साइट नहीं खुलने से हुई परेशानी
परीक्षा परिणाम जारी होने के बाद काफी देर तक बोर्ड की साइट नहीं खुली। इस कारण विद्यार्थी व उनके अभिभावक भीषण गर्मी में इ-मित्र या साइबर कैफे के चक्कर लगाते रहे। साइट करीब साढ़े चार बजे शुरू हुई। इस पर शहर व जिले के लोग परिणाम देख सके।
परीक्षा परिणाम जारी होने के बाद काफी देर तक बोर्ड की साइट नहीं खुली। इस कारण विद्यार्थी व उनके अभिभावक भीषण गर्मी में इ-मित्र या साइबर कैफे के चक्कर लगाते रहे। साइट करीब साढ़े चार बजे शुरू हुई। इस पर शहर व जिले के लोग परिणाम देख सके।
पिता ईंट परिवहन कर पेट पालते, बच्चे का सपना खुशहाल रहे परिवार
पाली। वर्तमान में आईएएस, आईआईटी, एनइइटी की चाहत लिए कई बच्चे परीक्षा की तैयारी कर रहे हैं। हर कोई वरीयताधारी विद्यार्थी अधिकारी या बड़ी कंपनियों की जोब प्राप्त करने का लक्ष्य रखता है, लेकिन मजदूर का बेटे चंद्रप्रकाश की चाहत कोई बहुत बड़ा अधिकारी बनने की चाहत नहीं है। वह तो चाहता है कि परिवार खुशहाल बना सके। दसवीं माध्यमिक शिक्षा बोर्ड परीक्षा में नब्बे से भी अधिक अंक प्राप्त करने वाले चंद्रप्रकाश के पिता ट्रैक्टर चलाकर ईंट परिवहन का कार्य करते हैं। अपने बेटे की गौरवपूर्ण उपलब्धि पर परिवार के सदस्य फूले नहीं समा रहे हैं। वंदे मातरम् शिक्षण संस्थान उच्च माध्यमिक विद्यालय में अध्ययनरत चंद्रप्रकाश को संचालक राजेंद्रसिंह भाटी ने मुंह मीठा करवाकर उज्ज्वल भविष्य की कामना की। चंद्रप्रकाश अपने दादाजी कन्नाराम को आदर्श मानते हैं। अपनी उपलब्धि का श्रेय माता-पिता व गुरुजनों को देता है।
पाली। वर्तमान में आईएएस, आईआईटी, एनइइटी की चाहत लिए कई बच्चे परीक्षा की तैयारी कर रहे हैं। हर कोई वरीयताधारी विद्यार्थी अधिकारी या बड़ी कंपनियों की जोब प्राप्त करने का लक्ष्य रखता है, लेकिन मजदूर का बेटे चंद्रप्रकाश की चाहत कोई बहुत बड़ा अधिकारी बनने की चाहत नहीं है। वह तो चाहता है कि परिवार खुशहाल बना सके। दसवीं माध्यमिक शिक्षा बोर्ड परीक्षा में नब्बे से भी अधिक अंक प्राप्त करने वाले चंद्रप्रकाश के पिता ट्रैक्टर चलाकर ईंट परिवहन का कार्य करते हैं। अपने बेटे की गौरवपूर्ण उपलब्धि पर परिवार के सदस्य फूले नहीं समा रहे हैं। वंदे मातरम् शिक्षण संस्थान उच्च माध्यमिक विद्यालय में अध्ययनरत चंद्रप्रकाश को संचालक राजेंद्रसिंह भाटी ने मुंह मीठा करवाकर उज्ज्वल भविष्य की कामना की। चंद्रप्रकाश अपने दादाजी कन्नाराम को आदर्श मानते हैं। अपनी उपलब्धि का श्रेय माता-पिता व गुरुजनों को देता है।
वंदे मातरम स्कूल के होनहारों ने बाजी मारी
माध्यमिक शिक्षा बोर्ड, राजस्थान अजमेर द्वारा घोषित परीक्षा परिणाम में वन्दे मातरम स्कूल जय नगर रामदेव रोड, पाली के 12 विद्यार्थियों ने 90 फीसदी से अधिक अंक हासिल किए हैं। संचालक राजेन्द्र सिंह भाटी ने बताया कि हितेश खानवानी 94.50, जितेन्द्र घांची 93.67, हितेश प्रकाश 93.50, सोहेल 93.17, प्रथम सिंह सोलंकी 92.67, चन्द्रप्रकाश सीरवी 91.67, मनीषा चितारा 91.67, चार्वी सोनी 91.17, यशवंत विरायस 90.83, जसवन्त जाट 90.67, रोहित सिंह 90.17, शैलजा चारण ने 90.17 अंक प्राप्त किए। होनहारों का विद्यालय परिसर में माल्यार्पण कर मुंह मीठा कराया गया। संचालक भाटी ने बताया कि 12 वीं बोर्ड विज्ञान संकाय में छात्रा मानसी पालीवाल ने 98.20 प्रतिशत अंक प्राप्त कर राज्य में तृतीय स्थान हासिल किया।
माध्यमिक शिक्षा बोर्ड, राजस्थान अजमेर द्वारा घोषित परीक्षा परिणाम में वन्दे मातरम स्कूल जय नगर रामदेव रोड, पाली के 12 विद्यार्थियों ने 90 फीसदी से अधिक अंक हासिल किए हैं। संचालक राजेन्द्र सिंह भाटी ने बताया कि हितेश खानवानी 94.50, जितेन्द्र घांची 93.67, हितेश प्रकाश 93.50, सोहेल 93.17, प्रथम सिंह सोलंकी 92.67, चन्द्रप्रकाश सीरवी 91.67, मनीषा चितारा 91.67, चार्वी सोनी 91.17, यशवंत विरायस 90.83, जसवन्त जाट 90.67, रोहित सिंह 90.17, शैलजा चारण ने 90.17 अंक प्राप्त किए। होनहारों का विद्यालय परिसर में माल्यार्पण कर मुंह मीठा कराया गया। संचालक भाटी ने बताया कि 12 वीं बोर्ड विज्ञान संकाय में छात्रा मानसी पालीवाल ने 98.20 प्रतिशत अंक प्राप्त कर राज्य में तृतीय स्थान हासिल किया।
मीना ने मजदूर पिता के सपने को किया साकार
शहर में रहने वाली मीना चौहान के पिता अमृतलाल मजदूरी करते हैं। उनका सपना था कि बेटी पढकऱ नाम कमाए। इस सपने को उनकी बेटी ने पूरा किया और दसवीं बोर्ड परीक्षा में 91.33 प्रतिशत अंक प्राप्त हासिल किए। बकौल मीना कहती है माता गृहिणी है। पिता मेहतन कर परिवार का पेट पालते है। पिता की मेहनत को मैं जाया कैसे जाने देती। इसलिए नियमित अध्ययन किया। उसी का परिणाम आज मिला है। बेटी के इतने अंक आने पर माता सुशीला व पिता की आंखों से खुशी के आंसू झलक गए।
शहर में रहने वाली मीना चौहान के पिता अमृतलाल मजदूरी करते हैं। उनका सपना था कि बेटी पढकऱ नाम कमाए। इस सपने को उनकी बेटी ने पूरा किया और दसवीं बोर्ड परीक्षा में 91.33 प्रतिशत अंक प्राप्त हासिल किए। बकौल मीना कहती है माता गृहिणी है। पिता मेहतन कर परिवार का पेट पालते है। पिता की मेहनत को मैं जाया कैसे जाने देती। इसलिए नियमित अध्ययन किया। उसी का परिणाम आज मिला है। बेटी के इतने अंक आने पर माता सुशीला व पिता की आंखों से खुशी के आंसू झलक गए।