लॉकडाउन में जब लोगों को बेवजह घर से नहीं निकलने के लिए पाबंद कर दिया, लेकिन कुछ समझ ही नहीं रहे हैं। इस संकट के समय भी कुछ दुकानदार कालाबाजारी कर रहे हैं। जहां सहायता व सेवा की जरुरत है, उन परिस्थितियों में ग्राहकों के साथ मनमर्जी के दामों से लूट की जा रही है। प्रशासन को एक्शन में आना पड़ा। राशन सामग्री की दर निर्धारित कर सूचियां जारी करनी पड़ी। हेल्पलाइन नम्बर दिए तो कुछ लोगों ने महज प्रशासन को परेशान करने के लिए भूखे होने का ढोंग रच लिया। जो सरकारी कारिंदे व स्वयंसेवक सहायता के लिए जान जोखिम में डाल रहे हैं, उनके साथ भी अभद्रता की जा रही है। बार-बार हाथ धोएं, दूरी बनाकर खड़े रहें, सोशल डिस्टेसिंग रखें, घर से बाहर नहीं निकलें…यह समझाने के लिए अभी तक सरकार को जतन करने पड़ रहे हैं।
देश सहित पूरे विश्व में आए कोरोना रूपी संकट में यह तो कोई मर्यादित आचरण नहीं है। भगवान श्रीराम ने तो जीवन में अनेक कष्ट सहन करते हुए मर्यादित आचरण का सर्वश्रेष्ठ उदाहरण पेश किया था। विपरीत परिस्थितियों में अपने आदर्शों को नहीं त्यागा था। हालांकि आज भी कई ऐसे कोरोना के कर्मवीर अपना कर्म सतत रूप से निभा रहे हैं। देर नहीं हुई है, रामनवमी पर मर्यादित आचरण का प्रण लें। विकट परिस्थितियां सामने है। विचलित नहीं होकर, बस स्वयं को सुरक्षित रखते हुए सेवा-सहयोग की भावना के साथ कोरोना से जंग जीतने का जज्बा रखें।