माता-पिता ने खेती-बाड़ी कर हमारे जीवन को बेहतर बनाया गणपतसिंह ने पत्रिका को बताया कि बचपन से लेकर माता पिता स्नेह की छांव में पले-बढे। माता-पिता ने हमारे जीवन को बेहतर बनाने के लिए गरीबी में भी कड़ी मेहनत की। पिता पूनमसिंह अहमदाबाद में कपड़ों की मिल में काम करते थे। मां ने गांव में खेती बाड़ी करते हुए हम लोगों को पढ़ाया और लायक बनाया। वर्ष 2016 में पिताजी देवलोक हो गए तथा वर्ष 2019 में माता नैना देवी का भी स्वर्गवास हो गया। मन में एक कसक थी कि सबकुछ मां-बाप का दिया हुआ है तो क्यों न मां-बाप की स्मृतियों को अमिट बनाया जाए। इससे आने वाली पीढ़ी को संस्कारों का संदेश दिया जा सके। मैंने अपने गांव में माता-पिता की याद में एक मंदिर बनाने का फैसला किया। परिवार और गांव वालों से चर्चा की तो उन्होंने खुशी जाहिर करते हुए हौसला बढ़ाया।
राजसमंद में कामला के मंदिर से मिली प्रेरणा गणपतसिंह ने बताया कि आज से 12 वर्ष पूर्व राजसमंद के कामला में रिश्तेदारों के यहां इस प्रकार के आयोजन में सम्मिलित होने का मौका मिला। वहीं से प्रभावित होकर मन में ठान लिया। अन्य युवाओं को भी इस मंदिर से प्रेरणा मिलेगी।