शिव ने देव संस्कृति की रक्षा के लिए विष पिया था। इसी दिन की स्मृति में लोग भांग, गांजा आदि चढ़ाकर शिव आराधना करते हैं। पंडित विशाल जोशी का कहना है कि विजया को शिवप्रिया बताया है। इस दिन लोग दिन व रातभर पूजा अर्चना कर आराध्य को रिझाते हैं। रात में शिव की चार प्रहर पूजा की जाती है। महाशिवरात्रि पर्व को लेकर विद्वानों में कई मान्यताएं प्रचलित है। जोशी का कहना है कि अधिकांश लोग मानते हैं कि इस दिन शिव ने देव संस्कृति की रक्षार्थ विष पिया था और विष का प्रभाव शरीर में नहीं बढ़े इसके लिए शिव को रात में जगाए रखने के लिए देवों ने रातभर पूजा अर्चना की थी। इसलिए लोग इस दिन रात में चार प्रहर पूजा व रुद्राभिषेक करते हैं। कई भक्तों की मान्यता है कि इस दिन शिव-पार्वती विवाह सम्पन्न हुआ था। इसलिए शिव को चढ़ाने के लिए वर्जित माना जाने वाला कुमकुम महाशिवरात्रि को शिव को चढ़ाया जाता है। कुमकुम सौभाग्य का प्रतीक पूजन द्रव्य है।
पंडित विशाल जोशी कहते हैं कि शिव आशुतोष है। शीघ्र ही प्रसन्न हो जाते हैं। उनकी विभिन्न द्रव्यों से पूजाकर फल पाया जा सकता है। ज्योतिषीय मान्यता के अनुसार विभिन्न राशियों के अनुसार शिव पूजा का विधान बताया गया है। मेष राशि के जातक लाल वस्त्रों का दान एवं अनार रस से अभिषेक कर अभीष्ट को पा सकते हैं। वृष राशि के जातक तिल दान एवं दुग्धाभिषेक, मिथुन राशि के जातक शिव का पंचामृताभिषेक, कर्क राशि के जातक सेव रस, सिंह राशि के जातक अनानास रस, कन्या राशि के जातक विजया एवं गन्ना रस, तुला राशि के जातक लोह दान एवं अंगूर रस का अभिषेक, वृश्चिक राशि के जातक केला दान एवं दुग्धाभिषेक, धन राशि के जातक सौभाग्य द्रव्य व गन्ना रसे से अभिषेक, मकर, कुंभ व मीन राशि के जातक जलाभिषेक एवं इलायची चढ़ाकर महाशिवरात्रि पर महादेव की पूजा करना अति फलदायिनी बताया गया है।