राज्य सरकार ने प्रदेश में तीन साल में 123 नए कॉलेज खोले हैं। जहां पहले से ही शिक्षण स्टाफ की कमी चल रही थी, नए कॉलेजों के कारण शिक्षण व्यवस्था पटरी से उतरने लगी है। लाखों विद्यार्थियों का भविष्य दांव पर लगा हुआ है। बांगड़ कॉलेज में 5 हजार विद्यार्थियों का नामांकन है। उपखण्ड मुख्यालयों पर संचालित कॉलेजों की संख्या जोड़ें तो यह आंकड़ा दुगुने से भी ज्यादा हो जाता है। इसके बावजूद सरकार संसाधन मुहैया नहीं करवा रही है। इतना जरूर है कि सरकार विद्या संबल योजना के जरिए फैकल्टी की पूर्ति करने पर जोर दे रही है, लेकिन इससे भी संबल नहीं मिल रहा है।
जीवन के सफर में आसमान छूने का सपना देख रही बेटियों के भविष्य पर भी तलवार लटकी हुई है। जिला मुख्यालय पर एक मात्र सरकारी गल्र्स कॉलेज में 15 पद स्वीकृत है, जिसमें महज 5 का स्टाफ कार्यरत है। प्राचार्य का पद भी खाली पड़ा है। ऐसे में बेटियों की पढ़ाई बाधित होना तय है।
जोधपुर जिला
कॉलेज – 16
स्वीकृत पद-184
कार्यरत-86
प्राचार्य-02 बाड़मेर जिला
कॉलेज-17
स्वीकृत पद-197
कार्यरत-79
प्राचार्य-00 पाली जिले में यह स्थिति
कॉलेज स्वीकृत कार्यरत
बांगड़ कॉलेज पाली 67 34
गल्र्स कॉलेज पाली 15 04
सुमेरपुर 16 04
मा. जंक्शन 07 02
जैतारण 21 02
सोजत सिटी 15 05
रायपुर मारवाड़ 07 03
रोहट 07 05
बाली 07 04
तखतगढ़ 07 07
प्रदेश में करीब 4 हजार पद खाली है। सरकार ने कॉलेज ने बहुत खोल दिए, लेकिन भर्ती नहीं की। 2015 की भर्ती 2018 में हुई थी। पिछले तीन सालों में सेवानिवृत्ति से कई पद और खाली हो गए। ऐसे में विद्यार्थियों की पढ़ाई प्रभावित हो रही है। –सुशील बिसु, प्रदेश महामंत्री, शिक्षक संघ, राष्ट्रीय