इन बातों का रखना चाहिए ख्याल
हिंदी साहित्य का संक्षिप्त इतिहास – 16 अंक
हिंदी साहित्य के इतिहास में 12वीं के पाठ्यक्रम में आधुनिक काल ही हैं।
-द्विवेदी युग : प्रमुख कवि, प्रमुख विशेषताएं व द्विवेदी युगीन नाटक, उपन्यास व कहानी लेखन।
-प्रगतिवाद – प्रमुख रचनाकार, प्रमुख़ विशेषताएं।
-प्रयोगवाद के प्रणेता, चार तार सप्तक।
-एकांकी व नाटक में अंतर।
-कहानी व उपन्यास में अंतर।
हिंदी साहित्य का संक्षिप्त इतिहास – 16 अंक
हिंदी साहित्य के इतिहास में 12वीं के पाठ्यक्रम में आधुनिक काल ही हैं।
-द्विवेदी युग : प्रमुख कवि, प्रमुख विशेषताएं व द्विवेदी युगीन नाटक, उपन्यास व कहानी लेखन।
-प्रगतिवाद – प्रमुख रचनाकार, प्रमुख़ विशेषताएं।
-प्रयोगवाद के प्रणेता, चार तार सप्तक।
-एकांकी व नाटक में अंतर।
-कहानी व उपन्यास में अंतर।
काव्यांग परिचय – 16 अंक
-काव्य गुण : माधुर्य गुण, प्रसाद गुण।
-छंद : हरिगीतिका, छप्पय, कवित व कुंडलियां।
-अलंकार : विभावना व विशेषोक्ति अलंकार में अंतर, व्यतिरेक व प्रतीप अलंकार में अंतर। सरयू पाठ्यपुस्तक – 32 अंक
-गोस्वामी तुलसीदास, मंदोदरी की रावण को सीख अध्य्याय से सप्रसंग व्याख्या पूछी जा सकती है।
-सूर्यकांत त्रिपाठी निराला : राम की शक्ति पूजा, सेनापति, ऋतु वर्णन।
-जयशंकर प्रसाद : पेशोला की प्रतिध्वनि।
-रामधारी सिंह : कुरुक्षेत्र, गुल्ली डंडा, मिठाई वाला, भारतीय संस्कृति शिरीष के फूल अलोपी सेव, देव भक्ति आंदोलन और तुलसीदास।
-काव्य गुण : माधुर्य गुण, प्रसाद गुण।
-छंद : हरिगीतिका, छप्पय, कवित व कुंडलियां।
-अलंकार : विभावना व विशेषोक्ति अलंकार में अंतर, व्यतिरेक व प्रतीप अलंकार में अंतर। सरयू पाठ्यपुस्तक – 32 अंक
-गोस्वामी तुलसीदास, मंदोदरी की रावण को सीख अध्य्याय से सप्रसंग व्याख्या पूछी जा सकती है।
-सूर्यकांत त्रिपाठी निराला : राम की शक्ति पूजा, सेनापति, ऋतु वर्णन।
-जयशंकर प्रसाद : पेशोला की प्रतिध्वनि।
-रामधारी सिंह : कुरुक्षेत्र, गुल्ली डंडा, मिठाई वाला, भारतीय संस्कृति शिरीष के फूल अलोपी सेव, देव भक्ति आंदोलन और तुलसीदास।
मंदाकिनी पाठ्यपुस्तक – 16 अंक
हिंदी गद्य का विकास, आत्मकथा व जीवनी रिपोर्ता, जयात्रा वृतांत व संस्मरण, राष्ट्र का स्वरूप निर्वासित हमारी पूण्य भूमि और इसका गौरवमय अतीत।
-सप्रसंग व्याख्या में विशेष का प्रयोग विद्यार्थियों को अवश्य करना चाहिए। विशेष से अभिप्राय हैं, जिस गद्यांश व पद्यांश की व्याख्या करते हैं उसके समानार्थी भाव वाली रचना लिखनी चाहिए।
हिंदी गद्य का विकास, आत्मकथा व जीवनी रिपोर्ता, जयात्रा वृतांत व संस्मरण, राष्ट्र का स्वरूप निर्वासित हमारी पूण्य भूमि और इसका गौरवमय अतीत।
-सप्रसंग व्याख्या में विशेष का प्रयोग विद्यार्थियों को अवश्य करना चाहिए। विशेष से अभिप्राय हैं, जिस गद्यांश व पद्यांश की व्याख्या करते हैं उसके समानार्थी भाव वाली रचना लिखनी चाहिए।