तालाब में वर्षा जल एकत्रित होता है। जिसका माप एक वर्ग मीटर और दो हैक्टेयर के बीच है। वर्ष में कम से कम चार माह तक इस तालाब में पानी भरा रहता है। गर्मियां शुरू होते ही तालाब सूखने लगता है। इस तालाब को भरने के लिए गांव के चम्पालाल अपने कुएं से पम्प चलाकर पानी डालते हैं। वहीं ट्यूबवैल के पाइपों के सहारे तेजसिंह एवं जब्बरसिंह एवं गांवाई पीचके से प्रतिदिन पानी डालते हैं। वैसे गोगरा जवाई कमांड क्षेत्र से जुड़ा हुआ है। इससे गांव में खेतों से दो फसलों की अच्छी उपज भी मिलती है।
तालाब में देते हैं चुग्गा
गांव में प्रतिदिन शाम होते ही राष्ट्रीय पक्षी मोर के अलावा अन्य पक्षी प्यास बुझाते हैं। साथ ही तालाब किनारे डाला गया चुग्गा भी चुगते हैं। इनका कहना है
-गांवाई पीचके से प्रतिदिन चार पांच घंटे पानी तालाब में डालते हैं। पीचके का संचालन कर रहा हूं। –रतनसिंह, पूर्व वार्डपंच, गोगरा
गांव में प्रतिदिन शाम होते ही राष्ट्रीय पक्षी मोर के अलावा अन्य पक्षी प्यास बुझाते हैं। साथ ही तालाब किनारे डाला गया चुग्गा भी चुगते हैं। इनका कहना है
-गांवाई पीचके से प्रतिदिन चार पांच घंटे पानी तालाब में डालते हैं। पीचके का संचालन कर रहा हूं। –रतनसिंह, पूर्व वार्डपंच, गोगरा
-कई सालों से गांवाई तालाब को भर रहे हैं। इससे मवेशी एवं वन्य जीवों की प्यास बुझती है। –कपूराराम भील, पूर्व सरपंच, गोगरा