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खबर में पढि़ए : कैसे 25 की उम्र में हो रहा है 50 साल वाला रोग…

locationपालीPublished: Nov 16, 2017 11:46:57 am

Submitted by:

Avinash Kewaliya

– बढ़ती तम्बाकू की लत व प्रदूषण के कारण बढ़ रहे युवा वर्ग के मरीज

medical care
पाली.

जिले के युवा अपने शौक व प्रदूषण के चक्कर में गंभीर बीमारियों की चपेट में आ रहे हैं। ऐसी ही एक बीमारी है सीओपीडी जिसे श्वास रोग या दमा नाम से भी जाना जाता है। 50 वर्ष के बाद अधिकांश लोगों को अपनी चपेट में लेने वाली यह बीमारी इन दिनों 25-30 वर्ष के युवा वर्ग को अपनी चपेट में ले रही है। यह बात हम नहीं बल्कि सरकारी अस्पताल के आंकड़े बता रहे हैं। बुधवार को हुए एक शिविर में भी यही बात सामने आई है। पत्रिका ने इस पूरे मुद्दे की पड़ताल की तो कई चौंकाने वाली बाते सामने आई।
यह ऐसी बीमारी है जो लगातार बीड़ी व अन्य तम्बाकू सेवन के कारण होती है। गांवों में धूल-मिट्टी के कारण कम उम्र के लोगों में सामने आती रही थी। लेकिन अब शहरी क्षेत्रों में औद्योगिकीकरण और युवाओं में बढ़ते धूम्रपान की लत ने अधिकांश युवाओं को अपनी चपेट में लेना शुरू कर दिया है। जिले के सबसे बड़े बांगड़ अस्पताल में औसतन प्रतिमाह ऐसे 15 सौ मरीज आ रहे हैं, जिन्हें श्वास संबंधित रोग है। इनमें से 50 प्रतिशत युवा हैं।
यह आया शिविर में सामने

इस रोग की गंभीरता को देखते हुए बुधवार को एक शिविर भी लगाया गया था। 130 मरीजों को सांस की बीमारी के लिए चिह्नित किया गया था। इसमें से 58 मरीज सीओपीडी के सामने आए। इसमें से 28 मरीज युवा थे। डॉक्टरों की जांच में सामने आया कि ये सभी युवा लगातर धूम्रपान या प्रदूषण के सम्पर्क में थे। इसके कारण उन्हें इस बीमारी ने चपेट में ले लिया।
तीन कारण मुख्य

1. धूम्रपान : डॉक्टरों ने बताया कि वर्तमान में सबसे ज्यादा युवा वर्ग धूम्रपान का आदी हो चुका है। लगातार धूम्रपान के कारण युवाओं के फैफड़े सिकुड़ रहे हैं। और वह सीओपीडी का शिकार हो रहे हैं।
2. धूल-मिट्टी – डॉक्टरों ने शहर में बढ़ रहे इस आंकड़े के पीछे धूल-मिट्टी को भी एक कारण बताया। डॉक्टरों ने बताया ज्यादातर युवा बाइक पर घूमते हैं। इससे सड़क पर उडऩे वाली धूल मिट्टी से वह सीधा सम्पर्क में आ जाते हैं।
3. प्रदूषण – डॉक्टरों ने बताया कि ज्यादातर युवा रोजगार के लिए पाली की फैक्ट्रियों में ही कार्य करते हैं। वहां बिना कोई सुरक्षा के लगातार प्रदूषण में कार्य करने के कारण वह सीओपीडी के शिकार हो जाते हैं।
क्या है सीओपीडी (दमा)

सामान्य शब्दों में दमा का आशय सांस लेने की प्रक्रिया में बाधा उत्पन्न होना है। यह ऐसी स्थिति है, जिसमें श्वास नलिकाएं इनफ्लेम्ड एलर्जी के कारण लाली व सूज जाती है। इससे श्वास नली तंग हो जाती है और सांस लेने में परेशानी होती है।
यह रखें सावधानियां

– इन्हेलर हमेशा अपने पास रखें
– यह सुनिश्चित कर लें कि आप सही तकनीक से दवा इन्हेल कर रहे हैं

– आपात स्थिति का सामना कैसे करना चाहिए, इसकी जानकारी डॉक्टर से लें
– यदि परिवार में दमा का इतिहास रहा है तो माता को गर्भस्थ शिशु को कम से कम छह माह तक दुग्धपान अवश्य कराना चाहिए। मां के दूध में दमा प्रतिरोधी सुरक्षात्मक तत्व होते हैंं।
– धूम्रपान न करें
– दमे से पीडि़त होने पर जहां तक संभव हो, घर में पशु न पालें। घर में फ र वाले खिलौने, भारी कार पेट व परदे आदि न रखें

– एस्प्रिन और बीटा ब्लॉकर्स जैसी दवाओं का सेवन न करें
– नियमित रूप से श्वसन संबंधी व्यायाम करें
– प्रदूषण या धूल भरी जगहों से दूर रहें। व्यस्ततम घंटों में यात्रा करने से बचें। ड्राइविंग के समय कार के शीशे बंद रखें

युवाओं में बढ़ रहा है दमा

– युवा वर्ग में लगातार धूम्रपान की लत और प्रदूषण के सम्पर्क में रहने के कारण सीओपीडी(दमा) की शिकायत हो रही है। कुछ वर्षों से पहले तक यह शिकायत सिर्फ बुजुर्गो में ही सामने आती थी। यह युवाओं के लिए गंभीर बात है।
– डॉ. ललित शर्मा, टीबी व चेस्ट रोग विशेषज्ञ

फैक्ट फाइल ::::::
– 50 मरीज औसतन सीओपीडी के प्रतिदिन आते हैं।

– 1500 मरीज औसतन प्रतिमाह इस बीमारी के सामने आते हैं।
– 50 प्रतिशत इन मरीजों में 25-30 वर्ष आयु वर्ग के होते हैं।
(यह सरकारी अस्पताल के आंकड़े हैं)

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