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परीक्षा टिप्स : हिंदी साहित्य विषय को ऐसे बनाएं सरल

locationपालीPublished: Feb 26, 2020 02:17:55 pm

Submitted by:

Suresh Hemnani

पत्रिका कोचिंग:गेस्ट राइटर : गजेन्द्र गर्ग, राउमावि, सोजत रोड

परीक्षा टिप्स : हिंदी साहित्य विषय को ऐसे बनाएं सरल

परीक्षा टिप्स : हिंदी साहित्य विषय को ऐसे बनाएं सरल

पाली। कला संकाय में वैकल्पिक विषय के रूप में हिंदी साहित्य रूचि भरा विषय हैं। हिन्दी में अच्छे अंक प्राप्त करने के लिए ये जरूरी नहीं हैं कि हम कितना पढ़ते हैं जरूरी हैं कि हम क्या पढ़ते हैं। इस विषय को व्यवस्थित, क्रमबद्ध व सृजनात्मक रूप से पढऩे पर श्रेष्ठ अंक प्राप्त किए जा सकते हैं। हिन्दी बोलचाल की भाषा होने के कारण इसे विद्यार्थी सरल तो मानते हैं, लेकिन व्यवस्थित अध्ययन नहीं करते। इस कारण इस विषय में कई विद्यार्थियों के अंक कट जाते हैं। इस कारण विद्यार्थी को इस विषय को मनन कर ध्यान से पढऩा चाहिए। जिससे इसमें भी गणित की तरह बेहतर अंक प्राप्त कर सके।
इन बातों का रखना चाहिए ख्याल
हिंदी साहित्य का संक्षिप्त इतिहास – 16 अंक
हिंदी साहित्य के इतिहास में 12वीं के पाठ्यक्रम में आधुनिक काल ही हैं।
-द्विवेदी युग : प्रमुख कवि, प्रमुख विशेषताएं व द्विवेदी युगीन नाटक, उपन्यास व कहानी लेखन।
-प्रगतिवाद – प्रमुख रचनाकार, प्रमुख़ विशेषताएं।
-प्रयोगवाद के प्रणेता, चार तार सप्तक।
-एकांकी व नाटक में अंतर।
-कहानी व उपन्यास में अंतर।
काव्यांग परिचय – 16 अंक
-काव्य गुण : माधुर्य गुण, प्रसाद गुण।
-छंद : हरिगीतिका, छप्पय, कवित व कुंडलियां।
-अलंकार : विभावना व विशेषोक्ति अलंकार में अंतर, व्यतिरेक व प्रतीप अलंकार में अंतर।

सरयू पाठ्यपुस्तक – 32 अंक
-गोस्वामी तुलसीदास, मंदोदरी की रावण को सीख अध्य्याय से सप्रसंग व्याख्या पूछी जा सकती है।
-सूर्यकांत त्रिपाठी निराला : राम की शक्ति पूजा, सेनापति, ऋतु वर्णन।
-जयशंकर प्रसाद : पेशोला की प्रतिध्वनि।
-रामधारी सिंह : कुरुक्षेत्र, गुल्ली डंडा, मिठाई वाला, भारतीय संस्कृति शिरीष के फूल अलोपी सेव, देव भक्ति आंदोलन और तुलसीदास।
मंदाकिनी पाठ्यपुस्तक – 16 अंक
हिंदी गद्य का विकास, आत्मकथा व जीवनी रिपोर्ता, जयात्रा वृतांत व संस्मरण, राष्ट्र का स्वरूप निर्वासित हमारी पूण्य भूमि और इसका गौरवमय अतीत।
-सप्रसंग व्याख्या में विशेष का प्रयोग विद्यार्थियों को अवश्य करना चाहिए। विशेष से अभिप्राय हैं, जिस गद्यांश व पद्यांश की व्याख्या करते हैं उसके समानार्थी भाव वाली रचना लिखनी चाहिए।

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