विशिष्ट लोक अभियोजक प्रतापचंद चौहान ने बताया कि फालना क्षेत्र के एक दंपती का दिमागी संतुलन ठीक नहीं था। वे अपने दो पुत्र व दो पुत्रियों के साथ खुडाला सरहद में अपने कृषि कुएं पर रहते थे। उनकी 16 साल की पुत्री शाम को खेत के पास हैंडपम्प पर हाथ-पैर धो रही थी। इस दौरान कार लेकर पहुंचे खुड़ाला निवासी नरेश उर्फ पपिया पुत्र कलाराम, नेकाराम पुत्र भैराराम, गणपत पुत्र प्रकाश जणवा चौधरी व सुरेश पुत्र कलाराम ने उसे कार में बैठा दिया।
आरोपियों ने पीडि़ता को नशीला पदार्थ खिलाया और उसे दो-तीन घंटे तक कार में घुमाते रहे। सामूहिक बलात्कार के बाद बेहोशी की हालत में पीडि़ता को उसके खेत के पास छोड़ कर आरोपी फरार हो गए। फालना थाना पुलिस ने आरोपी नरेश, सुरेश, नेकाराम व गणपत को सामूहिक बलात्कार के आरोप में गिरफ्तार कर उनके खिलाफ कोर्ट में चालान पेश किया। मामले की सुनवाई के दौरान पीडि़ता पक्षद्रोही यानी अपने बयान से मुकर गई।
लेकिन सुनवाई के दौरान विशिष्ट लोक अभियोजक ने मामले से जुड़े गवाहों के बयान में जिरह की। दोनों पक्षों को सुनने के बाद साक्ष्यों के आधार पर पोक्सो एक्ट न्यायालय के विशेष न्यायाधीश बरकत अली ने सुनवाई पूरी करते हुए आरोपी सुरेश को संदेह का लाभ देते हुए बरी कर दिया, जबकि अभियुक्त नरेश, नेकाराम व गणपत को बीस साल के कठोर कारावास की सजा सुनाई। अदालत ने अर्थदंड से भी दंडित किया है, जबकि 75 हजार रुपए पीडि़ता को भुगतान के आदेश दिए है।