scriptदेश के हर कोने में खनक रही पाली की चूड़ियां, 125 से अधिक इकाइयां, हजारों को रोजगार | salected story : More than 125 units of bangles in Pali city | Patrika News

देश के हर कोने में खनक रही पाली की चूड़ियां, 125 से अधिक इकाइयां, हजारों को रोजगार

locationपालीPublished: Nov 23, 2021 08:35:01 pm

Submitted by:

Suresh Hemnani

– कपड़ा उद्योग के बाद पाली में चूडिय़ों का काराबोर बढ़ा- पाली की डिजाइन व दाम लुभाते हैं महिलाओं को

देश के हर कोने में खनक रही पाली की चूड़ियां, 125 से अधिक इकाइयां, हजारों को रोजगार

देश के हर कोने में खनक रही पाली की चूड़ियां, 125 से अधिक इकाइयां, हजारों को रोजगार

-राजकमल व्यास/राजीव दवे
पाली। पाली कपड़ा नगरी के नाम से विख्यात है। जबकि पाली में एक दूसरा व्यवसाय ऐसा है, जो देशभर में अपनी विशेष पहचान रखता है। इस व्यवसाय से पाली के 30-35 हजार लोगों को रोजगार मिल रहा है। यह उद्योग है चूड़ी व्यवसाय। जिसकी शानदार डिजाइन और दाम देश के हर कोने में रहने वाली महिलाओं को लुभाते है। पाली के चूड़ी व्यवसाय की शुरुआत घरेलू स्तर पर हुई थी, लेकिन आज पाली में इसकी करीब 125 से अधिक इकाइयां है। जिनमें चूड़ी तैयार करने के लिए प्लास्टिक के पाइप बनाने के साथ उनकी कटिंग आदि का कार्य किया जाता है। पाइपों की कटिंग के बाद उन पर कुंदन सहित अन्य कारीगरी हाथ से कर चूडिय़ां तैयार की जाती है।
विदेशों तक से आता है स्क्रेप
चूड़ी बनाने के लिए पहले पाइप तैयार करने होते है। जो वेस्ट प्लास्टिक (स्क्रेप) से बनाए जाते है। इसके लिए स्क्रेप मुम्बई, दिल्ली से आता था। अब चूडिय़ों की मांग बढऩे और फैक्ट्रियों की संख्या में इजाफ होने के कारण विदेशों से भी स्क्रेप पाली आता है। जिसे पहले विशेष प्रकार के बने सांचों में डालकर पाइप तैयार करते है। इसके बाद उन पाइपों को विभिन्न आकर में काटा जाता है।
महिलाओं को घरों में मिल रहा रोजगार
चूड़ी व्यवसाय से पाली शहर के साथ ही बोमदड़ा, जाडन सहित मारवाड़ जंक्शन व अन्य गांवों की महिलाओं को रोजगार मिल रहा है। इसके लिए उनको घर से बाहर निकलने तक की जरूरत नहीं है। चूड़ी व्यवसायी उनके घर पर प्लास्टिक की प्लेन चूडिय़ां पहुंचाते है। उसके साथ में कुंदन, स्टोन, गोटा आदि पहुंचाते है। जिनको महिलाएं अपने हाथों से हर प्लेन चूड़ी पर सजाती है। जिससे उसकी सुंदनता को चार-चांद लग जाते है। यह कार्य करने वाली हर महिला रोजाना 100-150 रुपए तक घर में बैठे कमा लेती है।
गुजराज व महाराष्ट्र में अधिक है मांग
पाली के चूडिय़ों की राजस्थान के तो हर शहर में मांग है। इसके अलावा गुजरात, पंजाब, हरियाणा, दिल्ली, महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश, बिहार व बंगाल में अधिक मांग है। दक्षिण भारत में भी पाली की चूडिय़ां जाती है। इन राज्यों के व्यापारी चूडिय़ों की खरीदारी के लिए पाली आते रहते है। इससे होटल सहित अन्य व्यवसाय को भी गति मिलती है।
अपनी पसंद से भी बनवाते हैं चूडिय़ां
पाली में लोगों की पसंद के अनुसार भी चूडिय़ों का निर्माण कर दिया जाता है। कई युवतियों व युवकों के परिजन शादी के समय चूडिय़ों पर वर-वधु की फोटो लगवाते है। चूडिय़ों में गोटे का विशेष वर्क हर किसी को लुभा रहा है। अब राजपूती चूड़े भी अलग-अलग डिजाइन के बनाए जा रहे है। जो देखने में पूरी तरह से हाथी दांत के बने पुराने चूड़ों जैसे ही नजर आते है। पाली का ब्राइडल सेट, स्टोन व बिना स्टोन की चूडिय़ां, चूड़े व कंगन काफी डिमांड में रहते हैं।
चूड़ी व्यवसाय हो गया उन्नत
-पाली में चूड़ी का व्यवसाय अब काफी उन्नत हो गया है। पाली की चूडिय़ों को देश के हर कोने में पसंद किया जाता है। इससे कई लोगों को रोजगार भी मिल रहा है। –नसरुद्दीन चूड़ीगर, अध्यक्ष, चूड़ी उद्योग संघ, पाली
डिजाइन का रखते है विशेष ख्याल
– पाली के चूडिय़ों के व्यवसायी डिजाइन का विशेष ख्याल रखते है। चूडिय़ों में नई-नई डिजाइन व वैरायटी के कारण ही इनकी मांग देश के हर कोने में रहती है। –मोहम्मद असलम खैरादी, सचिव, चूड़ी उद्योग संघ, पाली
loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो