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श्रद्धा ऐसी भी : बेटे ने अपने खेत में बनवाया माता-पिता का मंदिर

locationपालीPublished: May 17, 2022 10:05:16 pm

Submitted by:

rajendra denok

– जोजावर (पाली) के डिस्कॉमकर्मी गणपतसिंह ने माता-पिता का मंदिर बनाया

श्रद्धा ऐसी भी : बेटे ने अपने खेत में बनवाया माता-पिता का मंदिर

श्रद्धा ऐसी भी : बेटे ने अपने खेत में बनवाया माता-पिता का मंदिर

महेश चन्देल
धनला (पाली)। सतयुगी बेटों का जिक्र होते ही पौराणिक कहानियों के श्रवणकुमार का दृश्य स्मृति पटल पर आ जाता है। जिसने अपने नेत्रहीन माता-पिता को कावड़ में बिठाकर तीर्थयात्रा करवाई थी। श्रवणकुमार के संस्कारों का समावेश कलयुग में भी बिरले लोगों में आज भी देखने को मिल जाता हैं। आज के समय भी ऐसे लोग हैं जो अपने माता-पिता के लिए कुछ भी कर सकते हैं। राजस्थान के पाली जिले के मारवाड़ जंक्शन उपखंड के छोटे से गांव फुलाद में जन्मे हाल जोजावर में डिस्कॉमकर्मी के पद पर कार्यरत गणपतसिंह रावत राजपूत ने अपने गांव में माता-पिता के लिए एक मंदिर बनाकर उसमें मां-पिता की मूर्ति स्थापित की है। बता दें कि माता-पिता के लिए इनके मन में इतना प्यार है कि इस 49 वर्षीय बेटे ने अपने दिवंगत माता-पिता की याद में घर के सामने ही खेत में 5 गुणा 5 का 3 फीट ऊंचाई का चबूतरा और उस पर सुंदर नक्काशी 9 ऊंचाई तक छतरी बनाकर मंदिर का निर्माण कराया है। 15 मई 2022 को नवनिर्मित मंदिर में माता-पिता की मूर्ति प्राण प्रतिष्ठा को लेकर क्षेत्र में अपने आप में एक अनोखा ²ष्टांत पेश करते हुए बेटे गणपतसिंह ने विधिवत मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा करवाई। पूर्व संध्या पर रात्रि जागरण और प्रतिष्ठा महोत्सव में पूरे गांव के लिए प्रसादी का आयोजन किया। गणपतसिंह अपनी पत्नी संगीतादेवी, दोनों पुत्र महेंद्रसिंह और उपेंद्रसिंह तथा दोनों पुत्र वधु सुशीला कंवर व कुसुम, परिवार के सदस्य और रिश्तेदारों सहित हवन में पूर्णाहुति दी। विधिवत नवनिर्मित मंदिर में माता-पिता की मूर्ति स्थापित करवाते हुए समाज में मां बाप के आदर और सम्मान का संदेश दिया।
माता-पिता ने खेती-बाड़ी कर हमारे जीवन को बेहतर बनाया

गणपतसिंह ने पत्रिका को बताया कि बचपन से लेकर माता पिता स्नेह की छांव में पले-बढे। माता-पिता ने हमारे जीवन को बेहतर बनाने के लिए गरीबी में भी कड़ी मेहनत की। पिता पूनमसिंह अहमदाबाद में कपड़ों की मिल में काम करते थे। मां ने गांव में खेती बाड़ी करते हुए हम लोगों को पढ़ाया और लायक बनाया। वर्ष 2016 में पिताजी देवलोक हो गए तथा वर्ष 2019 में माता नैना देवी का भी स्वर्गवास हो गया। मन में एक कसक थी कि सबकुछ मां-बाप का दिया हुआ है तो क्यों न मां-बाप की स्मृतियों को अमिट बनाया जाए। इससे आने वाली पीढ़ी को संस्कारों का संदेश दिया जा सके। मैंने अपने गांव में माता-पिता की याद में एक मंदिर बनाने का फैसला किया। परिवार और गांव वालों से चर्चा की तो उन्होंने खुशी जाहिर करते हुए हौसला बढ़ाया।
राजसमंद में कामला के मंदिर से मिली प्रेरणा

गणपतसिंह ने बताया कि आज से 12 वर्ष पूर्व राजसमंद के कामला में रिश्तेदारों के यहां इस प्रकार के आयोजन में सम्मिलित होने का मौका मिला। वहीं से प्रभावित होकर मन में ठान लिया। अन्य युवाओं को भी इस मंदिर से प्रेरणा मिलेगी।

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