जिले के सबसे बड़े टेक्सटाइल उद्योग में 40 से 50 फीसदी श्रमिक बाहरी राज्यों से हैं। उनके पलायन से औद्योगिक इकाइयों का संचालन सुचारू बनाए रखना संभव नहीं हो रहा। ऐसे में सरकार कोई ऐसे टे्रनिंग प्रोग्राम शुरू करें, जिससे प्रवासी अथवा स्थानीय लोगों को प्रशिक्षित किया जा सके।
विभिन्न राज्यों से आने वाले प्रवासी श्रमिकों और व्यापारियों का डेटा तैयार किया जाए, जिससे उनकी कार्यदक्षता इत्यादि का पता चल सके। इस आधार पर प्रवासी श्रमिकों को विभिन्न कार्यों में उपयोग जा सकता है।
पाली में रेडीमेड और सिलाई के व्यापार की असीम संभावनाएं हैं। पावरलूम उद्योग को बढ़ावा देकर बड़ी संख्या में रोजगार और व्यापार के अवसर तैयार किए जा सकते हैं। जैविक खेती
जैविक खेती को बढ़ावा देने के लिए सरकार को विशेष योजना बनानी चाहिए। ऐसे किसानों को प्रोत्साहित किया जाना चाहिए जो जैविक खेती कर रहे हैं। जैविक सब्जियों की उपलब्धता बढ़ाई जाए।
प्रवासी पशुपालन में सर्वाधिक रुचि ले सकते हैं। इसके लिए आसन तरीके से उन्हें ऋण उपलब्ध कराया जाए। प्रवासियों को पशुपालन के लिए दक्ष किया जाए। देशी गाय से निर्मित उत्पादों की मार्केटिंग के लिए विशेष योजना बनाई जाए। नाबार्ड को सक्रिय होना चाहिए। भूमिहीन किसानों को भी किसान क्रेडिट कार्ड जारी किया जाए।
प्रवासी श्रमिकों को रोजगार उपलब्ध कराने के लिए मनरेगा के साथ-साथ प्रशिक्षण कार्यक्रम चलाने की आवश्यकता है। प्रवासियों की दक्षता बढ़ाने के साथ-साथ उनमें रोजगार के लिए भरोस जगाने की भी आवश्यकता है। इसके लिए सरकार निजी एजेंसियों का भी सहारा ले।
जिलों में संचालित आइटीआई केन्द्रों पर टे्रड बदलने की आवश्यकता है। वर्तमान की जरूरत के अनुसार नए टे्रड और ट्रेनिंग प्रोग्राम संचालित किए जाए। स्किल डवलवमेंट प्रोग्राम में प्रवासियों को भी ज्यादा से ज्यादा जोड़ें।
ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत करने के लिए खेती और पशुपालन में प्रबल संभावनाएं हैं। खेती में नवाचार करने वालों और पशुपालन में रुचि दिखाने वालों को प्रेरित किया जाए। औषधीय खेती को बढ़ावा देने के लिए किसानों को प्रेरित किया जाना चाहिए। खासतौर से प्रवासियों को खेती और पशुपालन के फायदे बताकर जोड़ा जा सकता है।