पाली. समुद्र मंथन से गौ माता का अवतरण..., गोवर्धन पर्वत को एक अंगुली पर उठाकर खड़े भगवान कृष्ण... और गाय के बछड़े को जन्म देने के बाद करुणा भाव दिखाता सिंह...। ऐसे ही दृश्यों का मंचन गुरुवार रात नगर परिषद टाउन हॉल में हुआ तो वहां मौजूद हर शहरवासी के मुंह से एक ही गीत निकला विश्व माता गौ माता...।
शक्ति दर्शन योगाश्रम व राजस्थान पत्रिका के संयुक्त तत्वावधान में नगर परिषद के सहयोग से गाय के संरक्षण और महिमा का बखाने करने वाली इस नृत्य नाटिका के दृश्य में राक्षसों व देवताओं के समुद्र मंथन करने और गौ माता के अवतरण होने के मंचन को कलाकारों के जीवंत नृत्य और भाव-भंगिमाओं ने हृदय स्पर्शी बना दिया। पहले ही दृश्य में नगर परिषद सभागार तालियों की गडगड़़ाहट से गूंज उठा।
गाय के क्रोध से राजा की हुई हार एक ऋषि के यहां राजा कौशिक के सैनिकों के साथ पहुंचने और कामधेनू की कृपा से ऋषि द्वारा उनको भोजन कराने के बाद राजा के ऋषि से गाय मांगने की कथा का मंचन हुआ तो पांडाल में हर कोई कलाकारों की तारीफ करते नहीं थका। इस दृश्य में राजा के गाय को ले जाने का प्रयास करने पर गाय के क्रोधित होकर सैनिकों को हराने और राजा के गाय के समक्ष नतमस्तक होने का दृश्य सभी के दिल को छू गया।
इन्द्र को आया क्रोध तो शिव हुए प्रकट गोकुल में भगवान कृष्ण के गोवर्धन पर्वत का पूजन कराने व गोवर्धन पर्वत को उठाने पर इन्द्र के क्रोधित होकर प्रभु पर वार करने का मन बनाने का दृश्य भी दर्शनीय रहा। इस दृश्य में भगवान शिव के प्रकट होकर गोवर्धन पर्वत के नीचे गायों के खड़े होने का हवाला देने व इन्द्र का क्रोध शांत होने के साथ ही गाय की महिमा गूंज उठी।
गौ संरक्षण की दिलाई शपथ अंतिम दृश्य में गाय को कत्लखानों में ले जाने, गाय की सेवा नहीं होने से उसे होने वाली व्यथा पर लोगों की आंखे नम हो गई। इस दृश्य में एक शेर के गाय के बछड़े को जन्म देने पर और गाय के शेर को देखकर भाग जाने के बाद शेर के फिर से गाय को बछड़े के पास लाकर उसे दूध पिलाने का आग्रह करने का दृश्य गाय के प्रति वन्य जीवों की उदारता रखने के समान मनुष्य को भी गाय की सेवा करने की सीख दे गया।