scriptशक्ति स्वरूपा : हिमकण नहीं जो गल जाएंगी…ये चट्टानों से भी झरना निकाल लाएंगी, पढ़ें पूरी खबर… | Special story of patrika on women officers in Pali Rajasthan | Patrika News

शक्ति स्वरूपा : हिमकण नहीं जो गल जाएंगी…ये चट्टानों से भी झरना निकाल लाएंगी, पढ़ें पूरी खबर…

locationपालीPublished: Oct 07, 2019 02:56:05 pm

Submitted by:

Suresh Hemnani

-महिला अधिकारियों पर पत्रिका की स्पेशल स्टोरी

शक्ति स्वरूपा : हिमकण नहीं जो गल जाएंगी...ये चट्टानों से भी झरना निकाल लाएंगी, पढ़ें पूरी खबर...

शक्ति स्वरूपा : हिमकण नहीं जो गल जाएंगी…ये चट्टानों से भी झरना निकाल लाएंगी, पढ़ें पूरी खबर…

पाली। आधी दुनिया के सामान्य अधिकारों का संघर्ष अभी खत्म नहीं हुआ है। आज भी वह अपने बुनियादी हक के लिए समाज और सिस्टम से जूझ रही है। इसके उलट पाली में इसकी एक सुखद तस्वीर भी है। यहां महिलाएं उन अहम ओहदे से ‘कमांड’ कर रही हैं, जहां अब तक पुरुषों की प्रधानता रही है। ये पुराने जमाने की वो महिलाएं नहीं जो जूड़े में फूल लगाकर घर की चारदीवारी में ही सिमटकर रह गई और चौखट से बाहर नहीं निकल पाई।
अब इनकी चाहतें चटक कर बाहर आ रही हैं। खुली खिडक़ी से अंदर आती ताजी हवा इन्हें सुकून देती है। इसीलिए ये शक्ति-स्वरूपा हैं। इन महिलाओं ने साबित किया है कि कोई भी चुनौती बड़ी नहीं होती। पुरुष जो काम कर सकते हैं, वही काम महिलाएं भी कर सकती हैं। अपनी जि मेदारी के इतर इनमें सरलता और सौ यता है। यही इनकी ताकत भी है। इसी के बल पर सधी हुई पारी खेलती हैं। न कोई विवाद, न कोई टंटा। ये आत्मविश्वास से लबरेज जवाबदेही का मौन प्रदर्शन (साइलेंट परफॉर्मेंस) है। कवयित्री कविता ‘किरण’ के शब्दों में ये हिमकण नहीं हैं जो गल जाएंगी, ये चट्टानों से भी झरना निकाल लाएंगी…।
दिलाई ऊंचाइयां, राजस्व संग्रहण में पाली को बनाया अव्वल
-प्रवीणा चारण, क्षेत्रीय परिवहन अधिकारी, पाली
क्षेत्रीय परिवहन अधिकारी के पद पर आसीन प्रवीणा चारण ने अपने कार्यकाल में हमेशा पाली को ऊंचाइयां प्रदान की है। इनके पिछले कार्यकाल में पाली परिवहन कार्यालय राजस्व कलेक्शन में राज्य में प्रथम रहा। अपनी उत्तम सेवा के कारण अगस्त 2019 में उनको उत्कृष्ट सेवा के लिए मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने सम्मानित किया। जोधपुर के मथानिया से कक्षा दस उत्तीर्ण कर कॅरियर की शुरुआत करने वाली प्रवीणा चारण ने जोधपुर से बीए किया। चारण ने एमए सोशलॉजी में स्टेट टॉप किया था। इन्होंने 1999 में राजस्थान परिवहन सेवा में कदम रखा। जयपुर डीटीओ पद पर नियुक्ति के बाद उन्होंने पीछे मुडकऱ नहीं देखा लगातार ऊंचाइयों को प्राप्त किया। 2014 से 2018 तक वे पाली क्षेत्रीय परिवहन अधिकारी के पद पर नियुक्त रहीं। इस दौरान उन्होंने राजस्व कलक्शन में पाली को प्रथम स्थान दिलाया। आत्मविश्वास से लबरेज वे कहतीं हैं कि सीट पर कोई महिला या पुरुष नहीं होता। सीट पर सिर्फ अधिकारी होता है, जिसे काम करना होता है। इनके के पति सेना में अधिकारी हैं। 
शिक्षा के क्षेत्र में ऊंचाइयों को छूकर पाली का भी बढ़ाया मान
-नूतनबाला कपिला, संयुक्त निदेशक, शि.वि. बीकानेर
शिक्षा निदेशालय बीकानेर में संयुक्त निदेशक कार्मिक के पद पर काबिज नूतनबाला कपिला परिचय की मोहताज नहीं हैं। अपनी प्रतिभा से उन्होंने ऐसी पहचान बनाई है कि राज्य में भी पाली का नाम रोशन कर रही हैं। 1994 में जिला मुख्यालय स्थित सेठ मुकनचंद बालिया राजकीय बालिका उच्च माध्यमिक विद्यालय में प्रिंसिपल के पद पर नियुक्त हुईं। वे 1999 में अतिरिक्त जिला शिक्षा अधिकारी, 2010 में जिला शिक्षा अधिकारी माध्यमिक के पद पर रहीं हैं। इस बीच उनके पास जिला शिक्षा अधिकारी प्राथमिक का भी कई बार चार्ज रहा। वर्ष 2015 में वे पदोन्नत होकर शिक्षा उपनिदेशक जोधपुर के पद पर काबिज हुईं। 2009 में उन्हें राष्ट्रीय स्तरीय शिक्षक सम्मान से भी नवाजा गया। माध्यमिक शिक्षा बोर्ड से भी इन्हें बेस्ट एडीओ के रूप में सम्मानित किया जा चुका है। 2014 में इन्हें भामाशाह प्रेरक सम्मान से भी सम्मानित किया जा चुका है। इनके नेतृत्व में पाली में दो बार राष्ट्रीय स्तर की खेलकूद प्रतियोगिता भी आयोजित की जा चुकी है। एक अच्छी सिंगर के रूप में भी कपिला जिले में जानी जाती हैं।
रुचि ने रोडवेज में बनाया कॅरियर, फालना डिपो की संभाली व्यवस्था
-रुचि पंवार, मुख्य आगार प्रबंधक, फालना डिपो
जिले की परिवहन व्यवस्था में भी मातृ शक्ति का प्रमुख योगदान है। रोडवेज के फालना डिपो के मुख्य आगार प्रबंधक का जिम्मा संभाल रही रुचि पंवार मूलत: सिरोही की निवासी है। रुचि ने रोडवेज में सर्वप्रथम वर्ष 2013 में उदयपुर में जोनल मैनेजर के तकनीकी सहायक के पद से कार्य प्रारंभ किया था। वहीं पर उदयपुर में डिपो प्रभारी बनीं। वहीं पर रहकर रोडवेज की परीक्षा देकर 2015 में मुख्य आगार प्रबंधक बन गई। पिछले कुछ सालों से फालना डिपो में परिवहन व्यवस्था का दायित्व बखूबी संभाल रही है। खास बात ये है कि जब भी इन्हें फुर्सत मिलती है, तो वे चित्रकारी के शौक को पूरा कर लेती है। इस कार्य के साथ ही ये घर की जि मेदारी भी निर्वहन कर रही है। वहीं स्केचिंग व चित्रकारी का भी इनको खूब शौक है। बकौल रुचि, ‘भले ही लाख कठिनाइयां आए। लेकिन, जीवन में कभी लक्ष्य से नहीं हटना चाहिए। तभी सफलता मिल पाती है। बेटियों को भी अपने अपनी रुचि के अनुरूप क्षेत्र में जाकर अपनी प्रतिभा दिखानी चाहिए।’
‘कपड़ा नगरी’ में शोभा अकेले संभाल रही जलापूर्ति का जिम्मा
-शोभा कुमारी, कनिष्ठ अभियंता, पाली
जलदाय विभाग पाली में कार्यरत कनिष्ठ अभियंता शोभाकुमारी पूरे पाली शहर की पेयजल व्यवस्था को अकेले संभाल रही हैं। कनिष्ठ वर्ग के अन्य पद रिक्त होने से पूरे शहर के पेयजल का जिम्मा अकेले उन पर है। जोधपुर से अध्ययन कर चुकी शोभा की सबसे पहले 2005 में कनिष्ठ अभियंता के पद पर सोजत में नियुक्ति हुई। वहां की पेयजल व्यवस्था को सुधारा। 2010 में पाली आ गई। पिछले नौ साल से यहां की पेयजल व्यवस्था संभाल रहीं हैं। कहीं भी लीकेज या अन्य समस्या आने पर खुद मौके पर खड़े होकर समस्या का समाधान करवाती हैं। महिला होने के बावजूद वे पब्लिक डीलिंग दबंगई से करती हैं। शोभा इसके अलावा गाने का भी शौक रखती हैं। बकौल जेइएन,‘फील्ड में काम करते वक्त काफी समस्याएं आती हैं। लोगों को समझाने में काफी मशक्कत करनी पड़ती है। पिछले 14 साल से काम संभालने के कारण अब काफी अनुभव हो गया है।’

रोहट में हुई जल किल्लत तो ममता ने संभाला प्रबंधन
ममता बेंदा, कनिष्ठ अभियंता, जलदाय विभाग
पाली जिले का चौराई क्षेत्र, जो अक्सर जलसंकट के कारण सुर्खियों में रहता है। इस बार भी बारिश से पहले हालात विकट हो गए थे। लेकिन, एक महिला अधिकारी ने वहां बेहतर जल प्रबंधन किया। जोधपुर के रतकुडिय़ा में पली-बढ़ी ममता बेंदा रोहट में जलदाय विभाग में कनिष्ठ अभियंता के पद पर कार्यरत है। जलदाय विभाग में चुने जाने के बाद पहली पोस्टिंग भी रोहट में ही हुई, वो भी कनिष्ठ अभियंता के पद पर। 28 मई 2015 में जब यहां का कार्यभार संभाला तो हालात विकट थे। गर्मी के चलते जलसंकट हो रखा था। लेकिन, महिला होने के बावजूद ममता ने बेहतर जल प्रबंधन किया और टैंकरों से जलापूर्ति करवाकर इस समस्या का समाधान निकाला। उसके बाद वर्ष 2018-2019 में पेयजल किल्लत हो गई। तब चौराई क्षेत्र में टैंकरों से पानी परिवहन की व्यवस्था करवाई। बकौल ममता, ‘कोई भी क्षेत्र हो। महिलाएं हर क्षेत्र में बहुत अच्छा काम कर सकती है। जहां तक जल प्रबंधन की बात है तो ये सर्वाधिक महत्वपूर्ण जिम्मा है। जिसे बड़ी ही कुशलता से निभाना पड़ता है।’

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