जवाई बांध में लगातार घटते जलस्तर के कारण नॉर्थ सेडल स्थित हवा महल के निकट केनाल की मोरी पर अब पानी नाम मात्र का रह गया है। यहां पर पंपिग सेट तक जाने वाले मार्ग को दुरस्त करने के लिए तैयारियां शुरू कर दी गई है। अभी तक फरवरी में डेड स्टोरज के पानी को पम्प करने की योजना है।
पाली व जालोर क्षेत्र में होती है सिंचाई मारवाड़ की जीवन रेखा जवाई बांध से पाली व जालोर की 38670 एक्टर भूमि सिंचित होती है। इस बार बांध में मात्र 19 फीट पानी की आवक होने से सिंचाई के लिए किसानों को पानी नहीं दिया गया। वही दूसरी ओर पाली जिले के पेयजल के लिए जवाई क्लस्टर 1, 2, 3, 4 बनाकर पीने का पानी दिया जा रहा है। राज्य सरकार ने गत वर्ष बजट में शिवगंज के 71 गांवों को पेयजल देने की घोषणा की थी, लेकिन पानी की कमी के कारण वह पूरी नहीं हो सकी।
विकल्पों की तलाश जवाई में पानी कम होने के कारण जलदाय विभाग की ओर से अन्य जलस्रोतों की तलाश की जा रही है। इसके तहत गांवों व शहरों में ट्यूबवेल व ओपन वेल खोदने की स्वीकृतियां जारी हो चुकी है। पाली शहर के लिए तो वाटर ट्रेन चलाने का मसौदा तैयार है। जिससे गर्मी के मौसम से कम से कम पेयजल के उपयोग जितना पानी आमजन को उपलब्ध कराया जा सके। इधर, पाली में बाणियावास बांध से पानी लेना शुरू कर दिया गया है। जिससे जवाई के पानी का अधिक से अधिक दिनों तक उपयोग किया जा सके।