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#सेहत सुधारो सरकार : कहीं महिला रोग विशेषज्ञ नहीं तो कहीं नर्सिंग कर्मचारी, फिर कैसे मिले प्रसुताओं को सुविधा

locationपालीPublished: Sep 18, 2017 10:24:25 am

Submitted by:

rajendra denok

निश्चेतक के अभाव में रैफर हो रही प्रसुताएं,  नर्सिंगकर्मियों की कमी से महिलाएं परेशान

#SehatSudhroSarkar

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पाली.

सरकार गर्भवती महिला व उसके होने वाले प्रसव को लेकर कई प्रकार की योजनाएं व अभियान चला रही है। प्रतिमाह प्रधानमंत्री योजना के तहत महिलाओं को निशुल्क परामर्श दिया जाता है। साथ ही कई सहायता योजनाएं भी चल रही है। लेकिन, प्रसव के दौरान इन गर्भवती महिलाओं को सुविधा नहीं मिल रही है। इसी का खामियाजा महिलाओं को कई बार चुकाना पड़ता है। पत्रिका ने जिले के कुछ अस्पतालाओं को खंगाला तो एेसी ही कुछ समस्याएं सामने आई।
निश्चेतक के अभाव में रैफर हो रही प्रसुताएं

निमाज.

जिले की सबसे बड़ी ग्राम पंचायत निमाज स्थित सेठ कालूराम केसरी बाई रांका सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में कहने को तो महीने में 20 – 30 डिलीवरी होती हैं। बावजूद इसके आपातकालीन स्थिति या सिजेरियन प्रसव की स्थिति में मरीज को रेफर करने का अलावा कोई चारा नहीं हैं। निश्चेतक का पद सृजित नहीं होने के कारण गर्भवती महिलाओं को सिजेरियन प्रसव के लिए ब्यावर या जोधपुर जाना पड़ता हैं। पूरे ब्लॉक में एक भी निश्चेतक नहीं है, जबकि पूरे ब्लॉक में 6 डिलीवरी पॉइंट हैं। चिकित्सालय में जननी सुरक्षा के लिहाज से प्रसूति वार्ड, सेप्टिक बेबी रूम, गायनिक रूम आदि की सुविधाएं भी मौजूद हैं। लेकिन वे भी सूने नजर आते हैं ।
दवाइयां व सुविधाएं उपलब्ध

चिकित्सालय में जननी सुरक्षा को लेकर दवाइयां एवं सुविधाएं तो हैं। महीने में 20 – 30 डिलीवरी भी होती हैं। ब्लॉक में 6 डिलीवरी पॉइंट हैं। लेकिन, एक भी निश्चेतक नहीं हैं। ऐसे में सिजेरियन डिलीवरी करवाना संभव नहीं हैं।
– डॉ. रमेश कुमावत, बीसीएमओ,जैतारण
नर्सिंगकर्मियों की कमी से महिलाएं परेशान

सुमेरपुर.

सुमेरपुर शहर के राजकीय मेहता चिकित्सालय में गर्भवती महिलाओं के इलाज को लेकर समस्त सुविधा उपलब्ध है। लेकिन, कर्मचारियों की कमी से मरीजों को परेशानी होती है। यहां प्रतिमाह करीब 80-90 प्रसव होते है। लेकिन, प्रसव के बाद ख्याल रखने वाला कोई भी नहीं होता। अस्पताल में करीब 15 से 20 नर्सिंगकर्मियों की आवश्यकता है। लेकिन, अभी मात्र 4 नर्सिंगकर्मी के ही पद स्वीकृत है। इसमें से दो ही कार्यरत है। इसके साथ ही अस्पताल में हर ब्लड ग्रुप का सिर्फ एक-एक यूनिट रक्त ही उपलब्ध है। गर्भवती महिलाओं को आवश्यकता पडऩे पर परिजनों को अपने स्तर पर व्यवस्था करनी पड़ती है या महिलाओं को पाली रैफर करना पड़ता है।
उच्चाधिकारियों को बताया
– राजकीय अस्पताल में स्वीकृत पदों की कमी है। इसको लेकर उच्चाधिकारियों को अवगत करवा दिया है। स्टाफ की कमी से कई बार मरीज परेशान भी होते है।

– डॉ. कुलदीपसिंह देवड़ा, बीसीएमओ, सुमेरपुर
दस साल से महिला चिकित्सक का टोटा

रायपुर मारवाड़.

उपखंड मुख्यालय के राजकीय चिकित्सालय में पिछले दस साल से महिला चिकित्सक का पद रिक्त पड़ा है। ऐसे में गर्भवती महिलाओं को प्रसव के दौरान परेशानी होती है। कस्बे के विविध संगठनो ने रिक्त पड़े स्त्री रोग विशेषज्ञ के पद पर नियुक्ति की मांग को लेकर चिकित्सा मंत्री को पत्र भी भेजे, लेकिन आज तक किसी ने ध्यान नही दिया। ऐसे में हालात यह है कि गांवों में आज भी गर्भवती महिलाए दाई मां पर ही निर्भर है। चिकित्सालय चिकित्सा के लिहाज से दो दर्जन से अधिक गांवों के मरीजों का एक मात्र सहारा माना जाता है। लेकिन, यहां न तो महिला चिकित्सक है ओर न ही कोई सर्जन है।
रिक्त है पद
यह बात सही है कि हमारे यहां महिला चिकित्सक व सर्जन के पद रिक्त पड़े है। ऐसे में जो चिकित्सक है, वे ही प्रसव कराते है। रिक्त पदों की सूची उच्चाधिकारियों को भेज रखी है।
-डॉ. सीपी चौहान, चिकित्सा प्रभारी, रायपुर

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