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बजट पर सियासी नजरिया : सीटें नहीं तो झोली खाली

– पाली पर मेहरबान नहीं हुई सरकार

पालीJul 11, 2019 / 12:30 pm

Suresh Hemnani

सियासी नजरिया : सीटें नहीं तो झोली खाली

पाली। विधानसभा और लोकसभा चुनाव में भाजपा का परचम लहराने का खामियाजा पाली को साफ तौर से भुगतना पड़ा है। प्रदेश की अशोक गहलोत सरकार द्वारा पेश किए गए बजट में सियासी नाराजगी साफ झलकी है। पेयजल और प्रदूषण जैसे ज्वलंत मुद्दे पर सरकार ने कोई मजबूत इरादे जाहिर नहीं किए हैं। यहां तक की जवाई पुनर्भरण जैसी बड़ी परियोजना के लिए भी सरकार ने मौन ही साध लिया। ऐसे में पाली की झोली भी मामूली-सी भरी है। विधानसभा चुनावों में जोधपुर संभाग के अन्य जिलों में भले ही कांगे्रस को जोरदार समर्थन मिला था, लेकिन पानी में कांग्रेस की झोली खाली ही थी।
हालांकि, मारवाड़ जंक्शन सीट से निर्दलीय के रूप में चुनाव जीते खुशवीरसिंह जोजावर एक मात्र कांग्रेस के प्रतिनिधि कहे जा सकते हैं। ऐसे में प्रदेश की कांग्रेस सरकार पाली पर मेहरबान नहीं हुई। जबकि पाली जिले में प्रदूषण और पानी की समस्या विकराल रूप लिए हुए हैं। जवाई पुनर्भरण के लिए पुर्ववर्ती वसुंधरा सरकार ने 6 हजार करोड़ के बजट का प्रावधान किया था, लेकिन मौजूदा बजट में इसका कोई उल्लेख नहीं किया गया है। हालांकि, कुछ बांधों के मरम्मत और सिंचाई उप परियोजना को हरी झंडी दी है, लेकिन जवाई बांध के पुनर्भरण के लिए बजट पर्याप्त नहीं है।
ये झटका भी बना उपेक्षा का कारण
बजट में पाली की उपेक्षा का एक कारण लोकसभा चुनाव में कांग्रेस की हार भी रहा है। विधानसभा के बाद लोकसभा चुनाव में भी कांग्रेस को यहां निराशा हाथ लगी थी। कांग्रेस प्रत्याशी बद्रीराम जाखड़ को प्रदेश में चौथी बड़ी हार झेलनी पड़ी। जबकि पड़ोसी जिले जोधपुर में कांग्रेस को विधानसभा चुनाव की जीत का पूरा फायदा मिला है।
सीइटीपी अपग्रेडेशन : योजना को अमलीजामा पहनाया तो मिलेगी प्रदूषण से मुक्ति
पाली। प्रदूषण का दंश झेल रही पाली की उम्मीदों को मामूली-सी आस जरूर बंधी है। राज्य सरकार ने बजट घोषणा में सीइटीपी को अपग्रेड करने और नए सीइटीपी लगाने की योजना बनाने की घोषणा की है। हालांकि, इस में बजट का कोई प्रावधान नहीं किया गया। सरकार ने कहा है कि रीको और प्रदूषण नियंत्रण मंडल की सहभागिता से योजना बनाई जाएगी। सीइटीपी के अपग्रेडेशन पर सरकार ने मजबूत इरादे से काम किया तो पाली में प्रदूषण की समस्या पर काफी हद तक अंकुश लग सकता है। कपड़ा इंडस्ट्री के रासायनिक पानी को ट्रीट करने के लिए छह प्लांट लगे हुए हैं। वर्तमान में प्लांट सं या 2, 4 और 6 नंबर प्लांट संचालित है। छहों प्लांटों की क्षमता 54 एमएलडी है, लेकिन अभी 7.5 एमएलडी पानी डिस्चार्ज किया जा रहा है। 14 इकाइयों में निजी रूप से इटीपी लगे हुए हैं। सभी प्लांटों को अपग्रेड किया जाए तो प्रदूषण नियंत्रण मंडल के मापदंडों के अनुरूप उद्योग संचालित किए जा सकते हैं।
रोहट बन सकता है औद्योगिक हब व जोधपुर, पाली व मारवाड़ विशेष निवेश क्षेत्र
राज्य सरकार ने दिल्ली-मुम्बई इंडस्ट्रीयल कॉरीडोर परियोजना में जोधपुर, पाली व मारवाड़ जंक्शन को औद्योगिक क्षेत्र के लिए विशेष निवेश क्षेत्र घोषित किया है। इसके विकास, प्रबंधन और विनियमन के लिए क्षेत्रीय विकास प्राधिकरण गठित किया जाएगा। राज्य सरकार की इस घोषणा से रोहट में औद्योगिक क्षेत्र विकसित करने की योजना को भी पंख लग सकते हैं। रोहट तहसील क्षेत्र के आठ गांव दानासनी, ढूंढली, दूबाली, डूंगरपुर, निम्बली पटेलान, निम्बली ब्राह्मणान, रोहट और सिणगारी गांवों की जमीन चिह्नित की हुई है। यहां कुल 154 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र नोटिफाइड है। 64 वर्ग किलोमीटर में औद्योगिक क्षेत्र व अन्य सुविधाएं विकसित की जाएंगी। इसमें पांच तरह के प्रोजेक्ट विकसित होंगे, जिसमें स्किल डवलपमेंट सेंटर, जल संरक्षण को बढ़ावा देने के कार्यों समेत पांच प्रोजेक्ट शामिल किए जाएंगे। कॉरिडोर के अलावा भी रोहट में एक औद्योगिक क्षेत्र प्रस्तावित है। इस परियोजना के तहत जोधपुर, पाली व मारवाड़ जंक्शन को जोड़ा जाएगा।

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