महामृत्युंजय मंत्र का जप लाभकारी
महाशिवरात्रि में शिवलिंग की पूजा करने से जन्मकुंडली के नवग्रह दोष सहित विभिन्न रोगों से मुक्ति मिलती है। भगवान शिव की पूजा करते समय बिल्वपत्र, शहद, दूध, दही, शक्कर और गंगाजल से अभिषेक करना चाहिए। आर्थिक समस्याओं के निवारण के लिए महाशिवरात्रि को शहद और घी से भगवान शिव का अभिषेक करना चाहिए। स्वास्थ्य के लिए जल में दुर्वा मिलाकर शिव को अर्पित व महामृत्युंजय मंत्र का जप करना चाहिए। शिव के साथ ही मां पार्वती और गणेश एवं कार्तिक का पूजन संतान सुख के योग मजबूत बनाता है। नवग्रह दोष निवारण के लिए रुद्राभिषेक, पति की दीर्घायु के लिए पंचामृत अभिषेक, सुयोग्य वर के लिए शिवलिंग पर जल अर्पित कर मां गौरी का पूजन करना चाहिए।
महाशिवरात्रि में शिवलिंग की पूजा करने से जन्मकुंडली के नवग्रह दोष सहित विभिन्न रोगों से मुक्ति मिलती है। भगवान शिव की पूजा करते समय बिल्वपत्र, शहद, दूध, दही, शक्कर और गंगाजल से अभिषेक करना चाहिए। आर्थिक समस्याओं के निवारण के लिए महाशिवरात्रि को शहद और घी से भगवान शिव का अभिषेक करना चाहिए। स्वास्थ्य के लिए जल में दुर्वा मिलाकर शिव को अर्पित व महामृत्युंजय मंत्र का जप करना चाहिए। शिव के साथ ही मां पार्वती और गणेश एवं कार्तिक का पूजन संतान सुख के योग मजबूत बनाता है। नवग्रह दोष निवारण के लिए रुद्राभिषेक, पति की दीर्घायु के लिए पंचामृत अभिषेक, सुयोग्य वर के लिए शिवलिंग पर जल अर्पित कर मां गौरी का पूजन करना चाहिए।
शहर के प्रमुख शिवालयों में होंगे रुद्राभिषेक
भगवान शिव की आराधना के प्रमुख पर्व महाशिवरात्रि के लिए प्रमुख शिवालयों में महारुद्राभिषेक, पंचामृत अभिषेक, ऋतुपुष्पों के शृंगार, भक्ति संध्या रात्रि जागरण की तैयारियां शुरू हो चुकी है। कई जगह दो दिवसीय महाशिवरात्रि महोत्सव मनाया जाएगा।
भगवान शिव की आराधना के प्रमुख पर्व महाशिवरात्रि के लिए प्रमुख शिवालयों में महारुद्राभिषेक, पंचामृत अभिषेक, ऋतुपुष्पों के शृंगार, भक्ति संध्या रात्रि जागरण की तैयारियां शुरू हो चुकी है। कई जगह दो दिवसीय महाशिवरात्रि महोत्सव मनाया जाएगा।
महाशिवरात्रि पर्व में रात्रि की प्रधानता
चतुर्दशी तिथि की शुरुआत 11 मार्च को दोपहर 2 बजकर 39 मिनट से शुरू होकर अगले दिन 12 मार्च को दोपहर 3 बजे बजकर कर 2 मिनट तक रहेगी। महाशिवरात्रि पर्व में रात्रि की प्रधानता रहती है। इस कारण 11 मार्च को महाशिवरात्रि पर्व मनाना शास्त्र सम्मत होगा। महाशिवरात्रि का निशिथ काल 11 मार्च को रात 12 बजकर 6 मिनट से 12 बजकर 55 मिनट तक रहेगा।
चतुर्दशी तिथि की शुरुआत 11 मार्च को दोपहर 2 बजकर 39 मिनट से शुरू होकर अगले दिन 12 मार्च को दोपहर 3 बजे बजकर कर 2 मिनट तक रहेगी। महाशिवरात्रि पर्व में रात्रि की प्रधानता रहती है। इस कारण 11 मार्च को महाशिवरात्रि पर्व मनाना शास्त्र सम्मत होगा। महाशिवरात्रि का निशिथ काल 11 मार्च को रात 12 बजकर 6 मिनट से 12 बजकर 55 मिनट तक रहेगा।