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VIDEO : शिवमय होने लगे शिवाले, भक्तों में उल्लास, क्या है महापर्व की मान्यता, जानिए पूरी खबर…

locationपालीPublished: Feb 17, 2020 05:13:56 pm

Submitted by:

Suresh Hemnani

Mahashivratri : – महापर्व को लेकर मान्यताएं कई, लेकिन भक्तों में उमंग हर बार नई

VIDEO : शिवमय होने लगे शिवाले, भक्तों में उल्लास, क्या है महापर्व की मान्यता, जानिए पूरी खबर...

VIDEO : शिवमय होने लगे शिवाले, भक्तों में उल्लास, क्या है महापर्व की मान्यता, जानिए पूरी खबर…

पाली। मान सहित बिष खाय के शंभु भए जगदीश, बिना मान अमृत पिए राहु कटायौ शीश। देश विजय के लिए सम्मान के साथ विष पीने वाले महादेव के भक्त मारवाड़ के गली कूंचों में महाशिव रात्रि की तैयारियों में जुट गए हैं। विभिन्न मान्यताओं को लेकर भक्त अपने आराध्य की अर्चना में दिन व रातभर आराधना में तल्लीन रहते हैं। निराहार, यथाहार रहकर भक्त अल सुबह से शिव की साधना में जुट जाते हैं। मारवाड़ में महादेव के भक्तों के अपने ही रंग है। यहां सौराष्ट्र के समकालीन सोमनाथ मंदिर, ऋषि जमदग्नि की तपोभूमि सालीश्वर, सादड़ी के निकट भगवान परशुराम महादेव, जवाली के निकट जवालेश्वर, सोजत के निकट धारेश्वर, दुधारेश्वर, फालना के निकट निंबेश्वर समेत जिलेभर के शिव मंदिरों में 21 फरवरी को महाशिव रात्रि का पर्व परंपरागत उल्लास व उमंग से मनाया जाएगा।
शिव को चढ़ता भांग का प्रसाद
शिव ने देव संस्कृति की रक्षा के लिए विष पिया था। इसी दिन की स्मृति में लोग भांग, गांजा आदि चढ़ाकर शिव आराधना करते हैं। पंडित विशाल जोशी का कहना है कि विजया को शिवप्रिया बताया है। इस दिन लोग दिन व रातभर पूजा अर्चना कर आराध्य को रिझाते हैं। रात में शिव की चार प्रहर पूजा की जाती है। महाशिवरात्रि पर्व को लेकर विद्वानों में कई मान्यताएं प्रचलित है। जोशी का कहना है कि अधिकांश लोग मानते हैं कि इस दिन शिव ने देव संस्कृति की रक्षार्थ विष पिया था और विष का प्रभाव शरीर में नहीं बढ़े इसके लिए शिव को रात में जगाए रखने के लिए देवों ने रातभर पूजा अर्चना की थी। इसलिए लोग इस दिन रात में चार प्रहर पूजा व रुद्राभिषेक करते हैं। कई भक्तों की मान्यता है कि इस दिन शिव-पार्वती विवाह सम्पन्न हुआ था। इसलिए शिव को चढ़ाने के लिए वर्जित माना जाने वाला कुमकुम महाशिवरात्रि को शिव को चढ़ाया जाता है। कुमकुम सौभाग्य का प्रतीक पूजन द्रव्य है।
राशि अनुसार अभिषेक द्रव्य
पंडित विशाल जोशी कहते हैं कि शिव आशुतोष है। शीघ्र ही प्रसन्न हो जाते हैं। उनकी विभिन्न द्रव्यों से पूजाकर फल पाया जा सकता है। ज्योतिषीय मान्यता के अनुसार विभिन्न राशियों के अनुसार शिव पूजा का विधान बताया गया है। मेष राशि के जातक लाल वस्त्रों का दान एवं अनार रस से अभिषेक कर अभीष्ट को पा सकते हैं। वृष राशि के जातक तिल दान एवं दुग्धाभिषेक, मिथुन राशि के जातक शिव का पंचामृताभिषेक, कर्क राशि के जातक सेव रस, सिंह राशि के जातक अनानास रस, कन्या राशि के जातक विजया एवं गन्ना रस, तुला राशि के जातक लोह दान एवं अंगूर रस का अभिषेक, वृश्चिक राशि के जातक केला दान एवं दुग्धाभिषेक, धन राशि के जातक सौभाग्य द्रव्य व गन्ना रसे से अभिषेक, मकर, कुंभ व मीन राशि के जातक जलाभिषेक एवं इलायची चढ़ाकर महाशिवरात्रि पर महादेव की पूजा करना अति फलदायिनी बताया गया है।

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