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प्रवासी राजस्थानी व्यापारियों को कर्नाटक हाइकोर्ट से मिली बड़ी राहत, ऋण राहत अधिनियम पर स्थगन

locationपालीPublished: Sep 13, 2019 02:20:27 pm

Submitted by:

Suresh Hemnani

-कर्नाटक हाइकोर्ट ने स्वीकार की दलीलें
Rajasthani migrant gets relief from Karnataka High Court : -अब 15 अक्टूबर को होगी सुनवाई-वरिष्ठ अधिवक्ता व पाली सांसद ने की पैरवी

प्रवासी राजस्थानी व्यापारियों को कर्नाटक हाइकोर्ट से मिली बड़ी राहत, ऋण राहत अधिनियम पर स्थगन

प्रवासी राजस्थानी व्यापारियों को कर्नाटक हाइकोर्ट से मिली बड़ी राहत, ऋण राहत अधिनियम पर स्थगन

पाली/बेंगलूरु। Rajasthani migrant gets relief from Karnataka High Court : पॉन ब्रोकर्स की कर्नाटक ऋण राहत अधिनियम-2018 के खिलाफ याचिका पर सुनवाई करते हुए कर्नाटक हाई कोर्ट ने 15 अक्टूबर 2019 तक स्थगनादेश दिया है। वरिष्ठ अधिवक्ता एवं पाली सांसद पीपी चौधरी ने पॉन ब्रोकर्स के पक्ष में दलीलें रखीं। कोर्ट के आदेश के बाद पॉन ब्रोकर्स में खुशी की लहर है।
सांसद पीपी चौधरी गुरुवार को हाई कोर्ट में पूर्ववर्ती जद-एस सरकार के ऋण राहत अधिनियम के विरुद्ध दायर वाद में राजस्थानी प्रवासी व्यापारियों की ओर से बतौर वरिष्ठ अधिवक्ता के रूप में पेश हुए। चौधरी द्वारा पॉन ब्रोकर्स की ओर से रखी गई दलीलों को उच्च न्यायालय ने स्वीकार करते हुए ऋण राहत अधिनियम.2018 के विरुद्ध फिलहाल स्थगन आदेश (स्टे) पारित कर दिया।
चौधरी ने पॉन ब्रोकर्स एवं ज्वैलर्स एसोसिएशन, बेंगलूरु की ओर से पूर्ववर्ती सरकार के उक्त अधिनियम के विरुद्ध में दलीलें रखते हुए उच्च न्यायालय को बताया कि ग्रामीण एवं शहरी क्षेत्रों में 14 हजार से अधिक व्यापारी के एक साख इकाई के रूप में कार्य रहे हैं जो निर्धन एवं जरूरतमंद लोगों को आवश्कता पडऩे पर आर्थिक सहायता मुहैया करवाते हैं। इस तरह मुश्किल की घड़ी में ये सभी व्यापारी उनके लिए मददगार हैं और इन सभी व्यापारियों द्वारा करीब 20 हजार करोड़ के अधिक ऋण जरूरतमंदों को दिया गया है। तथा यह ऋण कर्नाटक पॉन ब्रोकर्स अधिनियम की तय ब्याज दर से दिया गया है।
चौधरी ने न्यायालय को बताया कि यह कानून भारत के संविधान के अनुरूप नहीं हैं। इस कानून से भारतीय संविधान द्वारा नागरिकों को प्रदत्त मौलिक अधिकारों का हनन होगा। 1977 एवं 1992 में सर्वोच्च न्यायालय द्वारा इसी तरह के कानून पर एक निर्णय दिया गया था। उस समय की परिस्थितियों और वर्तमान परिस्थतियों में बहुत ज्यादा अंतर है। कर्नाटक राज्य आज देश की आर्थिक स्थिति में पांचवें पायदान पर है। इस परिस्थिति में इस तरह के कानूनों का लाना अनुचित है और यह कानून पूर्णत: भेदभाव पूर्ण है, जिसमें केवल गिरवी व्यापारियों को केन्द्रित किया गया है। अन्य संस्थाएं जैसे सहकारीए कॉ-ऑपरेटिव संस्थाओं, निजी बड़ी संस्थाओं को इस कानून की परिधि में नहीं डाला गया है। सांसद चौधरी एवं स्थानीय वकीलों की दलीलों को सुनने के बाद उच्च न्यायालय ने इस अधिनियम के विरुद्ध स्थगन (स्टे) का आदेश पारित कर दिया।
गौरतलब है कि कर्नाटक की पूर्ववर्ती कुमारस्वामी की सरकार ने गरीबों और किसानों को राहत देने के लिए एक अधिनियम पारित किया था, जिसके अंतर्गत ऋण देने वाले करीब 14 हजार लाइसेंसी राजस्थानियों को आर्थिक नुकसान उठाना पड़ रहा था। पूर्ववर्ती सरकार के इस कानून के खिलाफ पॉन बैकर्स एवं ज्वलैर्स एसोसिएशन, कर्नाटक टुमकुर का एक प्रतिनिधिमण्डल महेन्द्र कुमार वैष्णव के नेतृत्व में जोधपुर में पाली सांसद पी.पी. चौधरी से मिला था। मामले की गंभीरता एवं राजस्थानियों के हितों की रक्षा के लिए सांसद चौधरी ने प्रतिनिधिमण्डल को राजनैतिक एवं कानूनी दोनों तौर पर हर संभव मदद का भरोसा दिलाया था। इसी के मद्देनजर गत 19 अगस्त को सांसद चौधरी ने बतौर अधिवक्ता कर्नाटक उच्च न्यायालय में राजस्थानी प्रवासी व्यापारियों की ओर से दायर याचिका पर पैरवी की थी और उच्च न्यायालय ने उसे विचारार्थ स्वीकार कर लिया था। इसी के तहत गुरुवार को कर्नाटक हाईकोर्ट में इस मामले को लेकर सुनवाई हुई।
इनका कहना है…
सांसद एवं अधिवक्ता चौधरी ने कर्नाटक ऋण राहत अधिनियम को काला कानून करार देते हुए पत्रिका को बताया कि पूर्ववर्ती सरकार ने बिना जाचें परखे इस कानून को थोपा है। व्यापारी ने ग्रामीण, काश्तकार को जो भी राशि ऋण के रूप में दी है। वह पूरा का पूरा ऋण माफ माना जाएगा और रुपए के एवज में जो सोना-चांदी के जेवरात लिए हैं, वे वापस लौटाने होंगे। स्थगनादेश मिलने के बाद अब कोई भी ग्राहक आय प्रमाण पत्र पेश कर तहसीलदार से मिले पत्र के आधार पर अपने सोने-चांदी के जेवरात वापस लेने की मांग नहीं कर सकेंगे।
उन्होंने बताया कि कर्नाटक सहित तमिलनाडु, आन्ध्रप्रदेश में पॉन ब्रोकर का कार्य कर रहे व्यापारी बहुत कम ब्याज दर पर जरूरत मंद को ऋण उपलब्ध कराते हैं। इसके लिए पॉन ब्रोकर एक्ट के तहत लाइसेंस जारी होता है। लाइसेंस फीस भरते हैं और उनकी जांच होती है किसी भी समय उनको रिपोर्ट पेश करनी होती है। को-ऑपरेटिव सोसायटी विभाग पूरा उस पर निगरानी रखता है। गिरवी व्यापारी किसी से भी ज्यादा ब्याज नहीं ले सकता है। गिरवी व्यवसाय आज के समय में साफ सुथरा व्यापार हो गया है।
कर्नाटक पॉन ब्रोकर एंड ज्वैलर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष तुमकूरु के महेंद्र कुमार वैष्णव का कहना है कर्नाटक ऋण राहत अधिनियम 2018 गठबंधन सरकार ने लागू किया था। उच्च न्यायालय की बेंच नम्बर सात के न्यायाधीश आलोक अराधे ने इस पर 15 अक्टूबर तक स्थगन आदेश दिया है। इस अवसर पर गिरवी व्यापारियों की ओर से पूर्व विधि मंत्री व वरिष्ठ अधिवक्ता पी.पी. चौधरी, अंतरराष्ट्रीय अधिवक्ता असीम सूद, के.जीण्राघवन, पूनम पाटिल, राजेश्वर ने मजबूत पक्ष न्यायालय में रखा।

गौतम ज्वैलर्स के पार्टनर डॉ. सुदर्शन जैन का कहना है कि उच्च न्यायालय ने व्यापारियों को राहत प्रदान की है। निश्चित रूप से यह आगे भी जारी रह सकती है। इससे तमिलनाडुए आन्धप्रदेश के भी व्यापारियों को राहत मिलेगी।
विजयनगर के गिरवी व्यापारी सुनील लोढा का कहना है कि उच्च न्यायालय ने व्यापारियों को राहत दी है। इससे व्यापार पुनरू शुरू होने की उम्मीद जागी है। अब कोई ग्राहक व्यापारी को परेशान नहीं कर सकेगा।
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