प्रधानाचार्य की मनमानी, अपनी इच्छा से रोक दिया शिक्षकों का वेतन
-सरकार के शिक्षकों को यथा स्थान रहने के आदेश के बावजूद बरती कोताही

पाली। राज्य सरकार के लॉक डाउन [ Lockdown ] शुरू होने पर दिए गए आदेश से प्रधानाचार्यों को कोई सरोकार ही नहीं है। वे अपनी इच्छा व अपने स्तर के नियम तैयार कर शिक्षकों का वेतन [ Teachers salary ] नहीं बना रहे है। ऐसा जिले में जगह नहीं कई जगह पर किया गया है। एक स्थल तो वह है, जहां जिले का पहला कोरोना पॉजिटिव [ Corona positive ] सामने आया और उसके बाद गांव को सील कर दिया गया था।
ढोला गांव के राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय में लगे शिक्षक जनता कफ्र्यू के दिन से पहले ही कुछ शिक्षक अपने गांव चले गए। इसके बाद लॉकडाउन लगने पर सरकार की ओर से उनको यथा स्थान पर रहने के आदेश दिए गए। इससे वे स्कूल नहीं पहुंच सके। इस पर वहां के प्रधानाचार्य ने स्कूल के पांच शिक्षकों को अनुपस्थित बताते हुए वेतन रोक दिया गया। इनमें से एक शिक्षक तो जोधपुर में अपने घर पर है और उनको निकलने नहीं दिया जा रहा है।
प्रधानाचार्य नहीं, हस्ताक्षर कौन करे
बीठु गांव के स्कूल की प्रधानाचार्य जोधपुर की रहने वाली है। वह भी लॉकडाउन लगने के समय जोधपुर जा चुकी थी। इसके बाद वहां लगातार केस आने से कफ्र्यू लग गया और वे वापस बीठु नहीं आ सकी। ऐसे में इस स्कूल के शिक्षकों को भी अभी तक वेतन नहीं मिला है, लेकिन विभाग अभी तक उनके बिलों पर हस्ताक्षर की राह देख रहा है। इसके लिए मुख्यालय या क्षेत्र के किसी अन्य अधिकारी के हस्ताक्षर से वेतन दिलाने की व्यवस्था नहीं की गई है।
वेतन बनाने को कह दिया
ढोला गांव के प्रधानाचार्य ने अनुपस्थित बताकर शिक्षकों का वेतन रोका था। उनको वेतन भुगतान कराने के आदेश पारित कर दिए है। बीठु गांव की प्रधानाचार्य के आते ही वेतन बिल पर हस्ताक्षर करवाकर वेतन दिलवा दिया जाएगा। हमने बिल तैयार करवा लिए है। -जगदीशचंद राठौड़, जिला शिक्षा अधिकारी मुख्यालय, माध्यमिक, पाली
अब पाइए अपने शहर ( Pali News in Hindi) सबसे पहले पत्रिका वेबसाइट पर | Hindi News अपने मोबाइल पर पढ़ने के लिए डाउनलोड करें Patrika Hindi News App, Hindi Samachar की ताज़ा खबरें हिदी में अपडेट पाने के लिए लाइक करें Patrika फेसबुक पेज