावेदारों की नाराजगी की भी आशंका रहती है। ऐसे में वे किसी एक पक्ष से खुलकर मिलना या प्रचार-प्रसार में शामिल होना मुनासिब नहीं समझ रहे।
प्रत्याशी के चयन से पहले पार्टी समर्पित और तटस्थ कार्यकर्ताओं को कड़ी परीक्षा से गुजरना पड़ रहा है। पार्टी में कई दावेदार हैं। ऐसे में उन्हें सभी से मेलजोल रखना मुश्किल हो रहा है। प्रत्याशियों के नामों की घोषणा से पहले संगठन का काम भी दोनों पार्टियों का धीमा ही चल रहा है। व्यक्ति समर्पित कार्यकर्ता अपने-अपने नेताओं का चुनाव प्रचार जरूर कर रहे हैं। वहीं, तटस्थ कार्यकर्ताओं ने चुप्पी साध रखी है। आमतौर पर ऐसे कार्यकर्ता प्रत्याशी का नाम होने के बाद ही खुलकर सामने आएंगे। कई कार्यकर्ताओं को दावेदारों की नाराजगी की भी आशंका रहती है। ऐसे में वे किसी एक पक्ष से खुलकर मिलना या प्रचार-प्रसार में शामिल होना मुनासिब नहीं समझ रहे।
पाली की अधिकांश सीटों पर पेच
राजनीतिक सूत्रों की मानें तो पाली जिले की अधिकांश सीटों पर पेच ही फंसा हुआ है। भाजपा की एक सीट पर कोई विवाद नहीं है, जबकि पांचों सीटों पर दावेदारों में कड़ी प्रतिस्पद्र्धा चल रही है। पांचों जगह स्थानीय विधायकों को बदलने की मांग के कारण भाजपा आलाकमान भी जल्दबाजी में निर्णय करने की स्थिति में नहीं है। ऐसे में पहली सूची में पाली की एक सीट को छोडकऱ प्रत्याशी का नाम घोषित किया जाना संभव नहीं लग रहा। इसी तरह, कांग्रेस में भी यही हाल है। सभी सीटों पर पेच फंसा हुआ है। दावेदारों की लम्बी कतार और बगावत की आशंका को लेकर कांग्रेस फूंक-फूंक कदम रख रही है। कांग्रेस में छहों सीटों पर जबरदस्त घमासान है। ऐसे में दीपोत्सव से पहले नाम तय होना मुश्किल ही है। पाली की एक-दो सीट तो ऐसी है जहां कांग्रेस अंतिम समय में प्रत्याशी तय करेगी।
राजनीतिक सूत्रों की मानें तो पाली जिले की अधिकांश सीटों पर पेच ही फंसा हुआ है। भाजपा की एक सीट पर कोई विवाद नहीं है, जबकि पांचों सीटों पर दावेदारों में कड़ी प्रतिस्पद्र्धा चल रही है। पांचों जगह स्थानीय विधायकों को बदलने की मांग के कारण भाजपा आलाकमान भी जल्दबाजी में निर्णय करने की स्थिति में नहीं है। ऐसे में पहली सूची में पाली की एक सीट को छोडकऱ प्रत्याशी का नाम घोषित किया जाना संभव नहीं लग रहा। इसी तरह, कांग्रेस में भी यही हाल है। सभी सीटों पर पेच फंसा हुआ है। दावेदारों की लम्बी कतार और बगावत की आशंका को लेकर कांग्रेस फूंक-फूंक कदम रख रही है। कांग्रेस में छहों सीटों पर जबरदस्त घमासान है। ऐसे में दीपोत्सव से पहले नाम तय होना मुश्किल ही है। पाली की एक-दो सीट तो ऐसी है जहां कांग्रेस अंतिम समय में प्रत्याशी तय करेगी।