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इस राजस्थानी महिला ने बेटी के देहांत के बाद ली 50 बेटियां गोद, फिर शुरू किया ये नेक काम

Motivational Story: एक मां ने अपनी बेटी को लेकर ढेरों सपने बुने। पढ़ाना-लिखाना.. डॉक्टर बनाना… आत्मनिर्भर और मजबूत बनाना। लेकिन, एक दिन बेटी दुनिया छोड़कर चली गई और मां के सपने अधूरे रह गए।

पालीMar 27, 2024 / 04:24 pm

Akshita Deora

प्रतीकात्मक तस्वीर

Inspirational News: एक मां ने अपनी बेटी को लेकर ढेरों सपने बुने। पढ़ाना-लिखाना.. डॉक्टर बनाना… आत्मनिर्भर और मजबूत बनाना। लेकिन, एक दिन बेटी दुनिया छोड़कर चली गई और मां के सपने अधूरे रह गए। खुद की बेटी को खोकर मां ने हिम्मत नहीं हारी। गली-मोहल्ले और आसपास की करीब 50 बेटियों को गोद ले लिया। अब वह उनके सपनों को पूरे करने में जुटी हुई है। खुद आर्थिक रूप से ज्यादा सक्षम नहीं है, लेकिन बेटियों को आसमान की उड़ान भरने की शिक्षा दे रही है।

पाली शहर में शहीद नगर में रहती है संतोष सरगरा। वर्ष 2018 में बारहवीं में पढ़ रही उनकी पुत्री प्रतिभा का बीमारी से देहांत हो गया था। बेटी की मौत का संतोष और उसके पिता भंवरलाल को गहरा धक्का लगा। वे बेटी को पढ़ा-लिखाकर कुछ बनाना चाहते थे। फिर संतोष ने बेटी के लिए देखे सपने पूरे करने की ठान ली। वह गली-मोहल्ले की ऐसी बालिकाओं को पढ़ाने लगी जो आर्थिक रूप से कमजोर है।

बेटियों के अरमान पूरे करने की जिद: संतोष का सपना है कि उसके यहां पढ़ने आ रही हर बेटी का अरमान पूरा हो। वह बालिकाओं को शिक्षा के साथ-साथ कॅरियर के रूप में भी जागरूक कर रही है। बाल भारती शिक्षा केन्द्र के रूप में संचालित पाठशाला में आने वाली बालिका को नि:शुल्क शिक्षा दे रही है। संतोष के पति मजदूरी करते हैं। आर्थिक रूप से भी ज्यादा सक्षम नहीं है, लेकिन जिद है बेटियों को आत्मनिर्भर बनाना। इसलिए वह हर परेशानी को भूल जाती है।

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मंदिर को बनाया स्कूल
संतोष ने कॉलोनी के एक मंदिर को पाठशाला के रूप दे दिया। दरी-पट्टी बिछाकर बालिकाओं को पढ़ाती है। बीएसटीसी कर चुकी संतोष करीब 50 से ज्यादा बालिकाओं को पढ़ा रही है। उसकी क्लास में कुछ बच्चे भी आते हैं। वह सभी विषय पढ़ाती है। देशभ क्ति और संस्कारों की सीख भी दे रही है। संतोष की पाठशाला में अब धीरे-धीरे बच्चों की संख्या भी बढ़ रही है।
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पैर, मुंह और पीठ को बुरी तरह नोंच डाला
राईकाबेरा मगरा पूंजला निवासी हेमराज ने बताया कि उसकी पुत्री घनिष्ठा धुलंडी के दिन घर के बाहर खेल रही थी। तभी गली के श्वान के हमले में वह बुरी तरह से घायल हो गई। श्वान ने पैर, मुंह और पीठ पर काटा। इससे बच्ची गंभीर घायल हो गई। लोगों ने दौड़कर बच्ची को बचाया। बच्ची को महात्मा गांधी अस्पताल में भर्ती करवाया है। इधर, मगरा पूंजला स्थित नया बास में रहने वाली प्रियांशी भी आवारा श्वानों के हमले से घायल हो गई। इसके अलावा कई अन्य बच्चों को भी आवारा श्वानों ने काटकर घायल किया हैं।
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