दरअसल, सुमेरपुर ब्लॉकस्तर का हर माह को होने वाला नसबंदी शिविर सुमेरपुर के सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र रहता है। शुक्रवार को सुमेरपुर के सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र में सेवारत एक चिकित्सक एवं कम्प्यूटर ऑपरेटर के पॉजिटिव आने के बाद नसबंदी शिविर का स्थान बदला गया। शिविर को लेकर ब्लॉक से आशा सहयोगियों एवं नर्सिग स्टाफ ने 21 महिलाओं नसबंदी पंजियन करवाया। इस दौरान महिलाएं भूख-प्यास से परेशान नजर आई। पंजियन के बाद मौके पर सर्जन दल के नहीं आने को लेकर पत्रिका संवाददाता ने अधिकारियों से कारण जाना। जानकारी में आया कि सर्जन दल को विलंब से सूचना मिली।
शिविर में देरी से आता है दल
तखतगढ़ में नसबंदी शिविरों कीे लेकर अकसर सर्जन दल देरी से आता है। ऐसे में महिलाओं को भूखा-प्यासा रहना पड़ता है। दल के आने पर दो बजे बाद नसबंदी का कार्य शुरु किया जाता है। ऐसे में परिजनों एवं नसबंदी करवाने वाली महिलाओं को काफी परेशान होना पड़ता है।
तखतगढ़ में नसबंदी शिविरों कीे लेकर अकसर सर्जन दल देरी से आता है। ऐसे में महिलाओं को भूखा-प्यासा रहना पड़ता है। दल के आने पर दो बजे बाद नसबंदी का कार्य शुरु किया जाता है। ऐसे में परिजनों एवं नसबंदी करवाने वाली महिलाओं को काफी परेशान होना पड़ता है।
इनका कहना है…
मैं मिटींग में था। वैसे नसबंदी शिविर करवाने से पूर्व कुछ जांच होती है। जांच में समय लगता है। आगामी शिविरों में समय के लिए उच्चाधिकारियों को अवगत करवाते है। बाली के सर्जन डॉ. एके कादरी ने 21 नसबंदी की है। –डॉ. रामधन बैरवा, प्रभारी, सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र, तखतगढ़।
मैं मिटींग में था। वैसे नसबंदी शिविर करवाने से पूर्व कुछ जांच होती है। जांच में समय लगता है। आगामी शिविरों में समय के लिए उच्चाधिकारियों को अवगत करवाते है। बाली के सर्जन डॉ. एके कादरी ने 21 नसबंदी की है। –डॉ. रामधन बैरवा, प्रभारी, सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र, तखतगढ़।